--राज्यपाल को भेंट की सीकरी पर लिखी
पुस्तक
आगरा। वरिष्ठ पत्रकार और आगरा में 'पत्रिका डॉट कॉम' के एडिटोरियल हेड डॉ. भानु प्रताप सिंह ने राज्यपाल राम नाईक को
अपनी पुस्तक भेंट की। शोध आधारित पुस्तक की अधिकांश सामिग्री भारतीय पुरातत्व
सर्वेक्षण के द्वारा खनन करवाये गये खनन से प्राप्त पुरा साक्ष्यों पर किये विश्लेषण
पर आधारित है।
इस किताब के प्रकाश
के बाद जहां फतेहपुर सीकरी का इतिहास मुगलों तक सीमित रखने की प्रचलित अवधारणा पर विराम लगा वहीं दूसरी ओर पुराततव सर्वेक्षण भारत को यहां हुए उत्खलन से प्राप्त साक्ष्यों को जैन म्यूजियम में संजोने का ठोस आधार बना।यह बात अलग है कि म्यूजियम वनकर तैयार होजाने के बाबजूद विभिन्न कारणो से अब भी दर्शकों और सुधी शोधकर्त्ताओं के इंतजार में है।
के बाद जहां फतेहपुर सीकरी का इतिहास मुगलों तक सीमित रखने की प्रचलित अवधारणा पर विराम लगा वहीं दूसरी ओर पुराततव सर्वेक्षण भारत को यहां हुए उत्खलन से प्राप्त साक्ष्यों को जैन म्यूजियम में संजोने का ठोस आधार बना।यह बात अलग है कि म्यूजियम वनकर तैयार होजाने के बाबजूद विभिन्न कारणो से अब भी दर्शकों और सुधी शोधकर्त्ताओं के इंतजार में है।
उल्लेखनीय है कि श्री सिह की पुस्तक
से उनधारणाओं और प्रचलित किवदंतियों की पुष्टि हुई है जिनके अनुसार फतेपुर
सीकरी को जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र
बताया जाता रहा था किन्तु उनके समर्थन में कुछ ठोस नहीं था। राज्यपाल चौ. मंजीत
सिंह स्मृति जनसेवा समिति के सम्मान समारोह में शिरकत करने आए थे।
एएसआई को उत्खनन रोकना पड़ा था
1999-2000 में अमर उजाला में रिपोर्टिंग के दौरान उन्होंने फतेहपुरसीकरी पर
शोध किया था। उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सहयोग से यह काम
किया। एएसआई ने फतेहपुरसीकरी में उत्खनन किया तो वहां जैन मूर्तियां निकलीं। एएसआई
को राजनीतिक कारणों से उत्खनन का काम बीच में रोकना पड़ा था।
शोध की जरूरतः टौंक
डॉ. सिंह ने पुस्तक की एक प्रति सेवा
भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूर्यप्रकाश टौंक को भी भेंट की। उन्होंने कहा कि इस
विषय पर औऱ आगे शोध करने की जरूरत है। इस बारे में सेवा भारती अपने स्तर पर मदद
करेगी।