30 जून 2015

बुंदेलखंड का अनोखा बैंक, नोट की जगह यहां जमा होती है रोटियां

--शैलेश पराशर

बुंदेलखंड का अनोखा बैंक
महोबा: बैंक तो आप ने बहुत देखे और सुने होंगे। शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा, जिसका किसी बैंक में कोई खाता न हो, लेकिन बुंदेलखंड के महोबा जिले में एक ऐसा अनोखा बैंक खुला है जहां नोट नहीं बल्कि रोटियां गिनी जाती हैं। यहां लोग पैसा नहीं, बल्कि रोटियां जमा करने आते हैं। इस बैंक का नाम 'रोटी बैंक' है। इसके जरिए गरीब, बेसहारा, अनाथ और लाचार लोगों की रोटियां देकर भूख मिटाई जाती है। यह बैंक बुंदेली समाज के लोगों द्वारा चलाया जा रहा है।
बुंदेलखंड के जिला महोबा में गरीबी और भूख की वजह से कई मौत हो चुकी है। बेसहारा, अनाथ और शारीरिक रूप से कमजोर लोग भीख मांगकर अपना पेट भरने पर मजबूर हैं। उनकी ये हालत देखकर बुंदेली समाज के तारा पाटकर और हाजी मुट्टन ने एक अनोखी पहल शुरू करने की सोची। उन्होंने रोटी बैंक की शुरुआत की, जिसमें दो रोटी की किस्त जमा करनी होती है। शुरू में इस बैंक में 10 घरों से ही रोटी मिलती थी, लेकिन धीरे-धीरे यह कारवां बढ़कर 400 घरों तक पहुंच चुका है। इन सभी घरों से 800 रोटियां जमा की जाती हैं, जिन्हें पैकेट बनाकर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जाता है।
घर-घर जाकर इकट्ठा करते हैं रोटियां :
शाम होते ही हाथों में थैला लिए हुए कुछ युवक घरों से रोटियां इकट्ठा करने के लिए पहुंच जाते हैं। उनकी टोली जैसे ही दरवाजे पर पहुंच कर रोटी बैंक की आवाज लगाती है वैसे ही लोग बाहर आकर दो रोटी जमा कर देते हैं। इसके बाद बैंक के यह युवा कार्यकर्ता घरों से इकट्ठा की गई रोटियों को मोहल्ला मिल्कीपुरा में बने बैंक के दफ्तर में जमा करते हैं। यहां रोटियों की गिनती और रजिस्टर में उनकी इंट्री होने के बाद पैकेट्स को लोगों तक पहुंचाया जाता है।