--पच्चीस साल पुरानी अत्याचार की घटनाओं की वक्ताओं ने विस्तार से दी जानकारी
आगरा,17
जनवरी, भगवान टाल्कीज चौराहे पर 'हिन्दू जनजागृति
समिति"द्वारा "राष्र्टीय हिन्दू
(हिन्दू जनजागृति समितिनेविस्थापितहिन्दुओंके कश्मीर में
पुनर्वास के मुद्दे पर भगवान टाकीज चौराहे पर किया जन जागरण)
आन्दोलन" विस्थापित कश्मीरी
हिन्दुओं का स्थाई रूप से पुनर्वसन करने हेतु किया गया जिसमे ठाकुर सिंह,शुभम सोनी,आनंद जैन,संजीव
शर्मा,अजय,नागेन्द्र तथा सक्षम आदि
प्रमुख रूप से उपस्धित रहे |
पुनर्वास के मुद्दे पर भगवान टाकीज चौराहे पर किया जन जागरण)
कश्मीर की घाटी भारत की दृष्टि से सभी स्तरों पर महत्वपूर्ण है । इसी स्थान पर अनेक ऋषि-मुनियों ने शैव तत्त्वज्ञान से अनेक शास्त्रों की रचना कर उन्हें मानवजाति को उपलब्ध करवाया है । कश्मीर घाटी के हिंदू इतिहास काल से मुगल राज्यकर्ताओं द्वारा निरंतर होनेवाले आक्रमणों की बलि चढे हैं । इतने अधिक आक्रमण होने पर भी कश्मीर के हिंदुओं ने अपना अस्तित्व बनाए रखा था; परंतु स्वतंत्र भारत के पाकिस्तान पुरस्कृत जिहादी आतंकवादियों द्वारा उन्हें लक्ष्य बनाकर उनपर आक्रमण किए गए । इसमें सहस्त्रों हिंदुओं की हत्या की गई थी, सहस्त्रों महिलाओं पर बलात्कार किए गए थे । इन सभी अत्याचारों के कारण तथा हिंदुओं के मंदिर, घर, जमीन, संपत्ति उनसे बलपूर्वक हडपने के कारण एवं उन्हें धमकाने के कारण साढेचार लक्ष से अधिक हिंदुओं को कश्मीर घाटी से वर्ष १९९० में विस्थापित होना पडा । भारत के लोकतंत्र को कालिख पोतनेवाली घटना होकर भी भारत सरकार ने इस ओर अनदेखी की । इस घटना को २५ वर्ष पूर्ण होने पर भी विस्थापित हिंदुओं का अभी तक पुनर्वसन नहीं हुआ है, वे न्याय से वंचित हैं । बांगलादेश में १९७१ युद्ध के समय हिंदुओं पर अत्याचार करनेवालों को वहां की सरकार ने दोषी सिद्ध कर उन्हें दंडित किया है; परंतु भारत के कश्मिरी हिंदुओं पर अन्याय करनेवालों के विरोध में कोई भी कृत्ययोजना दिखाई नहीं देती । आज तक की निधर्मी कहलानेवाली सरकारों ने इस समस्या की ओर सदा ही अनदेखी की थी, ऐसे में देश के समस्त हिंदुओं को नई भाजपा सरकार से इस संदर्भ में ठोस कार्यवाही की अपेक्षा है । कश्मिरी हिंदुओं पर हुए अत्याचारों को ‘वंशसंहार’ के रूप में देखा जाए । उन अत्याचारों की न्यायिक पंचों द्वारा निश्चित समयसीमा में जांच करें तथा इन हिंदुओं की सुरक्षित वापसी हेतु स्वतंत्र रुप से ‘पनून कश्मीर’ नाम के केंद्रशासित क्षेत्र को मान्यता दें ।
इस क्षेत्र में
धारा ३७० लागू न कर वहां पर भारतीय संविधान को प्रमाण मानकर स्वतंत्र रूप से जीवन
जी सकें, इस मांग हेतु
रविवार, १७ जनवरी, २०१६ को ११ से १ बजे तक आगरा में भगवान टॉकीज पुल के निचे राष्ट्रीय हिंदू आंदोलन किया गया ।
जो अन्य मुख्य मांगे इस अवसर पर उठायी
गयीं उनमें
कश्मीरी
हिंदुओं पर हुए
अत्याचारों को ‘वंशसंहार’ के अंतर्गत माना जाए , कश्मीरी हिंदुओं का पुनर्वसन कश्मीर में एक केंद्रशासित
प्रदेश में ही किया जाए । इस भाग में धारा ३७० लागू न हो ।
, कश्मीरी हिंदुओं पर हुए अत्याचारों के लिए उत्तरदायी लोगों पर
कार्यवाही करने हेतु न्यायिक पंच नियुक्त किए जाएं , पुनर्वसन योजना को निश्चित समयसीमा में रहकर लागू किया जाए, इस हेतु विशेष विभाग की स्थापना कर उस विभाग
को इस संदर्भ में सभी निर्णय लेने के अधिकार दें । पिछले अनेक वर्ष यहां के हिंदू विस्थापित स्थिति में रह रहे
हैं इसलिए यहां के हिंदू युवकों को स्थायी रूप से रोजगार उपलब्ध करवाया जाए ।
६. कश्मीर में प्राचीन मंदिर एवं भूमि का
सर्वेक्षण कर उन्हें सुरक्षित करें । तथा वहां पर यात्रा निकालने की अनुमति दें ।
18 जनवरी को डी एम को सोंपा जायेगा
ज्ञापन
19 जनवरी2016 को कश्मीरी हिन्दुओं को 25 साल हो जायेंगे उनके
पुनर्वास के लिए सरकार को ढोस कदम उठाने चाहिए,सोमवार 18
जनवरी 2016 समय 11:00 बजे
को आगरा जिलाधिकारी आगरा को केन्द्रीय गृहमंत्री को संबोधित ज्ञापन सोंप कर कश्मीर
से निर्वासितों के पुनर्वास का मामला उठाया जायेगा।