9 अक्तूबर 2017

सहायक श्रमायुक्त प्रतिभा तिवारी फिर आगरा लौटीं

मजीठिया वाद परिप्रेक्ष्य  में दो पत्रकारों के स्थानान्तरण पर लगायी थी रोक


आगरा: सहायक श्रमायुक्त श्रीमती प्रतिभा तिवारी फिर से आगरा की सहयक श्रमायुक्त बन गयी हैं। इस आशय का शासनादेश श्रमानुभाग – 4 के द्वारा 9 अक्टूवर को जारी कर  जिला अधिाकरी आगरा को शासनादेश प्रेषित कर दिया गया है। उल्लेखनीय है  कि श्रमती तिवारी का अप्रत्याशित रूप से शासन के द्वारा उस समय आगरा से संभलकर दिया गया जब कि वह पत्रकारों के मजीठिया बेजबोर्ड वादों की सुनवायी कर रही थीं और उन्होंने दैनिकजागरण के वरिष्ठ  पत्रकार श्री सुनियन शर्मा और श्री रूपेश चौधरी के कंपनी
के द्वारा कमश: जम्‍मू और गोवाहटी को किये स्थानान्तरणों पर रोक लगाते हुए आदेश दिया था कि जब तक मजीठिया बेजबोर्ड के विचाराधीन प्रकरण निस्ताणरित नहीं हो जाते हैं तब कि सेवायोजक उनका स्थानान्तरण नहीं करें।
इन स्थानान्तारण के आदेश में श्री रूपेश चौधरी से संबधित आदेश में तकनीकि खामियों भी थीं। सेवायोजक के अधिवक्ता  का पीठासीन अधिकारी के समक्ष तर्क था कि सहायक श्रमायुक्तम को सेवायोजक के द्वारा किये स्थातनपन्तरण को निरस्तर करने या स्थगित करने का कोई अधिकार नहीं है। इस पर श्री रूपेशचौधरी के पक्षाकार अधिवक्ता श्री अवधेश बाजपेयी का कहना था कि अव्वइल तो पीठासीन अधिकारी अपने समक्ष विचाराधीन वाद में  स्थानादेश सहित किसी भी उपयुक्त आदेश को दिये जाने में पूर्ण सक्षम हैं ,अगर किसी आदेश को वह गलत मानते हैं तो उच्च आपदस्थों  या सक्षम न्यायलय के समक्ष मामला उठायें।
वैसे श्रमती तिवारी का चर्चित प्रकरण उस समय और सुर्खियों में रहा जब कि जब कि उन्होंने अपने   स्थातनान्तरण आदेश को इलहाबाद उच्चम न्यांयलय में चुनौती दी । सुनवाई कर रही खंड पीठ ने याचिका निस्ता रणकरते हुए उप्र सरकार को निर्देश दिया कि याची का पक्ष सुनकर उपयुक्त  कार्रवाही करें।
पत्रकारों की ओर से मुकदमे लड रहे अधिवक्ता श्री अवधेश बाजपेयी ने कहा कि इलहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय के आलोक में शासन के द्वारा लिया गया निर्णय अपने आप में एक स्पषष्ट संदेश है। 
पत्रकारों के नेतृत्वहकर्त्ता ,जागरण के पूर्व स्थाणनीय प्रभारी श्रीविनोद भारद्वाजने  कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का स्पचष्ट निर्देश है कि मजीठिया बेजबोर्ड वाद तेजी के साथ  निस्तारित किये जाये। जबकि वस्तुस्थि तयह है कि सेवायोजकों के पक्षकारअपने प्रतिष्ठानों की कंपनी एक्ट के तहत पूर्व में जारी की हुई टर्नोवर संबधी  सूचना तक देने में आनाकानी कर रहे हैं। श्री भारद्वाज ने कहा कि पत्रकारों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है, मुकदमे लडना उनकी आर्थिक क्षमता को दृष्टिगत एक चुनौती है, इस लिये उनकी मांग है कि  यू पी सरकार मजीठिया वादों मे पत्रकारों का व्यय खुद उठाये तथा इन्हें शीघ्रता के साथ निस्तारित करवाने का प्रयास करे।
प्रिंट एंड इलैक्ट्रानिक मीडिया जर्नलिस्टि एसोसियशन के सैकेट्री नरेन्द्र  प्रताप सिह ने कहा है कि अगर वाद निस्तीकरण करवाने में सेवा योजक अपने प्रभाव का दुरोपयोग करेंगे तो पत्रकार खामोश नहीं बैठेंगे।