--वाणिज्य कर प्रशासन को चार सूत्रीय ज्ञापन भी दिया
आगरा: टैक्सेशन बार एसोसिएशन आगरा के तत्वावधान में अधिवक्ताआं ने संगोष्ठी
कर
(टैक्स बार ऐसोसियेशन की बैठक में मंचस्थ हैं एड.कमिश्नर अपील ए के जैन वं अन्य) |
अपीलीय वादो के निस्तारण को लेकर आ रही व्यवहारिक
परेशानियों के बारे में मौजूदा हालातों में विधिसम्मत बदलाव की मांग की।इस
अवसर पर एक चार सूत्रीय ज्ञापन भी वकीलों की ओर से एसोसियेशन के द्वारा दिया
गया।
एसोसियेशन के महासचिव अनिल आदर्श के अनुसार
जो मांगे वाणिज्यकर प्रशासन के समक्ष रखी गयी हैं उनमें शामिल है स्थगन प्रार्थना पत्रों के निस्तारण
पर ऐसिस की गयी कर राशि में से
अधिकतम 70 से 80 प्रतिशत की अदायगी को ही स्थगित किये जाने की प्रचलित परंपरा के स्थान पर ततकालिक राहत का दायरा बढाये जाने की अपेक्षा शामिल है।इस ओर संगठन की ओर से अधिक उदारता अपेक्षित की गयी है।इसी प्रकार स्थगन सुनवायी के बाद वाद की सुनवायी पुन:शुरू होने करने के लिये अलग से तारीख की जानकारी दिये जाने वाला नोटिस जारी किया जाये।यह अपेक्षा विधि सम्मत भी है।स्थगन को दिये गये प्रार्थना पत्र की सुनवायी के दिन अगर पीठासीन अपीलीय अधिकारी किसी कारण अनुपस्थित हैं तो उनके स्थान पर अन्य अधिकारी के द्वारा भी अपील या देरी पर क्षमा को दिये प्रार्थना पत्र पर विचार किया जाना अपेक्षित है।
अधिकतम 70 से 80 प्रतिशत की अदायगी को ही स्थगित किये जाने की प्रचलित परंपरा के स्थान पर ततकालिक राहत का दायरा बढाये जाने की अपेक्षा शामिल है।इस ओर संगठन की ओर से अधिक उदारता अपेक्षित की गयी है।इसी प्रकार स्थगन सुनवायी के बाद वाद की सुनवायी पुन:शुरू होने करने के लिये अलग से तारीख की जानकारी दिये जाने वाला नोटिस जारी किया जाये।यह अपेक्षा विधि सम्मत भी है।स्थगन को दिये गये प्रार्थना पत्र की सुनवायी के दिन अगर पीठासीन अपीलीय अधिकारी किसी कारण अनुपस्थित हैं तो उनके स्थान पर अन्य अधिकारी के द्वारा भी अपील या देरी पर क्षमा को दिये प्रार्थना पत्र पर विचार किया जाना अपेक्षित है।
एसोसियेशन के द्वारा उठाये गये अन्य मुद्दों में अपील मीमो में
दिये गये आधारों की विवेचना जो कि न्याय व विधि के हित में किया जाना चाहिये
जबकि वर्तमान में सामान्य प्रक्रिया के तहत समस्त आधारों पर विवेचना नहीं की
जाती ।संबधित नियम 63(5) का सही तरह पालन हो।
अधिवक्ताओं ने कहा है कि अपीलीय वाद में सुनवायी के दौरान अपने
पक्षाकार के सम्बन्ध में अगर कोयी न्यायलय
का आदेश प्रस्तुत किया जाता है तो उसे पूरी गंभीरता के साथ लिय जाना चाहिये जो
कि न्यायहित तथा वादकारी दोनों के ही हित में है।
अधिवक्ताओं के संगठन ने कहा है कि अपीलीय आधीन आदेश में वाद रिमांड
करते समय ऐसे तथ्यों का उल्लेख किया जाता है जो कि नतो कर निर्धारण आदेश में
ही निहित है और नहीं अपील मीमो के आधार पर ही होते हैं।
वकीलों के द्वारा अपनी वेदना से फिलहाल एडीशनल कमिश्नर अपील-1
श्री ए के जैन तथा एडी एफमि अपील-2 को अवगत करवाने के साथ ही अपेक्षा की गयी है
कि उनके द्वारा उठाये गये मुद्दों को वाणिज्य कर प्रशासन गंभीरता से लेगा ।एडीशनल कमिश्नर अपील वाणिज्यकर के साथ होना
सुनिश्चित हुआ है इस बैठक में व्यापारियां के साथ अपीलीय वादां में दिनप्रतिदिन
होने वाली परेशानियां को रखा जाएगा एवं अधिकारियां द्वारा उनका निराकरण करने की
अपेक्षा की जाएगी।(--दैनिक देशरत्न की रिपोर्ट पर आधारित)