7 जून 2019

पर्यावरण स्‍वीकृति‍ को सुप्रीम कोर्ट से छुपाया गया

टी टी जैड की मीटि‍ग में भी नहीं दी गयी मि‍नि‍स्‍ट्री की क्‍लीयरैस की जानकारी

                                           
(  सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के सदस्य ) 
आगरा - सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा ने टी टी जेड के नागरिक सदस्यों(गैर सरकारी सदस्‍य) के साथ बैठक कर  आगरा में क्रि‍यान्‍वयन को प्रस्‍तावि‍त पं दीन दयाल उपाध्‍याय सिविल एन्क्लेव शिफ्टिंग प्रोजेक्‍ट के लिए पर्यावरण मंत्रालय के अनापत्ति  प्रमाणन (NOC) पर बने हुए गतिरोध, को दूर करने के लिए होटल दा के एस रॉयल में वि‍स्‍तार के साथ चर्चा की।
टी टी जैड के गैर सरकारी सदस्‍यों ने बताया कि‍ पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार ने अपनी ढांचागत परि‍योजनाओं के लि‍ये बनी हुई कमैटी की 37 वीं बैठक जो कि‍ 17 जनवरी,2019 को हुई थी ,में आगरा सिविल एन्क्लेव की पर्यावरण के परि‍प्रेक्ष्‍य में अनापत्‍ति‍ की मंजूरी प्रदान कर दी थी। इसे बावजद इस जब यह प्रोजैक्‍ट अनि‍वार्यऔपचारि‍क्‍ता के तहत सुप्रीम कोर्ट ले जाया गया. सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया कि‍न्‍तु इसके साथ उस पर्यावरण प्रभाव
रि‍पोर्ट (environmental impact appraisal report ) जो की सितम्बर 2018  में तैयार हो गयी थी और पर्यावरण मंत्रालय भरत से पर्यावरण अनुकूलता की स्‍वीकृति‍ का आधार थी को माननीय सुप्रीम कोर्ट में दाखिल  नहीं कि‍या गया।
यही नहीं इसके साथ ही एयर पोर्ट अथार्टी आफ इंडि‍या (AAI) ने भी ताज ट्रि‍पेजि‍यम जोन ( TTZ )अथॉरिटी की 46 मीटिंग में भी पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की ढांचागत परि‍योजनाओं के लि‍ये बनी हुई कमैटी की 37 वीं बैठक (37th expert appraisal committee (Infrastructure-2) में मि‍ली क्‍लीयरैस की रि‍पोर्ट को 17 जनवरी,2019 की बैठक में प्रस्‍तुत नहीं कि‍या गया। यही नहीं इसके साथ ही सिविल एन्क्लेव को इंडस्ट्री कैटेगरी में रखा गया है, जन सुनवाई में इसे ढाचागत सुवि‍धा ( इंफ्रास्ट्रक्चर )बताया गया है.
सारे  कागजों का अवलोकन कर के माननीय सदस्‍य श्री केशो मेहरा जो कि‍ एक पूर्व वि‍धायक भी हैं ने कहा कि‍ अगर समस्‍त तथ्‍य परक जानकारि‍यां क्रम से दी जाती रहतीं तो इस परि‍योजना का लटके रहना संभव ही नहीं था। अथॉरिटी के एक अन्‍य गैर सरकारी सदस्य श्री रमन बल्ला ने कहा कि‍ अब इस मामले को कट बद्ध तरीके से लि‍ये जाने की अधि‍कारि‍यों से अपेक्षा की गयी है।  
एक जानकारी में पूर्व वि‍धायक श्री केशो मेहरा ने बताया के पूर्ववत  सरकार  में पर्यावरण मंत्री महेश शर्मा की अध्यक्षता मीटिंग के दौरान आगरा से सम्बंधित के कई मुद्दों में  सिविल एन्क्लेव को इंफ्रास्ट्रक्चर में रखवाया गया. श्री मेहरा खुद वकील हैं और सुप्रीम कोर्ट में MC Mehta PIL को 1984 से फॉलो कर रहे हैं और खुद भी इस केस में वकील के तौर पर मुकदमा लड़ चुके हैं.
नगर के प्रख्‍यात पर्यावरण हि‍त चितक डॉ संजय चतुर्वेदी ने सीरियल वाइज अब तक हुए निर्णयों से अवगत कराया.उन निर्णयों से लगता है के मीटिंगों में NOC पर अप्रूवल पर चर्चा हुए है पर असमंजस की सिथिथि बनी हुई है. इन गतिरोध का जल्द निवारण होना जरुरी है.
सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा ने दोनों सम्मानीय  सदस्यों से अनुरोध किया गया के, वो आगरा के नागरिकों के प्रतिनिधि के रूप में , समस्या को सही द्रष्टिकोण से मीटिंग में प्रस्तुत कर पर्यावरण अनुमति दिलाने का प्रयास किया जाये।
जैबर प्रोजैक्‍ट के चक्‍कर में उलझाया जाता रहा
सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने कहा -"जिस हिसाब से मीटिंग में हां होने के बाद भी अनुमति नहीं मिलना इस बात का संकेत है के 1.पैरवी सही नहीं हुई और २.जेवर के लिए आगरा के सिविल एन्क्लेव की पर्यावरण अनुमति को प्रशाशनिक चक्कर में डाल कर उलझाने का प्रयास हो रहा है. हम आशा करते हैं के मनोनीत गैर सरकारी सदस्य सही दिशा में आगरा की बात और सरकारी कागज प्रस्तुत कर और अपने प्रभाव से जल्द अनुमति दिलवाएंगे.
मीटिंग में - श्री भूप सिंह धनगर, श्री दयाल कालरा,डॉ संजय चतुर्वेदी, श्री राजीव सक्सेना,श्री केशो मेहरा, श्री रमण बल्ला,श्री ओम सेठ, श्री अनिल शर्मा अदि ने भी अपने विचार रखे.