15 अक्तूबर 2019

आगरा के गुड मॉर्निंग ग्रुप द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत उ प्र में पोर्टल बनाने की मांग

आगरा। शहर के नागरिकों की सक्रिय संस्था  गुड मॉर्निंग संस्था ने मांग की कि  केन्द्र सरकार द्वारा सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन-पत्र को ऑनलाइन लगाने के लिए सभी मंत्रालयों व विभागों का  एक पार्टल बना रखा है, उसी तर्ज पर उ प्र  सरकार को भी सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत पोर्टल बनाना चाहिए। गुड मॉर्निंग आगरा  द्वारा यह मांग  सूचना अधिकार अधिनियम की 15वीं वर्षगांठ  के अवसर पर की गई।
संस्था के संरक्षक व वरिष्ठ अधिवक्ता के सी जैन द्वारा यह कहा गया कि ऐसी व्यवस्था बनाये जाने पर आवेदन-पत्र को डाक द्वारा भेजे जाने की जरूरत नहीं होगी और न ही पोस्टल ऑर्डर या ड्राफ्ट आदि द्वारा भुगतान करने की जरूरत होगी अपितु आवेदनपत्र के शुल्क का भुगतान क्रेडिट ,डेबिट कार्ड आदि के माध्यम से ऑनलाइन किया जा सकेगा, जिससे कागजी कार्यवाही बचेगी और शीघ्रता से सूचनायें प्राप्त हो सकेंगी।

संस्था की बैठक में यह भी मांग की गई कि अधिनियम की धारा 4(2) के अनुसार यह अनिवार्य है कि इण्टरनेट आदि के माध्यम से वैबसाइट पर विभागों द्वारा स्वतः सूचनायें उपलब्ध कराई जायेंगी किन्तु वर्तमान में यह देखा जाता है कि विभागों द्वारा वेबसाइट तो बना दी गई हैं किन्तु उन पर नाममात्र की सूचनायें अपलोड हैं, जिसके कारण लोग आवेदन-पत्र लगाकर सूचनायें प्राप्त करते हैं, जिससे सरकारी विभागों की लिखापढ़ी बढ़ जाती है और आवेदकों को भी परेशानी होती है, जिसके परिणामस्वरूप पारदर्शिता और सुशासन के प्रमुख उद्देश्य जिसको लेकर सूचना अधिकार अधिनियम 12 अक्टूबर 2005 को लागू किया गया था, पूरा नहीं हो पाता है। ऐसे समस्त विभाग जिनसे जनता का ज्यादा से ज्यादा सरोकार रहता है, उन्हें चाहिए कि वे समस्त सूचनाओं को अपनी वेबसाइट पर स्वतः उपलब्ध करायें। इन विभागों में आगरा की दृष्टि से आगरा स्मार्ट सिटी लि0, आगरा नगर निगम, आगरा विकास प्राधिकरण, ताज ट्रिपेज़ियम जोन प्राधिकरण, मुख्य विकास अधिकारी, लोक निर्माण विभाग आदि हैं, जिनका सालाना बजट करोड़ों का होता है और सोशल ऑडिट के रूप में जनता की भूमिका नाममात्र की रहती है।
संस्था की ओर से यह मांग भी की गई कि उ प्र  सूचना आयोग द्वारा सूचना न देने के लिए जो पैनल्टी लगाई जाती है, उसकी वसूली की कार्यवाही नहीं की जाती है, जिसके कारण विभागों में पैनल्टी का डर नहीं बना हुआ है। सूचना न देने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही भी नहीं होती है। इस संबंध में सूचना आयोग को अपनी कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन लाना चाहिए ताकि सूचना का अधिकार एक वास्तविक अधिकार और पारदर्शिता का माध्यम बन सके।
संस्था की बैठक में यह भी विचार आया कि अधिनियम के प्रचार प्रसार की अभी भी आवश्यकता है तथा उ प्र सूचना आयोग के स्तर पर शिकायतों एवं सैकेण्ड अपील के निस्तारण में जो विलम्ब होता है वह दूर होना चाहिए। समय सीमा के अंदर सूचना प्राप्त होना अधिनियम की मूल भावना है।
बैठक में के सी  जैन संरक्षक के अतिरिक्त किशोर जैन (सचिव), संतोष महेश्वरी, विजय सेठिया, मुकेश गर्ग, हेमेन्द्र अग्रवाल, बी बी महेश्वरी आदि उपस्थित थे।