4 अप्रैल 2015

दीवारों पर ही नहीं बच्चों की जिंदगी मे भी रंग भरने की कोशिश

--नयी बनियाँनेसाबुन तेलशैम्पू आदि‍ के से नहाने के बाद फलबिस्किट भी उपलब्‍ध करवाये जाते हैं 

( नरेश पारस की टीम के साथ बच्‍चों की गुड मार्नि‍ंग)
आगरा:अपने शहर को साफ सुथरा रखने की कोशि‍श के साथ ही समाज सेवा का जनून रखने वाले सामज सेवी नरेश पारस पिछले एक साल से झुग्गी-झोपड़ियो के बच्चो उन बच्‍चों की सामाजि‍क हालातों से तय की जा चुकी उस नि‍यति‍ को बदलने के अभि‍यान में भी जुटे हुए है जि‍नका न तो वर्तमान हे और नहीं अब तक उज्‍वल भवि‍ष्‍य को लेकर कोयी योजना ही तय थी।
श्री पारस  रविवार को झुग्गी-झोपड़ियो के बच्चो के बीच जाते हैं फि‍र
उन्‍हें अपने अंदाज में एकत्र करते हैं।फि‍र देखते ही देखते उनसे बातचीत का सि‍लसि‍ला शुरू हो जाता है।शुरूआत में श्री पारस को अकेले यह सब करना होता था कि‍न्‍तु धीरे धीरे उनके कई सहयोगी भी बन गये हैं।अब तो खैर उन लोकेलि‍टि‍यों के लोग खुद भी उनके काम में हाथ बंटाने आगे आ जाते हैं जि‍सके ये होनहार होते हैं।
रवि‍वार की प्रात: शरू होती है बच्‍चों से उनकी अपनी उन कहानि‍यों से जि‍न्‍हें श्री पारस से पहले कभी भी कि‍सी ने सुनने को वकत नहीं नि‍काला। फि‍र आती है बारी साफ सफाई के साथ रहने की चर्चा का। श्रीपारस नहलाने का काम कि‍सी छोटे बच्‍चे को अपने हाथ से नहलाने के साथ शुरू करते हैं और देखते ही देखते एकत्रि‍त बच्‍चों में से सभी स्‍वयं नहाने लगते हैं।पानी का इंतजाम,  करने के अलावा बच्चो के लि‍ये नयी बनियाँने, साबुन, फल, बिस्किट, तेल, शैम्पू आदि की उपलब्धता करवाना इस अभि‍यान का हि‍स्‍सा है।
नहाने –नहलाने के इस सि‍लि‍सले से पहले पारस जी की टीम गंदी जगहों की सफाई का काम करती है।खास तौर से उन स्‍थानों पर जहां लोग पेशाब करते हैं ।मूत्र त्‍याग करने वालो के द्वारा गंदी की गयी दीवारों को साफ करने के बाद अपने हाथों से पेन्ट करने का काम भी होता है। ‘ऐकला चलो रे’ की तर्ज पर शुरू की गयी इस मुहि‍म में  अब श्री रवि बंसक\, रवीन्द्र अग्रवाल, वेद प्रकाश आर्य और उनकी धर्मपत्नी, दीपक लॅवानिया , प्रेमकांत यादव भी सहयोगी हो चुके हैं ।इस टीम को उम्‍मीद है कि‍ आने वाले वक्‍त में और लोग भी उनके साथ इस काम में जुडेंगे