8 जनवरी 2016

सांस्‍कृतिक मानचित्रण के लिए 55 लाख से अधिक कलाकारों का डेटा

संस्‍कृति मंत्रालय ने ‘भारत के सांस्‍कृतिक मानचित्रण’ परियोजना के तहत कलाकारों का डाटा एकत्रित करने की शुरूआत की है। इसका उद्देश्‍य भारत की भौगोलिक स्थिति पर एक सर्वेक्षण करना है। सांस्‍कृतिक संसाधन एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी), नई दिल्‍ली को कलाकारों के आंकड़ों की प्रविष्टि करने का काम सौंपा गया है। अभी तक 55 लाख से अधिक कलाकारों का डाटा एकत्रित किया जा चुका है। संस्‍कृति मंत्रालय कलाकारों का डाटा एकत्रित करने के लिए राज्‍य सरकारों एवं अन्‍य संगठनों की भी मदद ले रहा है। 


इस योजना के तहत राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के जरिये एक वेब पोर्टल विकसित किया जायेगा, जो सांस्‍कृतिक मानचित्रण के लिए सीधे कलाकारों से ऑनलाइन डाटा का संग्रह करेगा। यह किसी कलाकार के संग्रह (रिपाजिटोरी) के तौर पर काम करेगा और भविष्‍य में मंत्रालय द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्‍न सांस्‍कृतिक योजनाओं के तहत मदद उपलब्‍ध कराने के लिए इस्‍तेमाल किया जा सकेगा। इस उद्देश्‍य के लिए गठित की गई विशेषज्ञों की उपसमिति ने इस मिशन को चलाने और कोष उपलब्‍ध कराने के क्रम में मिशन दस्‍तावेज का एक मसौदा तैयार किया है। एक बार भारत के सांस्‍कृतिक मानचित्रण के मिशन दस्‍तावेज के फाइनल हो जाने के बाद इसे परामर्श के लिए नीति आयोग और अन्‍य मंत्रालय को भेजा जायेगा। 

संस्‍कृति मंत्रालय का काम मानव जाति के लाभ के लिए भारत की संस्‍कृति एवं विरासत को लोकाचार और मूल्‍यों के साथ-साथ संरक्षित रखना, अन्‍वेषण करना, बढ़ावा देना तथा दूसरों के साथ साझा करना है। अन्‍य के साथ-साथ इस परिकल्‍पना के अनुसरण में मंत्रालय कुछ वित्‍त आधारित योजनाओं का प्रबंध कर रहा है, ताकि आगामी और नवोदित कलाकारों की पहचान की जा सके, उन्‍हें प्रशिक्षित किया जा सके और उन्‍हें निरंतर आधार पर आगे बढ़ाया जा सके। यह छात्रवृत्ति, फैलोशिप, पेंशन और अनुदान/सहायता जैसे अन्‍य तरीकों से किया जा सकता है। देश के कोने-कोने में पहुंचने के लिए कलाकारों और लोक कलाओं का ऐसा डाटा तैयार करने की जरूरत है। इसे सांस्‍कृतिक मानचित्रण के जरिये किया जा सकता है। यह एक ही जगह पर व्‍यवस्थित तरीके से डाटा उपलब्‍ध करायेगा और मंत्रालय द्वारा कलाकारों और सांस्‍कृतिक संगठनों के लिए चलाई जाने वाली विभि‍न्‍न वित्‍तीय अनुदान योजनाओं को सरल एवं युक्तिसंगत बनाने में मददगार होगा। साथ ही साथ इससे पारदर्शिता, पैसे का सदुपयोग और प्रभावशीलता सुनिश्चित होगी।