'सोशल डिस्टेंसिंग' और डिस्ट्रीब्यूशन चेन के लिये भी 'आत्म प्रमाणीकरण' है उपयोगी
( राजीव सक्सेना )
( पुलिस को संतुष्ट कर 'डेंडे बाजी' से बचने का एकमात्र विकल्प 'सैल्फ सर्टिफिकेशन' ) |
आगरा - कौरोना वायरस को लेकर तो जनता परेशान है ही किन्तु उससे कही ज्यादा समस्या बढ़ रही नागरिक जरूरतों की आपूर्ति चेन में आये व्यवधान को लेकर, जिसके फलस्वरूप नागरिकों को सरकार की 'लॉकडाउन' आदेश का पालन करने में आत्म अनुशासन की स्थिति न बनपाने के कारण आ रही है। जरूरत का सामन लेने निकलने को मजबूर नागरिकों पर जम कर पुलिस 'डंडा इस्तेमाल' कर रही है। यह सब इस लिये हो रहा है क्यों कि पुलिस वालों के पूछने पर भी सड़क पर निकलने वालों में से अधिकांश घर से बाहर आने का कारण नहीं बता पा रहे हैं।पुलिस को संतुष्ट कर 'डेंडे बाजी' से बचने का एक मात्र विकल्प 'सैल्फ सर्टिफिकेशन'
'जनता-पुलिस-दूकानदार' ट्रांइगुलर सीरिज :
चूंकि एक ओर सरकारी तंत्र जरूरी सामान की पहुंच शासन के द्वारा की गयी घोषणाओं के अनुसार करवा नहीं सका है, दूसरी ओर 'सोशल डिस्टैसिग ' का पालन करते हुए जरूरी सामान इतजाम करने के लिये निकलने वालों के लिये कोयी नियंत्रित व्यवस्था प्रभावी नहीं हो सकी है। फलस्वरूप 'जनता-पुलिस-दूकानदार' ट्रांइगुलर सीरिज ताज सिटी की सडको पर अनवरत चालू रही ।
दरअसल कोरोनटाइन का अब वह गंभीर
चरण शुरू हो गया बताया जा रहा है जबकि उसका वैक्टीरिया अत्यंत सक्रियता की स्थिति में होता है, ऐसे में छोटी सी भी चूक भी बहुत मुश्किल खड़ी करने वाला साबित हो सकती है। चूंकि इस दौर में 'कॉरनटाइन' किये परिवरों के लोगों को जरूरी काम से निकलना रोकना काफी मुश्किल है, इस लिये तत्काल ऐसी व्यवस्था प्रभावी बनाये जाने की जरूरत है जो कि 'सोशल डिस्टेंसिंग ' की कसौटी पर तो जरूर खरी हो साथ ही पुलिस के द्वारा डंडे का इस्तेमाल गैर जरूरी साबित करने वाली भी हो।सैल्फ सर्टिफिकेशन :
भारत में तो अभी यह व्यवस्था अभी कहीं पर भी प्रभावी नहीं है किन्तु यूरोपियन देशों में जहाँ भी कौरोना अपने पैर पसारने की कोशिश के बाद भागता नजर आ रहा है,वहां इसे अपनाया गया है। जिसके फलस्वरूप जहां घर से निकलने वालों की संख्या में 95 प्रतिशत तक कमी आयी वहीं 'सोशल डिस्टैंसिग ' पूरी तरह से असरदार बनी हुई है। कोरेना के प्रकोप से ग्रसित स्पेन और इटली के सभी पड़ोसी देशों ने इसी के माध्यम से कोरोना वायरस के अपने यहा प्रसार रोकने के प्रयत्न में हैं ।इसके तहत स्थानीय प्रशासन नागरिकों के सोशल डिस्टैसिग फालोअप करते हुए निकलने का समय तय करता है किन्तु घर से बाहर निकलते समय उन्हें अपने पास एक ' सैल्फ डिक्लयेरेशन सिलिप ' भी साथ रखनी होती है जिसमें घर से बाहर आने का कारण भी होता है। भारत में बनी हुई मौजूदा स्थतियों के यह सर्वथा अनुकूल है और इसे सहजता के साथ में लागू किया जा सकता है।