--प्रख्यात कार्टूनिस्ट ‘चन्दर’ आगरा के हैं आक्सीजन सपोर्ट सिस्टम उनकी जिंदगी का बन चुका है अहम हिस्सा
(पुरानी यादे ताजा करते हुए ताराचन्द'चन्दर'साथ है उनकी पत्नी) |
(1983 के बैचमेट जब जा पहुंचे ताराचन्द् के घर , सब खे गये बीते कल में) |
रहे।ई टीवी सहित कई तेलगू और दक्षिण भारतीय हिन्दी मीडिया में भी योगदान दिया।
मुस्कराकर
अब भी किसी का भी चन्द सैकिड में ही कार्टून बना देने की दक्षता के धनी श्री
चन्द्रर अब बीमार हैं। आक्सीजन का सपोर्ट सिस्टम उनके साथ चलता है,पत्नी हर
समय साथ बनी रहती है और समय के साथ खुद ही अच्छीखासी नर्स बनचुकी हैं। गत दिवस
वह उस समय बेहद भावुक हो गये जब कि उनके पुराने ललित कला महाविद्यालय दिल्ली के
१९८३ के बैच के साथी शरद वर्मा, अनिल
मनन, दीपक बग्गा, विकास चक्रवर्ती, दीपा मैती, शुभ्रा वर्मा, अनिल परगनिहा और सुधीर नगीना अचानक
उनका हालचाल पूछले दिल्ली स्थित उनके निवास पर जा पहुंचे। काफी दिनो बाद
उनके लिये ताजगी और जीवंतता भरा माहोल था। भले ही घंटे भर के लिये ही यह बना हो
किन्तु यह उनहे उतनी ऊर्जा दे जो कि महीनों चलने वाली दबाओं से भी नहीं मिलती।
जानते है कि श्री चन्द्रर ने ही राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का वह चर्चित काटून
भी बनाया है जिसमें वह के दीवार पर लगे फ्रेम मढे अपने सिगार के चित्र को माला
पहनाकर श्रद्धांजलि अपर्ित कर रहे हैं।वैसे वह एक लाख से ज्यादा काटूर्न बना
चुके हैं जिनमें से अस्सी प्रतिशत प्रकाशित हुए हैं।विदेशी काटूर्न पत्रिकायें
उनके कार्टूनों को स्थान देती रही हैं।रोमानियां सहित कुछ देशों की सरकारो तक
ने उन्हे निमत्रित किया यह बात अलग है कि विदेश यात्राओं पर वह जा नहीं सके।
श्री चन्दर मूल रूप से आगरा के हैं तेलीपाडा में
उनका पैत्रिक निवास है,अब तक शहर से अपना रिश्ता जोडे रखा है।स्व जितेनद्र
रघुवंशी उन्हें न केवल जानते थे वरन कद्र भी करते थे।अगरा की काटूर्न एग्जीविशन
में भीआये एक बार उ प्र पत्रकार परिषद के सूरसदन में आयोजित सेमीनार में भी विशिष्ट
अतिथ्य के रूप में सम्मलित हुऐ प्रेस काऊंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष इस
कार्यक्रम के मुख्यातिथि थे।स्व गोपाल प्रसाद व्यास ,डा हर्षदेव,विभांशु दिव्याल
स्व राजेन्द्र यादव से दिल्ली में जबतब उनकी मुलाकात होती तो खोजते उस ‘आगरा’ के
अपने पन को जिसकी गलियां और सडकों पैदल चल और साइकिल की सवारी करते हुए नापा है।