24 अप्रैल 2017

हिंदी थोपने के आरोप निराधार - नायडू

सरकार का किसी भी व्यक्ति पर कोई भाषा थोपने की मंशा नहीं है कहा सूचना और प्रसारण मंत्री  वेंकैया नायडू ने। उन्होंने कहा "मुझे कुछ समाचार पत्रों में छपी  रिपोर्टों को पढ़कर दुख हुआ है। इन खबरों में डीएमके नेता श्री एन. के. स्टालिन का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार हिंदी थोप रही है" .श्री स्टालिन का हवाला देते इन खबरों में कहा गया कि संसदीय समिति (राजभाषा) ने हिंदी जानने वाले संसद सदस्यों और केंद्रीय मंत्रियों के लिए भाषणों और लेखों में हिंदी के उपयोग को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव किया। खबरों में आगे आरोप लगाया गया है कि इस संबंध में अध्यादेश जारी किया गया है यानी सरकार हिंदी थोप रही है।
नायडू ने स्पष्ट किया कि पूर्व गृह मंत्री  पी. चिदम्बरम के नेतृत्व में राजभाषा पर संसदीय समिति ने 2 जून, 2011 को  सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी गई थी जिसमें  समिति ने हिंदी बोलने और पढ़ने वाले उच्च राजनीतिक पदों पर आसीन व्यक्तियों से अपने भाषण और  वक्तव्य हिंदी में देने का अनुरोध था । इस श्रेणी में माननीय राष्ट्रपति और सभी मंत्री आते हैं।वर्तमान सरकार ने 31 मार्च, 2017 को इस सिफारिश को अधिसूचित किया।