8 जून 2015

कोयला घोटाले से देश में बिजली क्षेत्र का विकास काफी मंद पड़ गया

नरेन्‍द्र मोदी
नई दिल्ली:भारत में आधारभूत सुविधाओं की कमी होना एक सबसे बड़ी समस्‍या है, जो देश की तीव्र आर्थिक प्रगति, विशेषकर बिजली उत्‍पादन क्षेत्र के लिए बाधक है। इस बाधा से अवगत प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की सरकार ने इस क्षेत्र को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए पिछली संप्रग सरकार द्वारा कोयले की नीलामी में गड़बडि़यों को ठीक करते हुए कई उपाय किए हैं। अकेले कोयला घोटाले के कारण देश में बिजली क्षेत्र का विकास काफी मंद..
पड़ गया था और हमारा देश इस क्षेत्र में कई वर्ष पीछे चला गया। भारत का बिजली उत्‍पादन 266 लाख मेगावॉट के स्‍तर पर है और अगले 4 से 5 वर्षों में वार्षिक सकल घरेलू उत्‍पाद में 8-9 प्रतिशत अनुमानित वृद्धि के साथ इसकी मांग दुगुने से भी अधिक होने की संभावना है। ऐसे में बिजली की मांग को पूरा करना एक बहुत बड़ा काम होगा, क्‍योंकि न केवल औद्योगिक और कृषि के क्षेत्र में वृद्धि के कारण इसकी मांग बढ़ेगी, बल्कि मध्‍यवर्गीय लोगों के जीवनस्‍तर में सुधार आने के साथ इनकी संख्‍या 30 करोड़ तक पहुंचने के साथ घरेलू उपभोग में भी इसकी मांग बढ़ेगी,सरकार आधारभूत विकास के क्षेत्र में 1000 अरब अमरीकी डॉलर मूल्‍य का व्‍यय कर रही है और अगले पांच वर्षों में बिजली क्षेत्र में कम से कम 300 अरब अमरीकी डॉलर मूल्‍य के बराबर व्‍यय होने का अनुमान है। पहले की तरह ही वित्‍तपोषण कोई मुद्दा नहीं है, किन्‍तु कुशल कामगारों की कमी एक रूकावट बन सकती है और नई सरकार की ओर से इस समस्‍या के निदान के लिए पर्याप्‍त कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि आधारभूत क्षेत्र में भी सार्वजनिक निजी भागीदारी के अच्‍छे परिणाम प्राप्‍त नहीं हुए हैं और इसमें कुछ सुधार की आवश्‍यकता है। यही कारण है कि वित्‍त मंत्री श्री अरूण जेटली ने केन्‍द्रीय बजट में लगभग एक लाख करोड़ रूपये के निवेश के साथ 20,000 मेगावॉट ताप बिजली के उत्‍पादन के लिए बृहद बिजली संयंत्रों की स्‍थापना की घोषणा की थी। ऐसे 4000 मेगावॉट क्षमता वाले पांच बिजली संयंत्रों में से पहले संयंत्र की स्‍थापना ओडि़शा में और इसके बाद एक अन्‍य संयंत्र की स्‍थापना तमिलनाडु में की जाएगी।