23 जुलाई 2018

सी बी आई अपने आंतरिक विवाद की सुर्खियों से उबरी

- महत्‍वपूर्ण जांचों और खुलासों  से संबधित अफसरों में से कई का सेवा विस्‍तार
सी बी आई निदेशक आलोक वर्मा,   विशेष निदेशक राकेश अस्‍थाना
 

आगरा: देश की प्रमुख जांच एजैंसी सी बी आई में वरिष्‍ठ अधिकारियों के बीच चल रहा विविद लम्‍बी खींच तान के कारण भले ही सुर्खियां बटोरता रहा हो किन्‍तु थम नहीं सका है। इससे राजनीतिज्ञों को भरपूर हस्‍ताक्षेप करने का मौका भले ही कुछ समय के लिये मिल गया हो किन्‍तु सरकार का स्‍पष्‍ट रूख अब सामने आ जाने के बाद स्‍थितियां तेजी बदल गयीं हैं। मासलन केन्‍द्रीय सर्तकता आयुक्‍त की अध्‍यक्षता में गठित कमेटी की मीटिंग(cvc )  को टलवाये जाने के लिये बनाये जाते रहे दबाब के प्रयास सिरे से
नाकाम रहे। साथ ही उन सभी को सेवा विस्‍तार औ प्रमोशन का अवसर मिला जो अपने कैरियर रिकार्ड के अनुसार इसके लिये हकदार थे।संयोग ही है कि सेवा विस्‍तार पाने वालों में अनेक वहीं  हैं जिन्‍हें विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की सूची का माना जाता है।
-- सी बी सी मीटिंग का मामला 
  केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के वी चौधरी की अध्यक्षता में सेवा को विस्‍तार दिये जलाने के लिये पैनल का गठन हुआ था, जब उसके निर्णय सामने आने वाले थे तभी विवाद शुरू हो गया। व्‍यवहार में प्रचलित व्‍यवस्‍था के अनुसार  सी बी सी पैनल में सी बी आई के निदेशक आमंत्रित सदस्‍य होते हैं। संयोग से सी बी सी की सेवा विस्‍तार संबधी मीटिंग उस समय आयोजित हुई जब कि सी बी आई के डायरैक्‍टर आलोक वर्मा  देश में मौजूद नहीं हैं। फलस्‍वरूप उनके स्‍थान पर निकटतम वरिष्‍ठ अधिकारी के रूप में विशेष निदेशक राकेश अस्‍थाना को मीटिंग में  भाग लेने का अवसर रहा। श्री वर्मा की अनुपस्‍थिति को आधार बता कर पहले तो मीटिंग को स्‍थगित करवाने की कोशिश की जाती रही किन्‍तु सी बी आई की ढाचागत जरूरतों को नजरअंदान करने की स्‍थिति संभव न मानकर मीटिंग किया जाना जरूरी माना गया। इस पर पुन: सी बी आई  डायरैक्‍टर की अपेक्षा अनुसार सी बी सी को पत्र लिखकर कहा गया कि  गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को एजेंसी के डायरेक्टर आलोक वर्मा की गैर मौजूदगी में पैनल की बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं है।ग्रह मंत्रालय की व्‍यवस्‍थाओं में इस आपत्‍ति को खास तव्‍वजोह न देकर सी बी सी पैनल की मीटिंग अपने शैड्यूल के अनुसार ही हुई । 
 -- सेवा विस्‍तार से लाभान्‍वित 
  पैनल ने इस बैठक में जिन अधिकारियों के कार्यकाल को बढ़ाने का निर्णय लिया है, उनमें एक उप महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी अधिकारी हैं. जिन्हें हाल ही में उनके गृह कैडर वापस भेज दिया गया था। हालांकि अधिकारी को जल्द ही एजेंसी में वापस बुला लिया गया था। 
  इसके अलावा पैनल ने दो  उन  अन्य आईपीएस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की अवधि बढ़ाने का भी फैसला किया है, जो भगोड़े कारोबारी विजय माल्या समेत कई अहम केसों की जांच में अस्थाना के साथ मिलकर काम कर रहे थे। 
 कार्यकाल विस्तार पाने वालों में संयुक्त निदेशक स्तर के दो  अधिकारी - एवाईवी कृष्ण और साई मनोहर अरामने भी शामिल हैं।  सक्षम प्राधिकार ने 1995 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी के कार्यकाल विस्तार को अनुमति दी है। कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि यह विस्तार 17 जुलाई 2018 से अप्रैल 2019 तक प्रभावी होगा। 
वहीं, कृष्ण को 18 जुलाई 2018 से 17 जनवरी 2020 तक सीबीआई में कार्यकाल विस्तार दिया गया है। आदेश के मुताबिक मनीष किशोर सिन्हा को भी 3 अप्रैल 2018 से 30 नवंबर 2018 तक सेवा विस्तार दिया गया है। सिन्हा सीबीआई में संयुक्त निदेशक हैं।  इसके अलावा कुछ और अधिकारियों का कार्यकाल भी एजेंसी में एक्सटेंड किया गया है।
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सी बी आई प्रतिनियुक्‍ति का मामले का ‘ अंर्तिहित ‘  
सी बी आई का अपना कोयी अलग से कैडर तो होता नहीं भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों में सेही उपयुक्‍त क्षमता वाले अधिकारियों में से ही प्रतिनियफक्‍ति पर बलाये जाने की परपाटी है। जब इनका प्रतिनियुक्‍ति काल पूरा हो जाता है तो जिस राज्‍य में ये सेवा रत रहे होते हैं उसी के लिये दुबारा वापस भेज दिये जाते हैं। सामान्‍य रूप से सी बी आई में सेवा काल के दौरान जब कोयी अधिकारी किसी बडे घोटाले या ममामले में महत्‍वपूर्ण पर्दाफाश करता है तो जहां एक ओर पूरा मामला कोर्ट तक पहुंचने तक के लिये उस अधिकारी का अपनी सीट पर बने रहना अपेक्षित रहता है ,जबकि जांच और अन्‍वेषण के दायरे में आने वाले असरदार लोग इन्‍हें सीट से हटवाने को सक्रिय हो जाते हैं और इसके लिये मीडिया व राजनैतिक संबधों का भरपूर उपयोग करने की कोशिश करते हैं। इस बार की सेवा विस्‍तार वाली मीटिंग में कई इसी प्रकार के अधिकारी भी शामिल थे ,जिनका सीधा संबध देश के कई चर्चित कांडों के खुलासा करने वाली टीमों से रहा । संयोग से ये सभी कही न कही राकेश अस्‍थाना के नेतृत्‍व में काम करने वालों में भी शामिल रहे हैं। 
अगर यह मीटिंग टल जाती तो कई महत्‍वपूर्ण मामलों से जुडे इन अधिकारियों को अपने राज्‍यो को वापस लैट जाना पडता। नये अधिकारी जब तक पूरे मामले को स्‍ट्रीम लाइन कर समझ पाते तब तक संशय की स्‍थति बनी रहती। 
-- ताज सिटी के तमाम लोगों को गर्व है ‘ राकेश ‘  पर

