29 जून 2019

ताजमहल के शहर को और कब तक लड़ना पड़ेगा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए

                               ( राजीव सक्सेना द्वारा ) 
आगरा। सि‍वि‍ल सोसायटी के जनरल सैकेट्री अनि‍ल शर्मा ने कहा कि‍  जनप्रति‍नि‍धि‍यों की प्रति‍बद्धता अपनी पार्टी के प्रति‍ भी होती है और इसी के अनुसार राजनीति‍ भी करनी होती हे कि‍न्‍तु क्षेत्र के वि‍कास से जुडे मुददे हमेशा सभी जनप्रति‍नि‍धि‍यों के लि‍ये खास महत्‍व रखते है और इन पर वि‍रोधी तक आपस में एक जुट आवाज उठाते हैं। 
 संसद में आगरा के जनप्रति‍नि‍धि‍यों ने इंटरनेशनल एयरपोर्ट के मुद्देने पर बोला तो जरूर कि‍न्‍तु अपने को पार्टी के द्वारा आवंटि‍त समय का आगरा के हि‍त में सार्थक  सटीक उपयोग उनके ‍‍द्वारा नहीं कि‍या जा सका। 
लोक सभा में आगरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनवाये जाने का मामला उठाया गया सुनने में भी अच्‍छा लगा और बोलने में भी संसद को आत्‍म संतुष्‍टि‍ मि‍ली होगा। कि‍न्‍तु वास्‍तवि‍कता यह है कि‍ आगरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट नहीं बनाया जाना है। इसके लि‍ये सभी संभावनाये 'मोदी सरकार 1' के समय समाप्‍त कर दी गयीं। अब चाहे जि‍तना भी संसद या संसद के बाहर बोला जाये 150 कि‍ मी के एरि‍यल डि‍सटैंस फार्मूले के तहत
भारत सरकार से बि‍ना बडे कानूनी बदलाव के संभव नहीं है।अगर बनाने की हि‍म्‍मत की जाती हे तो जैबर एयरपोर्ट का आप्रेशन करने को गठि‍त की जा चुकी 'नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआइएएल)' को  जुर्माना भर पायी करना होगा। मोदी सरकार -1 के दौरान ही एह कानून बना था कि‍ अगर पूर्व से ही कोई इंटरनेशनल एयरपोर्ट संचालि‍त है और उससे 150कि‍ मी एरि‍यल डिस्टेंस पर कोई  नया एयरपोर्ट बनाया जाता हे तो नये आप्रेटर द्वारा  पूर्व से संचालि‍त एयरपोर्ट आप्रेटर को मुआबजा अदा करना पडेगा। जनता के धन से सार्वजनि‍क धन के नि‍वेश वाली कंपनी एनआइएएल को यह मुआबाज धन इंन्‍दि‍रा गांधी टम्रि‍नल थ्री के संचालकों को देना है।अगर सशक्‍त राजनीति‍ज्ञ या अन्‍य मध्‍यस्‍थ बीच में नहीं पडे तो कानून के अनुसार  बताया जाता है कि‍ यह भी बडी राशि‍ होगी।
 जहां तक रही आगरा की बात यहां के लि‍ये तो योगी एयरकनैकटि‍वि‍टी सुवि‍धा जनक बनाये जाने के लि‍ये प्रस्‍तावि‍त पं.दीन दयाल उपाध्‍याय सि‍वि‍ल टर्मि‍नल के लि‍ये पूरी जमीन अधि‍ग्रहण तक को  धन उपलब्‍ध नहीं करवा सकी ,फि‍र मुअबजा देकर इंटरनेयानल एयरपोर्ट बनावाने की बत तो बाद की ही बात है।
उपयुक्‍त होगा कि‍ 25 एकड के सापेक्ष अधि‍ग्रहि‍त की जा चुकी 19एकड जमीन पर ही धनौली में सि‍वि‍ल एन्‍कलेव के लटके प्रोजेक्‍ट को ही पूरा करवाने में जनप्रति‍नि‍धि‍ लगें। 
वैसे सि‍वि‍ल एन्‍कलेव को लेकर संसद में उठाने लायक मामला बचा ही नहीं है। लोकल लेवि‍ल पर अधि‍कारी एन्‍वायरमैंट क्‍लीयरैंस और इंपैक्‍ट रि‍पोट्रं दाबे हुए है। रि‍पोर्ट और पेपर दबाने के इस काम में मौसम परि‍वर्तन एवं पर्यावरण व वन मंत्रालय के अधि‍कारि‍यों की भी संदि‍गध भूमि‍का रही है। अगर सांसद सीधे केन्‍द्रीय मंत्री जावेडकर जी से संवाद करें तो बि‍ना संसद में मामला उठाये ही एक महीने में ही प्रोजेक्‍ट क्‍लीयर हो जायेगा। 
सि‍वि‍ल सोसायटी आगरा का मानना है कि भाजपा के जि‍ला अध्‍यक्ष और महानगर अध्‍यक्ष तथा मेयर पूरी वस्‍तुस्‍थि‍ति समझे और माननीय सांसदों को पूरी जानकारी देकर उनके अधिकार सदोपयोग कम से कम वि‍कास के मुद्दे पर तो सुनि‍श्‍चि‍त होना ही चाहि‍ये।