- नगर निगम की सेवाओं के स्तर में भारी गिरवाट का साख पर प्रतिकूल असर
- व्यापार कर विभाग के काम काज में पारर्दिशता की स्थिति शून्य
(रईसुद्दीन :अध्यक्ष तो एक बार फिर बन आये,अब सवाल पार्टी की साख में लगे खोटों को दूर करने का) |
सबसे बडी बात यह है कि..
समाजवादी पार्टी के नेता संगठन में बदलाव के लिये अब तक आम सदस्य की भागीदारी को महत्व हीन करते रहे हैं।पूरे प्रदेश में एक भी जगह पिछले जिला और महानगर संगठन में बदलाव या नये पदाधिकारियों को बनाये जाने में संगठनात्मक चुनाव पद्यित का सहारा नहीं लिया गया ।यही नही अधिकांश मामलों में तो स्थानीय कार्यकर्त्ताओं की राय जानने को पर्यवेक्षक तक भेजने की जरूरत नहीं समझी गयी। फलस्वरूप केवल लाविस्ट ही असरदार सावित हो रहे हैं।राजनैतिक बदलावों में यू तो सभी सरकारी विभागों के अधिकारियों की दिलचस्पी है किन्तु सबसे अधिक सक्रिय योगदान उ प्र जल निगम के अधिकारी ले रहे हैं।ग्रामीण अभियंत्रण सेवा और सिचायी विभाग से जुडे कुछ अन्य भी इसी प्रकार की आंतरिक सरगर्मियों में लिप्त हैं।
समाजवादी पार्टी के नेता संगठन में बदलाव के लिये अब तक आम सदस्य की भागीदारी को महत्व हीन करते रहे हैं।पूरे प्रदेश में एक भी जगह पिछले जिला और महानगर संगठन में बदलाव या नये पदाधिकारियों को बनाये जाने में संगठनात्मक चुनाव पद्यित का सहारा नहीं लिया गया ।यही नही अधिकांश मामलों में तो स्थानीय कार्यकर्त्ताओं की राय जानने को पर्यवेक्षक तक भेजने की जरूरत नहीं समझी गयी। फलस्वरूप केवल लाविस्ट ही असरदार सावित हो रहे हैं।राजनैतिक बदलावों में यू तो सभी सरकारी विभागों के अधिकारियों की दिलचस्पी है किन्तु सबसे अधिक सक्रिय योगदान उ प्र जल निगम के अधिकारी ले रहे हैं।ग्रामीण अभियंत्रण सेवा और सिचायी विभाग से जुडे कुछ अन्य भी इसी प्रकार की आंतरिक सरगर्मियों में लिप्त हैं।
से विधायकों का
रिपोर्ट कार्ड लेने के बाद सपा नेतृत्व संगठन के कामकाज की समीक्षा करेगा। इसके
लिए विधायकों से फीडबैक लिया जाएगा। जल्द ही उनकी बैठक बुलाए जाने की योजना है।
इसमें सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव मौजूद रहेंगे। पार्टी में
आम नेता और कार्यकर्त्ता की स्थिति क्या होगी इसका अंदाज इसी से लगाया जा
सकता है कि ढिलाई बरतने या अनुशासनहीनता के आरोपों में तीन महीने में नौ से ज्यादा जिला या महानगर
अध्यक्ष हटाए जा चुके हैं।आगरा को ही लिया जाये तो जिला अध्यक्ष पहले बदले जा
चुके हैं,अब पिछले नगर अध्यक्ष को महज इस लिये हटना पडा क्यों कि नगर निगम
के काम काज को लेकर वह लगातार सरकार और पार्टी पदाधिकारियों के पास फीडबैक भेजता
रहता था।
जो भी हो वर्तमान में समाजवादी
पार्टी को शहरी जनजीवन में अपनी साख बनाने को काफी मेहनत करनी है।खास कर नगर निगम
से संबधित सेवाओं के मोर्चे पर। एक अन्य मोर्चा व्यपारकर और ट्रेड टैक्स का
है,व्यापारी इस समय भारी कष्ट में है।जिसमें काम काज से पारदर्शिता पूरी तरह
से नदारत है।