राकेश की उपलब्‍धियों पर सभी
आगराराइट्स को   :अनिल शर्मा
अमृत विद्या एजूकेशनल फार इमोरिलिटी सोसायटी के जनरल सैकेट्री श्री अनिल शर्मा ने कहा हे कि जांच एजैंसी में कौन किस पद पर कब तक रहता है और किसकी सेवा का कितना विस्‍तार होता है इससे तो उनका कोयी लेना देना किसी भी रूप में नहीं हैं किन्‍तु यह जरूर चिंता का विषय रहा कि महत्‍वपूर्ण खुलासों और अपराधिक गतविधियों के खुलासा करने वाली टीमों में शामिल रहे उन तमाम अफसरों के सेवा विस्‍तार को लेकर संशय था, जनकी सेवाओं को सी बी सी की मीटिंग में सहजता के साथ विस्‍तार दिया जा सकता था। 
एक प्रश्‍न के जबाब में श्री  शर्मा ने कहा कि श्री राकेश अस्‍थाना उनके कालेज के दिनों के वरिष्‍ठ साथी जरूर हैं किन्‍तु उनके पद और उससे जडी जिम्‍मेदारियो से उनका कोयी लेना देना नही ही है। वैसे मुझे ही नहीं ताज सिटी के तमाम लोगों को उनकी उपलब्‍धियों पर गर्व हैं, खास कर सडको पर यातायात निगरानी तथा महिला सुरक्षा संबधी उन योजनाओं को लेकर जो गुजरात में वैस्‍ट प्रैक्‍टिस मानी गयीं और अब देश में अनेक महानगरों में अपनायी जा रही हैं।