13 जून 2018

होटल ऐसोसियेशन की बैठक में सीवर ट्रीटमेंट और पानी की किलत पर भी होगी चर्चा

  ताजगंज में पानी की बेहद कमी, जलदोहन में लगातार बढवार
यादें 2012-13 की: चुनाव से पहले लगती हैं पंचायतें किन्‍तु बाद पता
लगता है कि एक भी मांग या की जाती रहीं अपेक्षायें पूरी नहीं हुई।फाइल फोटो

आगरा: टूरिज्‍म ट्रेड के आधारों में से मुख्‍य बजट होटलों पर प्रशासन का शिकंजा और कसने जा रहा है। पार्किंग की जगह तथा पानी की जरूरत पूरी करने के लिये भूगर्भ जल दोहन की अनुमति को अनिवार्य किया जा रहा है। इसी के साथ सीवेज को ट्रीटमेंट के बाद डिस्‍पोजल संबधी व्‍यवस्‍था सुनिश्‍चित करने को कहा गया है। ये तीनो ही अनिर्वातायें  ऐसी हैं जो नानस्‍टार बजट होटलों के लिये तो नामुमकिन हैं ही , कॉर्पोरेट सैक्‍टर के स्‍टार होटलों तक के लिये लगभग नामुमकिन ही हैं।
आगरा में होटल-होस्‍पिटिलिटी इंडस्‍ट्रीज से संबधित होटल एंड रैस्‍टोरैट
एसोसियेशन ,आगरा तथा टरिज्‍म गिल्‍ड ही दो मुख्य  संगठन हैं। बजट होटलों की बहुतयात वाली एसोसियेशन के सदस्‍यों को अपेक्षाकृत अधिक चुनौतियों का सामना पडता है। हरदौर की अपनी अलग समस्‍या रहती आयी है ,वर्तमान में पानी और पर्यावरण प्रदूषण सबसे बडी चुनौती है। 14 सितबर को एसोसिशन की बैठक होना प्रस्‍तावित है। डिप्‍टी कमिश्‍नर पर्यावरण अंजू रानी को मीटिग के आमंत्रितों में शामिल हैं। हकीकत में मीटिंग का एजैंडा ही उनकी विभागीय नीति से प्रभावित है। 
वैसे मीटिंग अधिक सार्थक साबित हो सकती थी अगर पर्यावरण विभाग सीवर डिस्‍पोजल और ट्रीटमेंट के लिये सीवरेज ट्रासपोटेशन की सुविधा के विस्‍तार की जानकारी भी उपलब्‍ध करवाना सुनिश्‍चित किया जाता । 
ताजगंज में पानी की किल्‍लत बरकरार
दिल्‍ली के नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल में दिल्‍ली के पर्यावरण एक्‍टिविस्‍ट शैलेश सिंह ने सितम्‍बर 2015 में आगरा के छै होटलों के विरुद्ध याचिका दायर की थी। 
 इनमें ओबरॉय, जे पी पैलेस, मान सिंह पैलेस, रेडियेसन ब्‍लू, आई टी सी मुगल और क्‍लार्कशीराज होटल शामिल थे। इस पिटीशन पर एन जी टी ने उ प्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निरीक्षण का आदेश देकर रिपोर्ट तलब की  थी। निरीक्षण की अधारभूत कार्रवाही में केवल आई टी सी मुगल और ओबराय ग्रुप के होटल ने ही उपयुक्‍त साक्ष्‍य दिये कि उन्‍होंने सैंट्रल ग्राऊंड वाटर कमीशन से अनुमति ली हुई है, किन्‍तु इस अनुमति को लेकर याची श्री शैलेश सिंह संतुष्‍ट नहीं हैं और उनका मानना है कि अतिदोहित क्षेत्र में इस प्रकार की अनुमति का आधार संदेहस्‍पद है। जैसे ही संभव होगा वह इस अनुमति को चुनौती देंगे। दरअसल फतेहाबाद होटल कांप्‍लैक्‍स कहे जाने वाले ताजमहल के पूर्वी गेट से दक्षिण बाईपास और शमशाबाद रोड क बीच का भाग अतिदोहित है। यह वह क्षेत्र है जहां कि पांच साल पूर्व तक होटल संचालित करने की सहजता के साथ अनुमति मिल जाया करती थी। आवासीय क्षेत्र भी यहां तेजी के साथ विकसित हुआ। पानी की जरूरत को पूरा करने को कोयी और स्‍त्रोत न होने से जमकर ट्यूब बैल और सबमर्सेबिल  लगाये गये । जाहिर है कि भूगर्भजल का जलस्‍तर तेजी के साथ गिता गया । अब यह इलाका पूरी तरह से भीषण जल किल्‍लत की चपेट में है।