मुगल दरबार के चितेरे गोबर्धन की पेटिग की प्रतिकृति से सुशोभित है यह घाट
मुगल चितेरे गोबर्धन की पेंटिग 'शांता' को घाट पर आंकित किया है वन विभाग के अनुबंधित चितेरे पूरन कुशवाह ने,फोटो असलम |
आगरा: सूर सरोवर के प्रति भावनात्मक लगाव को अनायास ही बढाने वाले शांता घाट का निरीक्षण प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री दारा सिंह चौहान और पर्यावरण एवं वन विभाग के राज्य मंत्री अनिल शर्मा के द्वारा किया गया।वे 'यूपी बर्ड फेस्टिवल 2020' के सिलसिले में 2फरवरी को यहां आये हुए थे।सूरसरोवर में पर्यटकों के लिये नावों का संचालन इस घाट से होता है। घाट की दीवारों को नेशनल चम्बल सैंचुरी प्रोजेक्ट के उपसंरक्षक आनंद कुमार श्रीवास्तव के द्वारा मुगल दरबार के पेंटर गोबर्धन के द्वारा यह बाल्मीकि रामायण में उल्लेखित विवरण पर आधारित श्री राम की बडी बहन 'शांता ' को लेकर की गयी पेंटिग के आधार पर से सुस्सजित करवाया गया है।नेशनल चम्बल सेंचुरी प्रोजैक्ट के संरक्षक सुनील चौधरी के द्वारा पेंटिग युक्त इस घाट का उद्घटन किया गया
था।
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मूल रूप से यह पेंटिग आगरा में ही बनी हुई है किन्तु पुन: यह अमेरिका के कलाकृतियों और पेंटिगों के कारोबारी चार्ल्स लैंग फरेर [Charles Lang Freer (February 25, 1854 – September 25, 1919)]के उपहार के रूप में भारत वापस लौटी। जो कि स्वयं भारत के प्रति सदभावनायें रखता था तथा स्वामी विवेकनन्द से प्रभावित था व स्वयं योग भी जानता था।इस पेंटिग की प्रतिकृति को घाट पर वन विभाग के पेंटर पूरन कुशवाह के द्वारा बनाया गया।जब कि यह चैम्बर आफ कामर्स ऐंड इंडस्ट्रीज उ प्र के पूर्वाध्यक्ष राजीव गुप्ता के द्वारा जलाधिकार फाऊंडेशन के माध्यम से उपलब्ध करवायी गयी थी।
राजीव गुप्ता (बांय) जलाधिकार के अध्यक्ष डा अनुराग शर्मा,घाट पर हैं भाजपा के वरिष्ठ नेता रजनीश त्यागी एवंं राजीव सक्सेना |
।फाऊंडेशन के अध्यक्ष डा अनुराग शर्मा ने कहा कि सूर सरोवर मूल रूप से उस सींगना गांव (विकास खंड अछनेरा) में स्थित है ,जहां कि विभंडक ऋषि और देवलोक की अफसरा मेनका के पुत्र के रूप में जन्मे थे और कलांतर में उनका विवाह दशरथ और कौशल्या की बडी पुत्री शांता के साथ हुआ था।शांता को दशरथ के साढू रोमपाद और उनकी पत्नी वर्षनी जो कि कौशल्या की सगी बहिन थी ने गोद लिया था। डा शर्मा ने कहा कि वह वन विभाग और राजीव गुप्ता के आभारी हैं ,जिनकी उदारता और सदभावा से सींगना गांव से संबधित पौराणिक बृतांत से सूरसरोवर भ्रमणार्थीयों को जोडना संभव होगा।