8 मार्च 2018

फूलपुर में हार जीत क्या जातिगत समीकरण पर ही होगी ?

उत्तर प्रदेश के फूलपुर में लोकसभा उपचुनाव काफी दिचस्प होता जा रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा के लिए फूलपुर प्रतिष्ठा का प्रश्न है खासतौर से  मुख्यमंत्री योगी के लिए। भाजपा को हराने के लिए  दो दुश्मन पार्टियों के मुखियों अखिलेश यादव और मायावती ने हाथ तक मिला लिए हैं। जातिगत समीकरण लगाकर लोग कैंडिडेट्स का वजन देख रहे हैं। राहुल गाँधी के  कांग्रेस अध्यक्ष बनने से कांग्रेस में भी ताकत बढ़ी दिखाई देती है। यह उम्मीद भी जताई जा रही है  कि मुस्लिम और वैश्य वोटर भी उनमें अपनी दिलचस्पी कांग्रेस में  दिखाएंगे। भाजपा का मानना है  कि मुस्लिम,वैश्य और कायस्थ उनके पक्के वोटर हैं जो उनका साथ नहीं छोड़ेंगे। अखिलेश यादव को  उम्मीद है कि   कि बसपा के साथ आने से सपा को  मुस्लिम वोटरों का साथ मिलेगा जिन्होंने विधानसभा चुनाव में अपने हाथ शायद पीछे खींच लिए थे। उधर निर्दलीय उम्मीदवार  अतीक अहमद के मैदान में होने से  सपा के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है  क्योंकि उनके चुनावी मैदान में होने से मुस्लिम वोटों के बंटने की पूरी संभावना बढ़ी दिखाई देती हैं। ऐसी स्थिति  में भाजपा को  फायदा मिल सकता है। भाजपा ने कौशलेंद्र सिंह पटेल की हवा जोरों पर है। योगी जी कोई भी कसर बाकि नहीं छोड़ रहे हैं।