26 जून 2015

स्‍व राजीव गांधी की सरकार का 74वां संवि‍धान संशोधन लागू हो, तभी बन सकेगा आगरा स्‍मार्ट सि‍टी

     (राजीव सक्सेना) स्‍मार्ट सि‍टी योजना और जे एन यू आर एम के बीच क्‍या अंतर है समझ से परे है। मोदी सरकार नाम बदलने के चक्‍कर में भारी जनधन खर्च करने और पुराने घपले वाजों को लाभ पहुंचाने में चैंपि‍यन साबि‍त हो रही है। आगरा की अवस्‍थापना सुवि‍धाओं पर टी टी जैड ए के तहत भारी भ्‍रकम राशि‍ खर्च हो चुकी है।केवल गोकुल बैराज के अलावा के अलावा कुछ भी उल्‍लेखनीय नहीं दि‍खता।इसके बाद जेनार्म के नाम पर खर्चा हुआ।टैक्‍स बढाकर नगर नि‍गम ने शहरवासि‍यों से योजना के परि‍णाम शून्‍य रहने के बावजूद रि‍वाइज्‍ड रेट से वसूली शुरू...
कर दी। अब स्‍मार्ट सि‍टी का खेल शुरू हो गया है।देश के अन्‍य शहरों में अगर कोयी काम होता ह तो आगरा में नहीं हो यह बात नहीं है।कि‍न्‍तु शहर वालों को तो इसकी जानकारी होनी ही चाहि‍ये। जेनार्म की तरह ही यह भी संवि‍धान के 74 वे संशोधन के लागू हो जाने की अपेक्षा के साथ शुरू हुई है। जनसहभागि‍ता वाला नि‍गम इसको असरदर करने का पहला आधार हैं और आगरा मंडल के नि‍कायों में 74वां संवि‍धान संशोधन खंडि‍त तरीके से लागू है।मंणलायुक्‍त को इस परि‍प्रेक्ष्‍य में समीक्षा करनी चाहि‍ये।अगर कोई वजह या पूर्व के शासनादेशा इसका कारण रहे हैं तो तो उनके बारे में शासन को सूचना देनी चाहि‍ये।अन्‍यथा स्‍मार्ट सि‍टी योजना भी, काम काज के ट्रांसपेरेसी वाले काल में भी 'आईरन कर्टेन ' से ढकी हुई ही रहेगी और परि‍णाम भी नहीं आ सकेंगे।