18 सितंबर 2019

आगरा में एक बैस्‍ट प्रैक्‍टि‍स : सालभर पानी से भरपूर रहने वाली गोयल परि‍वार की 'तातपुर बंधी'

-- ग्रीष्‍म की तपती दुपहरी में भी संभव हुई है मीठे पानी की भरपूर उपलब्‍धता 
तातपुर बंधी के सैल्‍यूस गेट पर सि‍वि‍ल सोसायटी  के श्री अनि‍ल शर्मा
,पत्रकार सोनू सि‍ंघल एवं राजीव सक्‍सेना।फोटो:असलम सलीमी
(राजीव सक्‍सेना) आगरा :अत्‍यधि‍क  दोहन के मौजूदा दौर में  सिचाई की जरूरत और भूजल को संरक्षि‍त करने को चल रही  तमाम सरकारी और गैर सरकारी प्रयास देश के अन्‍य भागों के समान ही आगरा में भी चल रहे हैं। उपरोक्‍त  सभी की अपनी  अपनी जगह महत्‍तता है।  लेकि‍न   इनमें सबसे नायब कोशि‍श आगरा के जगनेर वि‍कास खंड में यहों के जाने पहचाने गोयल परि‍वार के द्वारा  की गयी  है। जि‍से कि‍ उ प्र में हुऐ  अनुकरणीय कार्यों (बैस्‍ट प्रैक्‍टि‍स ) में से एक  माना जा सकता है। 
 खनन के गढ्ढे को दि‍या गया जलशय का रूप
 जलसंचय का यह प्रायस उस पथरीली जमीन पर हुआ है जि‍सका उपयोग तीन दशक तक पत्‍थर खनन के लि‍ये कि‍या जाता रहा माना जाता है।कोशि‍श कर  इस प्रकार की संरचना बनायी गयी जि‍ससे  पहाड की तलहटी की भूमि‍ स्‍थानीय जलग्रााााााहि‍ताके अनुरूप हो गयी और इसको  सहजता के साथ   बन्‍धी  का का रूप दि‍या गया। लगभग डेढ हैक्‍टेयर से अधि‍क इसका स्‍थायी   जलडूब क्षेत्र है। यह समूचा जलमग्‍न  क्षेत्र गोयल परि‍वार की नि‍जी जमीन पर है।
 कृषि कार्य के सर्वथा  इस पथरीले स्‍थान पर भी जगनेर के अन्‍य तमाम क्षेत्रों के समान ही  खनन कर लाल पत्‍थर नि‍काला जाता था। जब खनन का काम ताज ट्रि‍पेजि‍यम जोन  अथार्टी(टी टी जैड ए)
की नि‍ति‍यों के तहत जारी रखना संभव नहीं रहा तो पत्‍थर  खनन से जलभरव के अनुकूल तलीय बनावट को  थोडे से बदलाव करके जल ठहराव के लायक कर दि‍या गया। अब यहां सिचाइ्र विभाग की मानक व्‍यवस्थाओं से भी अधि‍क उपयुक्‍त वर्षाजल संग्रहि‍त करने की अपने आप में पूर्ण संरचना   है ।
--19फट तक भजाता है जल 
वर्तमान में इस बन्‍धी में लगभग 19 फीट पानी भरा रखा जा सकता है। बन्‍धे की लम्‍बाई   लगभग तीस फुट है और पानी की नि‍कासी के लि‍ये सैल्‍यूस सि‍स्‍टम और जलधारा को नि‍यंत्रि‍त करने के लि‍ये वाल्‍व सि‍स्‍टम लगा हुआ है।जबकि‍   सरकारी प्रबधन के अधि‍कांंश जलाशयों में अमूमन केवल सैल्‍यूस गेट लगाये जाने तक सीमि‍त व्‍यवस्‍था ही होती है।
--पानी को खेतो तक पहुंचाने का इंतजाम 
इस बन्‍धें की योजना का सबसे महत्‍वपूर्ण  भाग डि‍स्‍चर्ज कि‍ये जाने वाले पानी को  फैलने से रोक कर नालि‍यों के माध्‍यम से लक्षि‍त खेतों  तक पहुंचाना है। दुरुस्‍थ अनुरक्षण के फलस्‍वरूप बन्‍धी से डि‍स्‍चार्ज पानी की  एक एक बूंद खेती के लि‍ये उपयोग मे लायी जाती है।
गोयल परि‍वार का स्‍थानीय सामाजि‍क सरोकारों से खास लगाव रहा है ,पूर्व में इस परि‍वार के स्‍व बाबू लाल गोयल वि‍धायक रहे हैं ,जबकि‍ वर्तमान में श्री महेश गोयल खेरागढ क्षेत्र से वि‍धायक है।जि‍नकी प्रति‍बद्धताओं में खेरागढ तहसील के गांवों की जलकि‍ल्‍लत की स्‍थि‍ति‍ को यथा संभव कम करना है। नहरों की सुचारुता की बहाली, बन्‍धि‍यों का सुध्रणीकरण और वर्षाकालीन नदि‍यों और नालों के जलग्रहीक्षेत्र का अधि‍कतम वि‍स्‍तार इनके द्वारा गंभीरता से लेकर शासन -प्रशासन के समक्ष उठाये  जाने वाले वि‍षय हैं।संभवत: यही कारण है जि‍सके फलस्‍वरूप इस बार जगनेर की बन्‍धि‍यों के अनुरक्षण कार्य को धन की कमी नहीं रही। 
संज्ञान (एक्‍नालि‍जमेट) में लि‍ये जाने कीजरूरत
श्री गोयल से मेरी कई बार खेरागढ ही नहीं आगरा जनपद की पानी की समस्‍या पर देर तक चर्चाये हुई हैं , कुछ में तो सुप्रीम कोर्ट मानीटरिग कमैटी के सदस्‍य श्री रमन भी भागीदार रहे हैं कि‍न्‍तु समझ से परे है कि‍ ताजमहल को राजस्‍थान की धूल भरी आंधि‍यों से बचाने को बनाये गये सौ साला वि‍जन डौक्‍यूमेट को तैयार करने में इनकी बेहद उपयोगी और सर्वकालीन महत्‍व की  जानकारि‍यों का उपयोग क्‍यों नहीं लि‍या गया।
-- ' बैस्‍ट प्रैक्‍टि‍स ' करार देने के कारण 
श्री दी पक गोयल से बंधी पर चर्चारत सि‍वि‍ल सोसायटी
आगरा के अनि‍ल शर्मा, सोनू सि‍ंघल । फोटो :असलम सलीमी

