उप वन संरक्षक राष्ट्रीय चम्बल प्रोजेक्ट ने जलाधिकार और नाबार्ड प्रतिनिधि के साथ किया निरीक्षण
एक जानकारी में उन्होंने कहा कि वाटर चैनल यमुना नदी छोर पर सैंचुरी सीमा से पार कर होकर सींगना ग्राम पंचायत क्षेत्र में से होकर भी गुजरता है , पंचायत से संबधित ग्रामीण भी इस कार्य के लिये अग्रह करते रहे हैं ।
यमुना फ्लड प्लेन में प्रस्तावित वैटलैंड की संभावना का राष्ट्रीय चम्बल सैचुरी के उपसंरक्षक आनंद श्रीवास्तव ने किया आंकलन |
आगरा - सूर सरोवर परिसर में एक नए नमक्षेत्र (वैट लैंड ) को विकसित करने की संभावनाये जाने की संभावनाये विद्यमान हैं,राष्ट्रीय चम्बल सैंचुरी प्राजैकट के उप संरक्षक आनन्द श्रीवास्ताव ने उपरोक्त को दृष्टिगत 23 नवम्बर को सूर सरोवर के सैल्यूस गेट से यमुना नदी तक जाने वाले आठ सौ मीटर के उस वाटर चैनल का निरीक्षण किया जिससे होकर सरोवर से सरप्लस पानी का डिसचार्ज किये जाने पर यमुना नदी पहुंचता है। आठ सौ मीटर एरियल दूरी के इस वाटर चैनल को यमुना नदी तक पहुँचने में एक कि मी से अधिक की दूरी तय करनी पडती है। यह जिस क्षेत्र में से होकर बहता है वह यमुना नदी का खादारी
क्षेत्र है तथा नदी में ऊफान की स्थिति बनजाने पर इस क्षेत्र में नदी के पानी का जलविस्तार हो जाता है। इस प्रकार सूर सरोवर (कीठम झील) के सैल्यूस गेट के डाउन का यह समूचा क्षेत्र यमुना नदी का स्वाभाविक फ्लडप्लेन है और रार्ष्टीय जलसंरक्षण नीति के तहत जलक्षेत्र बनाये जाने के लिये सर्वथा अनुकूल है ।
श्री आनन्द मानते हैं कि सूर सरोवर सैंचुरी के डिसचार्ज सेy डाउन स्ट्रीम में जलक्षेत्र बनाया जान सैंचुरी के वन्यजीवों खास कर उथले पानी को अनुकूल कार्य है। इससे शीतकाल मे प्रवास करने आने वाले पक्षियों को एक और उथले पानी का जलक्षेत्र उपलब्ध हो जायेगा,जो गहरे पानी के स्थान पर उथले पानी को ही अधिक उपयुक्त मानते हैं। किन्तु सैंचुरी क्षेत्र होने के फलस्वरूप किसी भी कार्य को अनुमिति दिये जाने से पहले पूरी औपचारिक्ता सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं।
उपवन संरक्षक आनन्द श्रीवास्तव , साथ है जलधिकार फऊंडेशन के डा अनुराग शर्मा ,के डी के तिवारी, राजीव सक्सेना और मर्णाल अग्रवाल। |
एक जानकारी में उन्होंने कहा कि वाटर चैनल यमुना नदी छोर पर सैंचुरी सीमा से पार कर होकर सींगना ग्राम पंचायत क्षेत्र में से होकर भी गुजरता है , पंचायत से संबधित ग्रामीण भी इस कार्य के लिये अग्रह करते रहे हैं ।
वैसे जलाधिकार फाउंडेशन सूर सरोवर के डसचार्ज से सरोवर के डाउन और यमुना नदी के अपस्ट्रीम में एक और बडे जलाशय कार्निमाण किया जा सकता है। यमुना का खादारी क्षेत्र होने से इस जलाशय में बडी मात्रा में जलसंचय हो सकता है। यमुना नदी का फ्लड प्लेन हाने और सैंचुरी के वफर जोन के होने से इस पूरेक्षेत्र में केवल सीमित कार्य ही हो सके है अैर उनमें जलाशयबनायाजाना सर्वथा अनुकूल और सहज स्वीक;ति संभावना वाला कार्य है।
जलाधिकार फाऊंडेशन आगरा के अध्यक्ष अध्यच डा अनुराग शर्मा ने बताया कि लोअर लेक बनाये जाने की संभावना को दृष्टिगत 23 नवम्बर को चम्बल सैचुरी प्राजेक्ट के उपसंरक्षक श्री आनंन्द श्रीवास्तव के साथ जलाधिकार टीम के सदस्य के रूप में इंजीनियर डी के तिवारी, राजीव सक्सेना तथा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण बैंक (नाबार्ड) के प्रतिनिधि श्री मृणाल अग्रवाल भी मौजूद थे ।निरीक्षण कार्य के दौरान सैंचुरी के क्षेत्र न अधिकारी श्री सत्यपाल ने सूरसरोवर के डाउन भाग को यमुना के तट तक निरीक्षण करवाया और कहा कि अगर लोअर लेक बनायी जाती है तो पक्षियों के अलावा वनचरो के लिये भी अधिक अनुकूल स्थति बन जायेगी।साथ ही यमुना की ओर के उस खादारी क्षेत्र की आरे से भी सैचुरी सुरक्षित हो जायेगी जिसकी निगगरानी रखना चुनौतीपूर्ण और यमुना नदी के मानसून कालीन उफानों के कारण ऊंड्रीवाल बनाया जाना अधिक व्यवाहरिक नहीं है।