27 सितंबर 2019

सौंदर्य से भरे इलाकों के मद्देनजर भारत में पर्यटन की बड़ी संभावनाएं

उपराष्ट्रपति  एम. वेंकैया नायडू ने पर्यटन उद्योग के सभी हितधारकों को उनकी गति‍विधियों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति आगाह करते हुए कहा कि पर्यटन से जुड़े क्रियाकलापों में जवाबदेही और सततता का होना जरूरी है।
      प्रदूषण की समस्या पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, उन्होंने पर्यटन सेवा प्रदाताओं से कहा कि वे पर्यावरण संरक्षण और सततता को अपनी व्यावसायिक गतिविधियों का अभिन्‍न अंग बनाएं। उन्होंने कहा कि संसाधनों के इस्‍तेमाल के बारे में अधिक विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी पर्यटन के सभी लाभ उठाने का अवसर मिल सके। नई दिल्ली में  विश्व पर्यटन दिवस -2019 समारोह का उद्घाटन करते हुए, श्री नायडू ने संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्‍ल्‍यूटीओ) द्वारा विश्व पर्यटन दिवस 2019 के उत्सव के लिए भारत को मेजबान देश के रूप में चुने जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।श्री नायडू ने यात्रा में ’नैतिकता’ के पहलू को ध्यान
में रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि पर्यटन गतिविधियां ऐसी होनी चाहिए जिससे लोगों और पर्यटन स्‍थलों के पर्यावरण को फायदा पहुंचे। उन्‍होंने कहा स्थानीय स्तर पर उपलब्‍ध उत्पादों और सेवाओं का इस्‍तेमाल करके पर्यटन को स्‍थानीय परिवारों के लिए बेहतर आय का स्रोत बनना चाहिए। उसे स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण के लिए एक सशक्‍त माध्‍यम के रूप में काम करना चाहिए।

      उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर पराग्वे की पर्यटन मंत्री सुश्री सोफिया मोंटील डे अफ़ारा के साथ मुलाकात की और पर्यटन के क्षेत्र में भारत-पराग्वे सहयोग के बारे में चर्चा की। श्री नायडू ने उनसे पर्यटन, व्‍यापार और वाणिज्य के लिए नागरिकों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए वीजा नियमों में ढील देने का सुझाव दिया और दोनों देशों के बीच लोगों से लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने का आह्वान किया।

उपराष्ट्रपति ने यूएनडब्ल्यूटीओ के महासचिव श्री जोराब पोलिलीकाशविलिविल के साथ भी मुलाकात की।      उपराष्ट्रपति ने कहा कि विश्व पर्यटन दिवस हर साल पर्यटन के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक पहलुओं के प्रति जागरूकता पैदा करने और वैश्विक समुदायों को यात्रा अनुभव और दुनिया की विविध संस्कृतियों का सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है।

      पर्यटन को आर्थिक विकास का एक प्रमुख इंजन और कई देशों में रोजगार तथा विदेशी मुद्रा की कमाई का एक महत्वपूर्ण स्रोत मानते हुए श्री नायडू ने कहा कि देश की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत, कई तरह की जलवायु तथा प्राकृतिक सौंदर्य से भरे इलाकों और स्थानों के मद्देनजर भारत में पर्यटन की बड़ी संभावनाएं हैं।

      उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि, विकसित और कम विकसित दोनों अर्थव्यवस्थाओं में, यात्रा और पर्यटन ने अन्य क्षेत्रों की तुलना में महिलाओं को अधिक अनुपात में रोजगार दिया है। उन्होंने ज्‍यादा से ज्‍यादा संख्‍या में महिलाओं को पर्यटन क्षेत्र में कैरियर के अवसरों का पता लगाने के लिए कहा।

      श्री नायडू ने भारत को 2019 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म कॉम्पिटिटिवनेस रैंक’ में 140 अर्थव्यवस्थाओं में से 34 वें स्थान पर रखे जाने पर कहा कि भारत उपमहाद्वीप क्षेत्र में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी यात्रा और पर्यटन अर्थव्यवस्था बनी रही।

      देश को पर्यटकों के लिए सुलभ और सुरक्षित बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के तहत वीजा नियम उदार बनाए जाने की व्यवस्था की सराहना की और कहा कि यह निश्चित रूप से पर्यटन के साथ व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करेगा।

      आम बजट 2019 में घरेलू और विदेशी पर्यटकों के प्रवाह को प्रोत्‍साहित करने के लिए देश के 17 पर्यटक स्‍थलों को विश्व स्तर के पर्यटन केंद्रों के रूप विकसित करने की योजना पर उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि इसके लिए पर्यटन क्षेत्र से जुड़े बुनियादी ढांचे को उन्‍नत बनाना जरूरी होगा। उन्‍होंने इस संबंध में निजी क्षेत्र से सहयोग करने का अनुरोध किया।

      उपराष्ट्रपति ने लोगों, विशेष रूप से युवाओं को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार, 2022 तक भारत के भीतर कम से कम 15 पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने को कहा।

      श्री नायडू ने छात्रों से भारत की संस्कृति, विरासत, भाषाओं और व्यंजनों के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानने और देश की बहुरंगीय अद्वितीय संस्‍कृति के बारे में समझ बढ़ाने के लिए छात्रों से  भारत दर्शन ’ भ्रमण  करने का आग्रह किया। उन्‍होंने कहा कि यह समझ देश के सामने आने वाली चुनौतियों का सरल और प्रभावी समाधान तलाशने में  मदद करेगी।   

उन्होंने पर्यटन सेवा प्रदाताओं को सलाह दी कि वे लगातार ई सेवा के लिए प्रयास करें।

      उपराष्ट्रपति ने चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में भारत की जबरदस्त संभावनाओं को भी रेखांकित किया और कहा कि भारत को अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आयुर्वेद और योग जैसे उपचार की अपनी प्राचीन प्रथाओं का लाभ उठाना चाहिए। 

      इस अवसर पर पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल, संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन के महासचिव श्री जोराब पोलिलीकाशविलिविल , पराग्वे की पर्यटन मंत्री सुश्री सोफिया मोंटील डी अफ़ारा, पर्यटन मंत्रालय के सचिव श्री योगेन्द्र त्रिपाठी और अन्य लोग उपस्थित थे।