--सफाई,ग्रीन पैच और यमुना भक्तो के द्वारा लाया जाने वाला चुग्गा जमघट की मुख्य वजह
--समाज सेवी विष्णू कपूर चाहते है कि बत्तखें भी यहां छोडी जायें
आगरा: हाल में हुए बर्ड फैस्टेविल में पक्षियों की संख्या में कमी होते जाने पर भले ही चिता व्यक्त
(यमुना तटीय आरती स्थल 'एत्मादौला व्यू पौइंट' जहांपक्षियों
के करलव करते जमघट से अभिभूत विष्णूकपूर।) --फोटो :असलम सलीमी
की गयी हो वहीं यमुना तट के कुछ घाट पक्षियों से आवाद हैं।घने पेडों के उपवन वाले पश्चिमानी और पोहिया घाट के अपस्ट्रीम का 1.2 किमी भाग तो पिछले कई सालों से पिक्षयों का बडा बसेरा बना हुआ है,वहीं अब बेलनगंज के अम्बेडकर पुल के ठीक बराबर का एत्मादौला व्यू पौइंट पर भी पक्षियों की मौजूदगी दर्ज की जा रही है। यहां सांय होने वाली यमुना आरती की शुरूआत हो
जाने के कारण नियमित सफाई,व्यूपौइंट पर की गयी हरियाली और नदी भक्तो के द्वारा श्रद्धा भाव से लाये गये पक्षियों के खाद्यअनुकूल दाना आदि यहां इनकी संख्या निरंतर बढते जाने के मुख्य कारण हैं।
के करलव करते जमघट से अभिभूत विष्णूकपूर।) --फोटो :असलम सलीमी
जाने के कारण नियमित सफाई,व्यूपौइंट पर की गयी हरियाली और नदी भक्तो के द्वारा श्रद्धा भाव से लाये गये पक्षियों के खाद्यअनुकूल दाना आदि यहां इनकी संख्या निरंतर बढते जाने के मुख्य कारण हैं।
शनिवार को विकलांगता उन्मूलन को समर्पित समाज सेवी श्री विष्णू कपूर‘जलसंसाधनों की उपलब्धता और उनमे सुधार’ संबधी अभियान के सिलसिले में कर रहे निरीक्षणें के दौर में जब ‘एत्मादौलाव्यू पौइंट’ पहुंचे तो पक्षियों की बडी संख्या में मौजूदगी देखकर अभिभूत हो गये। प्रवासी पक्षियों की तुलना मे पेशेवर वाइल्ड लाइफ वाचरों को भले ही ये कम आकर्षित करते करने वाले हों किन्तु बेलनगंज के लोगों खासकर यमुना के श्रद्धालुओं के लिये ये खास महत्वपूर्ण हो गये हैं।जैविक अपशिष्ट ‘चट’ करजाने की उनकी क्षमता ने अनायास ही उन्हें जलचरों के समान ही पर्यावरण मित्र बना दिया है।
सूर्य की पहली किरण पडने के साथ ही उनकी चहचहाट शुरू हो जाती है और पूर्वाहन तक बनी रहतीहै।इसके बाद सूरज ढलना शुरू होने के बाद से फिर इन्हें घाट पर बडी संख्या में सूर्यअस्त होने तक देखा जा सकता है।यहां आने वाले श्रद्धालू दिनभर इनके लिये ‘दाना-चुग्गा’ आदि कुछ न कुछ लाते रहते हैं।
श्री विष्णू कपूर जो कि पुराने रौटेरियन भी हैं का मानना है कि जो हालात बनते जा रहे हैं उनमें पोलियो ड्राप पिलाने और पैरोंपर पर खडा करने के लिये केवल कैलीपरों का बांटा जाना ही पर्याप्त नहीं होगा,यमुना नदी में निहित व्यापक संभावनाओं के उपयोग की योजनाओं को पूरी गंभीरता से लेना होगा। उनका मानना है कि वर्तमान में ही काफी संख्या में परिदे नदी के जल और तट की जैविक गंदगी को दूर करने में प्राकृतिक रूप से ही महत्वपूण भूमिका निर्वाहन कर रहे हैं अगजल भंडारण और भंडारित पानी के प्रदूषण को न्यून करने के लिये जलचरों और परिंदों का बडा योगदान हो सकता है, बशर्त इसके लिये व्यवस्थित और व्यवहारिक कार्ययोजना बनायी जाये।
श्री कपूर ने कहा कि वह नदी के ‘एत्मादौला व्यू पौइंट’ पर यमुना आरती का प्रबंधन करने वाले समूह को पत्र लिखकर बत्तखें और कछुए पालने के बारे में अपने संभव योगदान के बारे में पेशकश करेंगे।क्योंकि उनका मानना है कि ‘जैविक प्रदूषण’ को कम करने में जो काम परिदें कर रहे हैं उसमें बत्ततखें भी बडा योगदान दे सकती हैं। उन्हों ने कहा कि यमुना आरती के कारण यहां की सफाई,हरियाली और आने वाले भकतों के द्वारा जो दाना आदि यहां डाला जाता है उससे जितनी बडी तादाद में यहां परिदों का जमघट बना रहता वैसा अन्य स्थानो पर कम ही संभव रह गया है।
(यमुना तटीय आरती स्थल 'एत्मादौला व्यू पौइंट' जहांपक्षियों
के करलव करते जमघट से अभिभूत विष्णूकपूर। फोटो:असलम सलीमी
के करलव करते जमघट से अभिभूत विष्णूकपूर। फोटो:असलम सलीमी