7 मार्च 2016

पार्षद कुन्दनिका शर्मा के विरुद्ध नहीं मिल रहे हैं भडकाऊ भाषण के सुबूत

मंटोला और नाइ की मंडी क्षेत्र में 1990 से 2016 हुई घटनाओं पर श्‍वेत पत्र जारी हो


(डा  शर्मा एक सभा को सम्‍बोधित करते हुए)
आगरा: राजनीति के मौजूदा दौर में जनता, प्रतिद्वन्‍दी पार्टी और उसके कार्यकर्त्‍ताओं की भूमिका
गौड हो चुकी है,सत्‍ता दल का पुलिस प्रशासन और जनपदों में असर रखने वाले चन्‍द बहु बलियों के बूते पर चुनावो को जीतने और विरोधियों को पटकन्‍नी दिये जाने का दौर शुरू है। इस षणयंत्रकारी  दौर का आगरा में नवीनतम लक्ष्‍य भाजपा पार्षद डा श्रीमती कुन्‍दिका शर्मा हैं।कई बार स्‍थानीय मीडिया में आइरन लेडी के नाम से सुर्खियां बटारती रही डा शर्मा इस समय सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप के घेरे में हैं।
उनके विरुद्ध वह पुलिस/ एल आई ओ की रिपोर्ट  पर प्रशासन एक्‍शन में है,जो कि समुदाय  विशेष की बहुलता वाले क्षेत्र में दलित वर्गके सदस्‍यों के सम्‍मान और हितों की सुरक्षा करने में नाकाम रही है।

स्‍व अरुण कुमार माहौर केवल विश्‍व हिन्‍दू परिषद के ही नेता नहीं थे, एक व्‍यापारी और समाज सेवीभी थे। शासन की गौवंश सुरक्षा सम्‍बन्‍धी नीति और नियमों को प्रभावी बनाकर अवैध पुशुबध रोकने में उनकी सक्रिय भूमिका रही।किन्‍तु उनको सांप्रदायिकता के फ्रेम में कैसे फिट कर दिया गया यह उनके बारे में दिल्‍ली के अखबार का नुमाइंदा ही बता सकता है, जिसकी खबरों के आधार पर दिल्‍ली के पौलिटिशियन केन्‍द्रीय मंत्री राम शंकर कठैरिया  के पीछे पड गये।पार्षद श्रीमती कुन्‍दनिका शर्मा के अलावा अशोक लवानियां व प्रशांत चोधरी के विरूद्ध भी भडकाऊ भाषण देने का आरोप लगा अभियोग दर्ज करवा डाला।अब नामजदो की गिरफ्तारी के दबाव का दौर चल रहा है।
अन्‍यो के मामले में तो भाजपा ही कुछ कह सकेगी किन्‍तु डा कुन्‍दिका शर्मा के मामले में इतना तो पूरा शहर जानता है कि भडकाऊ भाषण तो दूर अपनी लोकप्रियता का भी उपयोग खास नहीं किया। जहां तक बोट की राजनीति का सवाल है,माहौर समाज आगरा में भाजपा से ही जुडा रहा है।भाजपा के टिकट पर एक तो किशोरी लाल माहौर चुन कर नगर निगम के मेयर बने , वहीं दूसरी श्रीमती अंजुला सिह माहौर भी मेयर का चुनाव जीतीं। जमूहरियत में बोट का महत्‍व है चाहे वे अल्‍प संख्‍याकों में असुरक्षा का भाव जगा कर जुटाये जा सकते हो या फिर परंपरागत आधार पर समूह और जातियों के साथ आत्‍मीयता के माध्‍यम से। रमेश की हत्‍या किसी भी राजनैतिक पार्टी के स्‍थानीय संगठन के लिये महत्‍वपूर्ण व विचारणीय है।जहां कई अन्‍यदल इस जघन्‍य कांड में भी तठस्‍थता की तलाश कर ढुलमुल भाषा बोलत रहे ,वहीं भाजपा इस मामले में एक दम मुखर हो सामने आ गयी । डा कुन्‍दनिका शर्मा किसी भी अन्‍य की तलना में कुछ ज्‍यादा ही सटीक एवं स्‍पष्‍ट बोलीं जो तठस्‍थतावादियों और धर्मनिरपेक्षों की कसौटी पर खरा उतरना संभव ही नहीं था। अब यू पी पुलिस ने उनके विरूद्ध भडकाऊ भाषण तो अपने आकाओं को खुश करने के लिये दर्ज कर लिया है किन्‍तु सुबूत जुटापने में उसे अब तक कोई कामयाबी नहीं मिली है।
इस मामले में यह अपेक्षा करना भी गलत नहीं होगा कि 1990 से 2016 तक के दौर में थाना मंटोला और थाना नाई की मंडी क्षेत्र में घटित घटनाओं पर एक श्‍वेत पत्र की तर्ज पर विवरण और जांच व अदालती कार्रवाहियों के विवरण वाला समीक्षा विवरण के रूप में जनता के सामने लाया जाये। जिससे स्‍वत: ही स्‍पष्‍ट हो जायेगा कि अगर पूर्वमें पुलिस सक्रिय रही होती तो अपराधियों की हिम्‍मत कम से कम सरे आम गोली मारने की नही हो पाती।