3 सितंबर 2016

सस्पेंशन के बाद भी सुर्खियों में बना हुआ है आई ए एस

खुलासा किया था कि डी एम  बनने को देने होते है 70 लाख 
लखनऊ: प्रदेश में आई ए एस अधिकारियों के स्‍थानान्‍तरण के चल रहे दौर में राष्‍ट्रीय एकीकरण
(अशोक कुमार,आई एएस )
परिषद के सचिव अशोक कुमार के निलंबंन को लेकर यू पी  की सीनियर अफसर शाही पशोपेश में पड गयी है
, जहां राज्‍य मुख्‍यालय पर सेवारतों का एक वर्ग श्री अशोक कुमार के सहास की तारीफ कर रहा है और कह रहा है कि सीधे सपाट तौर की गयी अभिव्‍यक्‍ति का सरकार की नियुक्‍ति नीति पर सीधा असर पडेगा। संभवत: इसमें सुधार हो, वहीं दूसरा तबका मान रहा है, दिये गये बयान से अफसरों की छवि पर प्रतिकूल असर पडा है। अब अगर स्‍वयं श्री अशोक कुमार अपने दिये गये बयान का स्‍वयं भी खंडन करें तो भी जनप्रतिक्रियाओं के बने हुए रुख को नहीं रोका जा सकेगा।

उल्‍लेखनीय हे कि बस्‍ती जनपद के दौरे के दौरान श्री अशोक कुमार ने कहा था कि यूपी सरकार में 70 लाख रुपए देने वाले आई ए एस को ही डी एम
बनाया जाता है।  अशोक कुमार 1999 बैच के आई ए एस हैं। बतौर नोडल अफसर वे शुक्रवार को सरकारी योजनाओं का नि‍रीक्षण करने बस्‍ती गये  थे।
वहींं एक जन शिकायत की सुनवायी के दौरान उन्‍हों ने यह अभिव्‍यक्‍ति कर दी,जिसे मीडिया में सुर्खियां मिलते ही उन्‍हें निलंबित कर दिया गया। रिश्‍वत की बात को लेकर जरूर दो राय हो सकती हैं किन्‍तु इसमें लगी एक मत्‍ता ही है कि पिछले दो सालों में तमाम सीनियरों को नजरअंदाज कर जूनियर अफसरों को महत्‍वपूर्ण पदो पर काम करने का अवसर मिलने का सिलसिला सा चल  रहा है।