 उनकी इस बन्‍धी को ' बैस्‍ट प्रैक्‍टि‍स ' कहने का कारण यह है कि‍ तांतपुर से शुरू होकर धौलपुर के बाडी ,बसैडी और सरमथुरा तक फैले डॉग क्षेत्र को उन धूलि‍य कडों के उत्‍सर्जन का मुख्‍य क्षेत्र माना जाता  है। जि‍नका ताज ट्रि‍पेजि‍यम क्षेत्र के पर्यावरण पर प्रत्‍यक्ष प्रभाव रहता है।
 इस लि‍ये यहां जल संरक्षण और उसके जलाशय या वैटलैंड के रूप में पानी को संग्रहि‍त करने का छोटा सा भी प्रयास स्‍थानीय महत्‍ता का तो है ही साथ ही परोक्ष रूप से 'ताज सि‍टी' के लि‍ये भी फलदायी है। अगर आगरा और धौलपुर जनपदों के खनन क्षेत्रों का ही सर्वे कर रि‍पोर्ट तैयार करवायी जाये तो  डॉग क्षेद्ध के इस भाग में खनन  पर रोक के बाद आगरा जनपद की सीमा में आने वाले अनुपयोगी भू भाग के रूप में पडे दो सौ से अधि‍क गढ्ढों श्री गोयल की तातपुर बन्‍धी की तर्ज पर साल भर जलभराव वाले जलाशयों में तब्‍दील कि‍या जा सकता है।
वि‍धायक गोयल के पुत्र श्री दीपक गोयल की भी अपने पि‍ता के समान ही जलीय संरक्षण योजनाओं में काफी दि‍लचस्‍पी है , खेरागढ में क्रि‍यान्‍वयन हुई योजनाओं के बारे में जनता से मि‍लते रहने वाले फीडबैक को  पि‍ता तक पहुंचाने को तत्‍पर रहते हैं।वह बतताते है कि‍ वि‍धायकजी की जल संरचण के स्‍थानीय प्रयासों को फलीभूत करवाने के अलावा सर्वोच्‍च प्राथमि‍कता खेरगढ तहसील में पडने वाले आगरा नहर से पोषि‍त कमांड एरि‍या की नहरों को भरपूर जल उपलब्‍ध करवाना है।