13 मार्च 2020

मास्क और हैंड सैनिटाइजर की चोरबाजारी बहुत महंगी पड़ेगी अब

नई दिल्ली - विगत कुछ सप्ताहों के दौरान कोविड-19 (कोरोना वायरस) के मौजूदा प्रकोप और कोविड-19 प्रबंधन के लिए लॉजिस्टिक संबंधी चिंताओं के परिप्रेक्ष्य में तथा यह भी देखते हुए कि मास्क और हैंड सैनिटाइजर या तो बाजार में अधिकांश विक्रेताओं के पास उपलब्ध नहीं है अथवा बहुत अधिक कीमतों पर काफी मुश्किल से उपलब्ध हो रहे हैं, सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की अनुसूची में संशोधन करते हुए, इन वस्तुओं को दिनांक 30 जून, 2020 तक आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत आवश्यक वस्तु के रूप में घोषित करने के लिए एक आदेश अधिसूचित किया है।आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार की शक्तियां वर्ष 1972 से 1978 के आदेशों के माध्यम से राज्यों को पहले ही प्रत्यायोजित की जा चुकी हैं।  आवश्यक वस्तु अधिनियम और चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत उल्लंघनकर्ताओं के विरूद्ध कार्रवाई कर सकते हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत किसी उल्लंघनकर्ता को 7 वर्ष के कारावास अथवा जुर्माने
अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है तथा चोरबाजारी निवारण एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत, उसे अधिकतम 6 माह के लिए नजरबंद किया जा सकता है। सरकार ने विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत एक एडवाइजरी भी जारी की है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत, राज्य, विनिर्माताओं के साथ विचार-विमर्श करके उनसे इन वस्तुओं की उत्पादन क्षमता बढ़ाने, आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू बनाने के लिए कह सकते हैं जबकि विधिक माप विज्ञान अधिनियम के तहत राज्य इन दोनों वस्तुओं की अधिकतम खुदरा मूल्य (एम.आर.पी.) पर बिक्री सुनिश्चित कर सकते हैं।

इन दोनों वस्तुओं के संबंध में, राज्य अपने शासकीय राजपत्र में अब केंद्रीय आदेश को अधिसूचित कर सकते हैं और इसके लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अपने स्वयं के आदेश भी जारी कर सकते हैं और संबंधित राज्यों में व्याप्त परिस्थितियों के अनुसार कार्रवाई कर सकते हैं। 

यह निर्णय सरकार और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को मास्क (2 प्लाई एवं 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन95 मास्क) और हैंड सैनिटाइजर के उत्पादन, गुणवत्ता, वितरण आदि को विनियमित करने और इन वस्तुओं की बिक्री और उपलब्धता को सहज बनाने तथा आदेश के उल्लंघनकर्ताओं आदि एवं इनके अधिमूल्यन, कालाबाजारी आदि में शामिल व्यक्तियों के विरूद्ध कार्रवाई करने के सशक्त बनाएगा। इससे आम जनता को दोनों वस्तुओं की उचित कीमतों पर अथवा अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की सीमा में उपलब्धता बढ़ेगी। राज्यों को उपरोक्त दोनों वस्तुओं के संबंध में उपभोक्ताओं द्वारा शिकायतें दर्ज कराने के लिए राज्य उपभोक्ता हेल्पलाइन का प्रचार करने की सलाह भी दी जाती है।