स्व चौधरी चरण सिह भी थे मुख्यमंत्री के रूप में पंडितजी के शिवाजी को समर्पित भाषण के श्रोताओं में
(स्व दीन दयाल उपाध्याय ने आगरा किले के दीवाने आम में आयोजित एक
कार्यक्रम को 1968 में संवोधित किया जिसमें मुख्यमंत्री के रूप में उपस्थित थे स्व चौधरी चरण सिह।) |
आगरा:भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के द्वारा जिस अखंड और सामर्थ्यवान भारत का सपना देखा था,उसी को तत्कालिक परिस्थितियो के परिप्रेक्ष्य में पार्टी के संस्थापकों में से एक एवं बाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष बने स्व दीन दयाल उपाध्याय ने आगे बढाया था। कश्मीर में विदेशी ताकतों के प्रति मेहरावानी करने में न तो वह कभी वाक्य प्रारहरों से पीछे हटे और नहीं कलम का पैनापन ही कभी मौथरा हुआ।1968 किले में योजित छत्रपति शिवाजी के राज्यभिषेक की स्मृति में हुए एक कार्यक्रम में उन्हों ने जो बोला वह भारत के बारे में
ऐसा सर्वकालीन सत्य था जिसकी इतिहास की कडियों से कही ज्यादा राष्ट्र के भविष्य की बुनियाद के लिये जरूरत थी। गांव को सगठित बनाने का सपना था ।यह अवसर था शिवाजी महाराज के
राज्यभिषेक की स्मृति में आगरा किले में आयोजित स्मृति कार्यक्रम का।देश के महान विचारक एवं किसान नेता स्व चरण सिह ने इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में भाग लिया था। विचारों के दोनो पुरोधा तत्कालीन परिस्थतियों में ‘गैर कांग्रेसवाद ‘ के प्रखर प्रवृत्तक थे किन्तु वैचारिक दूरी का आपस मे भी जरूर बनाये रखा था। किले के हुए भाषणों में अपने अपने अंदाज में दोनों ने शवाजी महाराज की आक्रमक युद्धनीति पर जहां बोला था वहीं समाज के उत्थान खास कर महिलाओं के सम्मान का मामला भी जीजाबाई औ गौहरबानू के परिप्रेक्ष्य
में उठाया था। अब तो खैर दोनों ही केवल वैचारिक रूप से ही भारतीय जनमानस में रह गये हैं। बस जरूरत है कि उन विचारों की जब भी समीक्षा हो तो सही परिप्रेक्ष्य में पूरी परपक्वता के साथ। शायद इसके बाद ये दोनो ही फिर कभी कम से कम आगरा में तो नहीं मिले। आगरा किले में आयोजित इस कार्यक्रम का खास महत्व है क्यों कि इसी किले में ओरंगजेब ने उन्हे धोखे से बुलाकर कैद किया था और यही से शिवाजी ने भाग कर महाराष्ट्र में वह अलख जगायी जो कि इतिहासकारों और समाजशास्त्रियों के लिये अब तक शोध का विषय बनती रहती है।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को स्व दीन दयाल उपाध्याय के गांव नगला चन्द्रभान पहुंच रहे है ,यह तो समय ही बतायेगा कि वह अपनी पार्टी की इस प्रेरक हस्ती के जन्मस्थान से वैचारिक रूप से क्या लेकर जाते हैं और यहां आकर देश को क्या देते हैं।
ऐसा सर्वकालीन सत्य था जिसकी इतिहास की कडियों से कही ज्यादा राष्ट्र के भविष्य की बुनियाद के लिये जरूरत थी। गांव को सगठित बनाने का सपना था ।यह अवसर था शिवाजी महाराज के
राज्यभिषेक की स्मृति में आगरा किले में आयोजित स्मृति कार्यक्रम का।देश के महान विचारक एवं किसान नेता स्व चरण सिह ने इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में भाग लिया था। विचारों के दोनो पुरोधा तत्कालीन परिस्थतियों में ‘गैर कांग्रेसवाद ‘ के प्रखर प्रवृत्तक थे किन्तु वैचारिक दूरी का आपस मे भी जरूर बनाये रखा था। किले के हुए भाषणों में अपने अपने अंदाज में दोनों ने शवाजी महाराज की आक्रमक युद्धनीति पर जहां बोला था वहीं समाज के उत्थान खास कर महिलाओं के सम्मान का मामला भी जीजाबाई औ गौहरबानू के परिप्रेक्ष्य
में उठाया था। अब तो खैर दोनों ही केवल वैचारिक रूप से ही भारतीय जनमानस में रह गये हैं। बस जरूरत है कि उन विचारों की जब भी समीक्षा हो तो सही परिप्रेक्ष्य में पूरी परपक्वता के साथ। शायद इसके बाद ये दोनो ही फिर कभी कम से कम आगरा में तो नहीं मिले। आगरा किले में आयोजित इस कार्यक्रम का खास महत्व है क्यों कि इसी किले में ओरंगजेब ने उन्हे धोखे से बुलाकर कैद किया था और यही से शिवाजी ने भाग कर महाराष्ट्र में वह अलख जगायी जो कि इतिहासकारों और समाजशास्त्रियों के लिये अब तक शोध का विषय बनती रहती है।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को स्व दीन दयाल उपाध्याय के गांव नगला चन्द्रभान पहुंच रहे है ,यह तो समय ही बतायेगा कि वह अपनी पार्टी की इस प्रेरक हस्ती के जन्मस्थान से वैचारिक रूप से क्या लेकर जाते हैं और यहां आकर देश को क्या देते हैं।