18 सितंबर 2015

भारत में गिद्धों को विलुप्त होने से बचाने के प्रयास

नई दिल्ली। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गिद्धों को विलुप्त होने से बचाने और उनके संरक्षण के लिए स्वास्थ्य और पर्यावरण मंत्रालय से डायक्लोफेनेक दवाई की बिक्री को केवल एक खुराक तक सीमित रखने का अनुरोध किया है। डायक्लोफेनेक के पशु चिकित्सा संबंधी प्रयोग के लिए प्रतिबंधित होने के बावजूद इसका दुरूपयोग बड़े पैमाने पर पशु चिकित्सा संबंधी कार्यों के लिए किया जा रहा था, जिससे गिद्धों की जनसंख्या पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। 
पशुओं के लिए सामान्य तौर पर प्रज्वलनरोधी दवा को हाल के वर्षों में गिद्धों की जनसंख्या में तेजी से हो रही कमी के लिए जिम्मेदार माना जाता है। यह दवाई पशुओं के लिए नुकसानदेह नहीं होती है, लेकिन यह गिद्धों के लिए घातक साबित होती है, जो सामान्य तौर पर मृत पशुओं के शवों का भोजन करते हैं। अध्ययनों से यह पता चला है कि इस दवाई से गिद्धों की किडनी और लीवर खराब हो जाते हैं।इससे पहले वर्ष 2006 में केन्द्र सरकार ने पशुओं के उपचार के लिए डायक्लोफेनेक के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया था।