22 मार्च 2020

गौ मूत्र का सेवन कर शरीर को संक्रमण प्रति‍रोधी बना 'कोरोना वायरस' को ' पटकनी ' दें

चक्रपाणी महाराज की पार्टी 'जनस्‍वास्‍थ्‍य को समर्पि‍त एक सामायि‍क आयोजन था
(श्री आर के सचदेवा)

आगरा - कौरोना वायरस से जनि‍त संक्रामक की  चुनौती का सामना  शरीर की प्रति‍रोधी क्षमता को बढाकर ही कि‍या जा सकताहै। संक्रमकता के भय से उभरने के लि‍ये एलोपैथी चि‍कि‍त्‍सा पद्यति आधरि‍त शोधों के परि‍णामों पर एतवार करने के साथ ही उन पुराने तरीको को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहि‍ये जो उन पद्यति‍यों पर आधारि‍त हैं जो कि भारत में एलोपैथी चि‍कि‍त्‍सा पद्यति के प्रचलन पूर्व यानि 1854 ( एस एन मैडीकल कॉलेज यानि उस समय के थॉमसन  मैडीकल स्‍कूल का स्‍थापना वर्ष )  से पूर्व तक आगरा ही नहीं समूचे राजपूताना क्षेत्र व बृज मंडल प्रचलि‍त रही।
संक्रमण प्रति‍रोधी शरीर
उधर गौ सेवा एवं पंचगव्‍य की महत्‍ता को स्‍वीकार करने वाले  ह्यूमन ड्यूटीज फाऊंडेशन (एच डी एफ) के अध्‍यक्ष श्री आर के सचदेवा जो कि गौ पालन में अभि‍रुचि रखते हैं का कहना है 
कि ‍प्राप्‍त जानकारि‍यों के अनुसार अगर कोरोना वाइरस शरीर की प्रति‍रोधक शक्‍ति‍ को बढा कर रोका जा सकता है तो गौ मूत्र इसके प्रभाव को नि‍ष्‍प्रभावी करने में उपयोगी साबि‍त हो सकता है। हालांकि गौ मूत्र ( C U-- Cow Urine ) की महत्ता  समाज में सहज स्‍वीकार्य है और इसके उपयोग का प्रचलन प्राचीन समय से हैं अनेक असाध्य रोगों की चिकित्सा में उपयोगी माना गया है। उन्‍होंने कहा कि‍ वह  चि‍कि‍त्‍सक तो नहीं हैं इस लि‍ये दूसरों के लि‍ये साअधि‍कार कुछ नहीं कहना चाहेंगे कि‍न्‍तु  अपने अनुभवों के आधार पर इसे शरीर की प्रति‍रोधक क्षमता में  बढ़ोतरी करने वाला अवश्‍य मानते हैं।
एक जानकारी में उन्‍होंने बताया कि‍ वह देसी गाय पालक  हैं और जबतब के व्‍यक्‍ति‍गत   उपयोग के लि‍ये  'डि‍स्‍टलरी एप्रेटस ' से शोधि‍त गौमूत्र( C U) का सेवन करते हैं।
 चक्रपाणीजी की गौपार्टी था एक सामायि‍क अयोजन :
उन्‍होने कहा कि कोरोना वायरस का प्रभाव शुरू होन से पूर्व हि‍न्‍दू धर्म गुरू चक्रपाणी महाराज के द्वारा दि‍ल्‍ली में आयोजि‍त 'गौ मूत्र ' एक सामायि‍क आयोज था। यह बात अलग है कि‍ आम नागरि‍क  के जन स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े   इस कार्यक्रम का अपेक्षि‍त प्रचार नहीं हो।
औषध गुण से भरपूरता 
उनका कहना है कि जो जानकारियाँ पंचग्‍वय उपयोग आधारि‍त जीवन  पद्यति प्रचार को समर्पि‍त  वि‍भि‍न्‍न संस्‍थओं के  आधि‍कारि‍क  स्रोतों एवं गौमूत्र सेवकों से मि‍लती रही हैं उनके अनुसार  गोमूत्र में नाइट्रोजन, सल्फर , अमोनिया, कॉपर, लौह तत्त्व, यूरिक एसिड, यूरिया, फास्फेट, सोडियम, पोटेसियम, मैंगनीज, कार्बोलिक एसिड, कैल्सिअम, नमक, विटामिन बी, ऐ, डी, ई एंजाइम, लैक्टोज, हिप्पुरिक अम्ल, कैरोटिन, स्वर्ण क्षार  समावेशि‍त होते हैं।जि‍सके फलस्‍वरूप यह लिवर सहि‍त पेट की बीमारियों, चर्म रोग, बवासीर, जुकाम, जोडों के दर्द, हृदय रोग की चिकित्सा में लाभ देने वाला पाया गया है।