नई दिल्ली : पत्रकारों, एनजीओ कार्यकर्ताओं और फिल्मकारों के जेल में प्रवेश करने पर पाबंदी होगी । सिर्फ विशेष आग्रह की स्थिति में प्रवेश संभव हो सकेगा। यह फैसला जेल में बंद कैदियों के इंटरव्यू की कई घटनाएं सामने आने पर लिया गया। इन घटनाओं में 16 दिसंबर को ब्रिटिश फिल्मकार लेसली उडविन द्वारा बनाई गई डॉक्युमेंट्री भी शामिल हैं।लेसली ने तिहाड़ जेल में बंद इस मामले के दोषी के इंटरव्यू के आधार पर यह डॉक्युमेंट्री बनाई थी। गृह मंत्रालय ने सभी प्रांतों और केंद्र शासित राज्यों को भेजी एडवाइजरी में कहा, 'किसी भी व्यक्ति, प्रेस, एनजीओ और कंपनी को जेल में रिसर्च करने डॉक्युमेंट्री बनाने, लेख लिखने या इंटरव्यू के लिए जेल में घुसने की इजाजत सामान्य रूप से नहीं दी जानी चाहिए।' यदि प्रशासन को लगता है कि कोई डॉक्युमेंट्री, लेख, शोध और सामाजिक प्रभाव या जेल सुधार के लिए हैं तो राज्य सरकारें इजाजत दे सकती हैं।