भारतीय संगीत में रुचिवानों की कार्यशला में करेंगे मार्गदर्शन
रहे। शिक्षा क्षेत्र और प्रख्यात म्यूजीशियनों के ग्रुपों में शामिल संगीतज्ञों में से बडी संख्या उनकी हे जिन्होंने अपने संगीत ज्ञान अर्जन में कभी न कभी उनसे संगीत की शिक्षा प्राप्त की। तलेगांवकर दम्पत्ति के कार्याक्रमों के आयोजन में आस्ट्रलिया के विकटोरिया प्रांत की सरकार सहभागी है।
संगीत के मामले में आगरा मे स्थानीय स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन भले ही अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित रह गया हो या फिर भी ताज महोत्सव जेसे आयोजनों के ज़रिये यहां के कलाकारों ने देश विदेश में काफी नाम कमाया है। श्री तलेगांवकर खुद भी पूर्व में चीन में अपनी कला से चीनियों में खास पहचान बना चुके हें। इस दौरे में भी उनकी पत्नी श्रीमती प्रतिभा उनके साथ थीं।तलेगांवकर दम्पति में जहां अपनी कला के प्रदर्शन की है वहीं इससे भी ज्यादा ललक यह हे कि संगीत जिज्ञासुओं को मार्गदर्शन भी करें। इसके लिये कार्यशालाओं के आयोजन को ही वे सबसे सहज माध्यम मानते हें।(आलेख एवं फोटो :असलम सलीमी)
(पं.केशव तलेगांवकर ) |
आगरा :नगर के प्रख्यात संगीतज्ञ पं केशव तलेगांवकर होली पर्व पूर्व मेंलबार्न (आस्ट्रेलिया) में आयोजित इंटरनेशनल फैस्टेविल आफ हिन्दुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक' में भाग लेंगे। 6 मार्च से 8मार्च तक चलने वाले इस आयोजन में श्री तलेगांवकर के साथ उनकी पत्नी श्रीमती प्रतिभा केशव तलेगांवकर को भी आमंत्रित किया गया है। संगीतज्ञा के रूपमें श्रीमती तलेगांवकर की अपनी भी एक अलग पहचान है।
आयोजन में सहभागिता के साथ ही श्री तलेगांवकर भारतीय संगीत में रुचि रखने वालो के मार्गदर्शन को आयोजित कार्यशाला में भी भाग लेंगे।
आयोजन के दिवसों में 7मार्च का दिन ग्वालियर घराने के मूर्धन्य संगीतज्ञ स्व. पं. रधुनाथ तलेगांवकर को समर्पित किया गया है। रघुनाथ जी की जीवन पर्यंत आगरा कर्मभूमि रही और यही के राजामंडी बाजार में अपने आवास पर ही संगीत की अराधना में
लगे ( श्रीमती श्रीमती प्रतिभा तलेगांवकर ) |
संगीत के मामले में आगरा मे स्थानीय स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन भले ही अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित रह गया हो या फिर भी ताज महोत्सव जेसे आयोजनों के ज़रिये यहां के कलाकारों ने देश विदेश में काफी नाम कमाया है। श्री तलेगांवकर खुद भी पूर्व में चीन में अपनी कला से चीनियों में खास पहचान बना चुके हें। इस दौरे में भी उनकी पत्नी श्रीमती प्रतिभा उनके साथ थीं।तलेगांवकर दम्पति में जहां अपनी कला के प्रदर्शन की है वहीं इससे भी ज्यादा ललक यह हे कि संगीत जिज्ञासुओं को मार्गदर्शन भी करें। इसके लिये कार्यशालाओं के आयोजन को ही वे सबसे सहज माध्यम मानते हें।(आलेख एवं फोटो :असलम सलीमी)