7 जुलाई 2020

आरटी आई तंत्र में उदासीनता और राजनैति‍क प्रति‍बद्धता की भरमार:गांधी

-- सरकारी तंत्र वि‍भागीय वेवसाइटें तक 'अपडेट 'नहीं करता 
' राजनैति‍क प्रति‍बद्धता और उदासीनता  से कमजोर हो रहा है
आर टी आर टी आई मूवमेंट' 
रा: शासन के पारर्दर्शि‍ता पूर्ण व्‍यवस्था के प्रति‍ व्‍यक्‍त प्रति‍बद्धता को 'सूचना अधि‍कार अधि‍नि‍यम ' को प्रभावी बनाये जाने के लि‍ये बनाये गये तंत्र ने ही सबसे अधि‍क कमजोर कि‍या है। यह मानना है इण्डियन इण्डस्ट्रिज एसोसिएशन (आई0आई0ए0) आगरा चेप्टर एवं फेडरेशन ऑफ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन्स आफ आगरा के संयुक्‍त तत्‍वाधन में आयोजि‍त ' वेबिनार ' में सहभागि‍यों का ।  शि‍रकत करने वालों में मुख्‍य श्री पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी  ने अपनी वेवाक टि‍प्‍पणी में कहा कि‍ उन्ही व्यक्तियों की नियुक्ति सूचना आयुक्त के रूप में होती है जिन्हे राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होता है। इस कारण से सूचना अधिकार अधिनियम कमजोर हो रहा है। वह इस समय मुम्बई मे हैं और वहीं से शि‍रकत कर रहे थे।  
श्री  गांधी ने सूचना अधिकार अधिनियम के प्राविधानों की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम सूचना प्राप्त करने का कानून है न कि प्रश्न पूछने का
जो सूचनायें उपलब्ध हैं वही दी जा सकती हैं पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप इस अधिनियम की परिधि में आती हैं। सी0सी0टी0वी0 फुटेज भी सूचना है जिसे आप प्राप्त कर सकते हैं। सरकारी दफ्तरों में इस लोकशाही में प्रत्येक नागरिक शहंशाह है जो सरकारी दफ्तरों की प्रत्येक सूचना का मालिक है और उसे यह नहीं बताना है कि सूचनायें लेने का क्या कारण है।
वेवि‍नॅार के मॉडरेटर के सीजैन ,राजेश गोयल  आर टी आई
मूवमेट केे स्‍थंभ शैलेष गांधी आदि‍।
अधिनियम की धारा-4 महत्वपूर्ण है जिसके अनुसार सभी सूचनाओं का प्रगटीकरण स्वयं लोक प्राधिकारियों को अपनी वेबसाइट पर करना होता है। लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। यदि सभी सरकारी दफ्तर सही तरीके से सूचनायें अपनी वेबसाइट पर दे दे तो 50 प्रतिशत लोग सूचनाओं के लिए आवेदन ही नहीं करेंगे और भ्रष्टाचार में भी 50 प्रतिशत कमी आ जायेगी। कम्प्यूटराइजेशन से प्रत्येक कार्यालय में प्रतिदिन क्या हुआ है धारा-4 के अन्तर्गत आप वेबसाइट पर शाम को देख सकते हैं। टेन्डर खुलने के बाद आप उसकी सूचना ले सकते हैं। केबिनेट डिसीजन होने के बाद केबिनेट नोट और सारी नोटशीट को भी आप ले सकते हैं। व्यक्तिगत सूचनायें केवल वह नहीं दी जानी होती हैं जिनमें निजता का हनन हो। 
श्री  गांधी द्वारा यह भी बताया गया कि सूचना क्यों नहीं दी जानी चाहिये इसको बताने का दायित्व जन सूचना अधिकारी का है। 
मॉडरेटर के0सी0 जैन अधिवक्ता द्वारा यह प्रश्न रखा गया कि उत्तर प्रदेश में सूचना आयोग के यहां 50 हजार से अधिक अपीलें व शिकायतें लम्बित हैं और प्रतिवर्ष कुल 5000 मामले ही निस्तारित होते हैं। इस पर शैलेष गांधी ने प्रतिक्रिया दी कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यह निदेश दिये हैं कि 45 दिन के अन्दर सूचना आयोग को प्रत्येक मामला निस्तारित करना चाहिये। ऐसा ही आदेश इलाहाबाद उच्च न्यायालय के द्वारा प्राप्त किया जाना चाहिये।
राहुल जैन के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए शैलेष गाँधी ने कहा कि किसी सूचना को यह कहते हुए जन सूचना अधिकारी मना नहीं कर सकता है कि वह अभिलेख उसके पास नहीं है जब तक कि अभिलेख के खोने या चोरी होने की एफ0आई0आर0 पुलिस से न की जाय। सूचना आयोग द्वारा वीडियो काॅन्फ्रेंस के द्वारा सुनवाई का समर्थन किया और कहा कि सूचना आयोग को वीडियो कान्फ्रेन्स के द्वारा ही सुनवाई करनी चाहिये और बार-बार तारीख देने का मतलब यही है कि सूचना प्राप्तकर्ता को हम परेशान कर रहे हैं। सभी सरकारी दफ्तर पेपरलेस और डिजीटलाइज होने चाहिये। 
न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा सेवानिवृत्त इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी सूचना अधिकार अधिनियम के बारे में बताया। कार्यक्रम का आरम्भ आई0आई0ए0 के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज कुमार गुप्ता के द्वारा किया गया। कोल्ड स्टोरेज फेडरेशन के अध्यक्ष राजेश गोयल ने व आई0आई0ए0 के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इन्दर चन्द जैन ने सूचना अधिकार अधिनियम की जरूरत को सरकारी ज्यादतियों से बचने का एक प्रभावी माध्यम बताया। मुकेश अग्रवाल, अश्विन खण्डेलवाल, अरविन्द अग्रवाल व यश कुमार आदि भी सम्मिलित थे।