यमुना नदी को समर्पित 'रिवर कनैक्ट ' अभियान भी साबित हुआ जन जागरूकता का प्रवल माध्यम
श्री राजीव गुप्ता |
आगरा:महानगर के चर्चित 'आटो ट्रेड' कारोबारी एवं उ प्र चैम्बर आफ कामर्स ऐंड इंडस्ट्रीज आगरा के पूर्व अध्यक्ष राजीव गुप्ता का नदी प्रदूषण रोकने को लेकर चलता रहा अभियान काफी हद तक कामयाब रहा है । इस बार महानगर में सामूहिक पूजा अर्चना के लिये बनाये गये मंडपों और पंडालों में स्थापित की गयी गणेश प्रतिमाओं में से लगभग साठ प्रतिशत पानी में गलनशील मिट्टी से बनायी हुई हैं। अच्छे और अपेक्षाकृत अधिक आकर्षक लुक होने के बाबजूद 'प्लास्टर आफ पैरिस' की प्रतिमाओं की मांग अति सीमित रही।
श्री गुप्ता अपने सामाजिक सरोकारों के लिये 'लोक स्वर ' संस्था का मंच के रूप में उपयोग करते रहे हैं। जिसके कि वह अध्यक्ष भी हैं। पिछले पांच -छै सालों से वह इस कार्य में जुटे हुए थे। धर्म और आस्था से जुड़ा मुददा होने के कारण उनका हम कदम बनने वाले कम ही थे। आरंभिक में ' इंडिया राइजिग ' टीम के कोर सदस्य साथ आये और बाद में तो वाकई में लोकस्वर का सुर 'आगरा का सुर ' सा ही बन गया।
श्री गुप्ता की मेहनत से 2017 व 2018 में प्रशासन को यमुना नदी के प्रदूषण को थामने के लिये बैठक कर मूर्ति विसर्जन को लेकर कार्ययोजना बनानी पड़ी। परिणाम जो भी रहे हो किन्तु सरकारी अमले की सक्रियता शुरू हो जाने से जागरूकतत काफी फैली जिसके फलस्वरूप ही इस बार गिट्टी की गणेश प्रतिमा की डिमांड आगरा में अप्रत्याशितरूप से बढी।
श्री गुप्ता इस बार पैर में चोट लगी होने से पूर्व वर्षोंके समान खुद तो भागदौड भले ही नहीं कर पाये हों किन्तु अपने सोशल मीडिया हैंडिल से लोक स्वर के सुर को आगरा का सुर बनाये जाने में जुटे रहे।अधिक प्रशंसा शायद कईको उपय1ुक्त नहीं लगे किन्तु सद प्रयासों (बैस्ट प्रेक्टिस) की समीक्षा व प्रकाश में लाये जाने की अपेक्षा तो समाज करता ही है।
यमुना नदी में बढते रहने वाले प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुके ‘रिवर कनैक्ट ‘ अभियान की भी प्लास्टर आफ पैरिस तथा मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने वाले रंगों का इस्तेमाल कर बनने वाली प्रतिमाओं के नदी में विसर्जन रोकने को लेकर जो अनवरत आवाज बुंलंद रही उसका भी इसमें असर रहा । इस अभियान के नेतृत्व कर्त्ता श्री बृज खंडेलवाल जो कि एक जर्नलिर्स्ट और ‘एनवायरमैंट एक्टविस्ट ‘ का मुख्य जोर हमेशा यमुना में बनी रहने वाली प्रवाह शून्यता की स्थति को बहाल करने पर रहा है। उनका मानना है कि अगर नदी को वर्षभर पानी से भरपूर रखे जाने का इंतजाम हो सके तो यमुना नदी की तमाम समस्यायें स्वत: ही दूर हो जायेंगी। प्रदूषण को रोकने के नाम पर तमाम खर्चीले कामों से राजकोष को भी जहां राहत मिलेगी वहीं आगरा की जनता को भी नदी तटीय महानगर होने का सुख मिलना संभव हो सकेगा।