21 मार्च 2020

पचास वर्ष की उम्र के बाद जारी ओ सी आई कार्ड रि‍न्‍युअल करवाने की जरूरत नहीं

वि‍देश में रहने वाले भारतीयों को भ्रांति‍ दूर होने से बड़ी राहत 

( ओ सी आई ' प्रवासि‍यों के लि‍ये है  'महत्‍वपूर्ण ' )
( दीपक सक्‍सेना) आगरा:वि‍देश में रहने वाले भारतीय मूल के सीनि‍यर सि‍टीजनों को अब अपने ओवरसीज  सि‍टीजन आफ इंडिया कार्ड (OCI) के लि‍ये भारतीय दूतावास  और उच्चायुक्तों  के अनावश्‍यक  चक्‍कर नहीं लगाने पड़ेंगे ।भारत सरकार के वि‍देश मंत्रालय ने वि‍देश में रहने वाले बुजुर्गों की परेशानी को संज्ञान में लेकर अपने पूर्व के मूल आदेश में कि‍ये गये संशोधन  को लेकर बनी भ्रांति की  स्थिति को समाप्‍त कर दि‍या है। 
 आधि‍कारि‍क रूप से स्‍पष्‍ट कि‍या है कि वि‍देशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरि‍कों को अब जीवन पर्यंत उपयोग में लाये जाने वाले ओवरसीज इंडि‍यन कार्ड में बदलाव नहीं करवाना पड़ेगा ,जोकि उन्‍हें 50 वर्ष की उम्र के बाद जारी हुए है।
वि‍देश मंत्रालय के ओवरसीज इंडि‍यन अफयर्स वि‍भाग के संयुक्‍त सचि‍व (Joint Secreatry OIA02) के द्वारा एक पब्‍लि‍क  ग्रीवांस  के तहत जानकारी में आधि‍कारि‍क रूपसे स्‍पष्‍ट कि‍या है कि‍ अगर ओसीआई कार्ड पचास साल से ऊपर की उम्र में बनवाया हुआ है तो इसे रि‍न्‍युअल करवाने की जरूरत नहीं है।
दरअसल वि‍देश मंत्रालय
के एक आदेश के बाद पासपोर्ट भरकर नया पासपार्ट जारी होने की स्‍थति‍ में ओसीआई कर्ड को भी बदलवाना जरूरी होगया  था। जबकि‍ यह लाइफ टाइम के लि‍ये जारी कि‍या हुआ बुकलैट है। इसके पीछे दलील दी गयी थी कि‍ अगर जानकारि‍यों में कुछ बदलाव हो जाता है तो उसे नये पासपोर्ट के साथ रि‍न्‍युअल करवाया जाना जरूरी है।
 जबकि‍ कि‍सी भी बदलाव के लि‍ये पहले से ही अलग प्रक्रि‍या नि‍यत है। अक्‍सर एन आर आई को अक्सर अपने कामों के लिए काफी वि‍देश यात्रायें करनी पड़ती हैं । फलस्‍वरूप उनके पासपोर्ट जल्‍दी जल्‍दी भर जाते हैं । अब भरे पासपोर्टो में लीफ अटैच करने की व्‍यवस्‍था भी समाप्‍त करदी गयी है । 
सभी कार्य व औपचारि‍कतायें आनलाइन करने का ही प्रावि‍धान है कि‍न्‍तु इसके बावजूद भारतीय दूतावासों ,काऊंसलेट्स  तथा हाईकमि‍श्‍नरों के कार्यालय सरकारी आदेशों और नि‍र्देशों में  स्‍पष्‍टता की थोडी से भी चूक हो जाने से समस्‍याओं के त्‍वरि‍त नि‍पटान की स्थिति में नहीं होते और कई बार छोटी सी समस्‍या के समाधान के लि‍ये नई दि‍ल्‍ली से ही स्‍पष्‍टीकरण अपेक्षि‍त कि‍ये जाते हैं।