झारखण्ड के नव निर्मित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने ताजे ट्वीट में कहा कि "मुझे नहीं लगता कि एनआरसी साध्य या लागू करने योग्य है। पूरा देश में सीएए के खिलाफ विरोध उठ रहा है। यह तब हो रहा है जब हमारा देश आर्थिक संकट से गुजर रहा है। हम लोगों को फिर से कतार में खड़े नहीं कर सकते हैं जैसे कि विमुद्रीकरण के दौरान हुआ था । कई लोगों की जान चली गई थी । ऐसे कृत्यों की क्या आवश्यकता है? खोए हुए जीवन की जिम्मेदारी कौन लेगा? इन विरोधों में भी, सरकार पुलिस बल के माध्यम से असंतोष को शांत कर रही है। यह लोकतंत्र नहीं है, यह कुछ और है।"
बता दें कि इस संशोधन के सम्बन्ध में लोगों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि यह बिल नेचुरलाइज़ेशन देने के लिए धर्म को आधार ठहराता है, ऐसा करना संविधान की आत्मा को चोट पहुचाने के सामान है। नागरिकता संशोधन क़ानून को नागरिकता की प्रक्रिया के तहत तीन देशों से आने वाले हिंदू, सिख, पारसी, जैन, बौद्ध और ईसाई धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की फास्ट ट्रैक विधि के तौर पर पेश किया जा रहा है। इस संशोधन के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले इन छह समुदायों के लोगों को नागरिकता दी जा सकेगी।