2 जुलाई 2019

जल संरक्षण में भागीदारी के लिये सभी नागरिक जिम्मेदार

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री  गजेन्द्र सिंह शेखावत ने  जल शक्ति अभियान की शुरूआत की घोषणा की। यह अभियान जल संरक्षण और जल सुरक्षा के लिये चलाया जा रहा है। मानसून मौसम के दौरान 1 जुलाई, 2019 से 15 सिंतबर 2019 तक जन भागीदारी से यह अभियान चलाया जायेगा। कुछ राज्यों के लिये अभियान का दूसरा चरण 1 अक्टूबर, 2019 से 30 नवंबर, 2019 तक चलाया जायेगा, जहां इस दौरान मानसूनी बारिश होगी। इस अभियान में पानी की कमी वाले जिलों और प्रखंडों पर जोर दिया जायेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल अपने “मन की  बात”  में  नागरिकों का आह्वान करते हुए कहा था कि जल बचाने तथा भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिये वे स्वच्छ भारत अभियान के अनुसार जल संरक्षण को भी एक जन आंदोलन बनाने में अपनी भागीदारी
करें। प्रधानमंत्री ने आम नागरिकों, चर्चित व्यक्तियों और गैर सरकारी संगठनों से जल संरक्षण पर आधारित विचारों, पारम्परिक ज्ञान, पहलों, सफलता की गाथाओं और फिल्मों को आमंत्रित किया था।

 नई दिल्ली में पत्रकारों को संबोधित करते हुए, जल शक्ति मंत्री ने कहा कि प्रत्येक परिवार प्राथमिकता के आधार पर और निरंतर रूप से पेयजल उपलब्ध कराना सरकार का लक्ष्य है।  श्री शेखावत ने कहा कि जल शक्ति अभियान से जल संरक्षण के लिये लोगों में सकारात्मक बदलाव होना चाहिए। प्रधानमंत्री द्वारा 2.3 लाख से भी अधिक सरपंचों को  हाल में लिखे गये पत्र के प्रभाव के बारे में चर्चा करते हुए, श्री शेखावत ने कहा कि इससे लोगों को वर्षा जल संभरण, तालाबों एवं ग्रामीण टांकों के रखरखाव तथा जल संरक्षण के लिये काम करने में मदद मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने इन प्रयासों  में सक्रिय भागीदारी के लिये समाचार माध्यम को आमंत्रित किया।

इस अवसर  पर श्री शेखावत ने  जल संरक्षण में भागीदारी के लिये सभी नागरिकों के लिये प्रधानमंत्री के संदेश का एक वीडियो भी जारी किया।

इस अवसर पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में सचिव श्री परमेश्वरन अय्यर ने बताया कि जल शक्ति अभियान भारत सरकार और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों  का एक सामूहिक प्रयास है, जिसका समन्वय पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा किया जा रहा है।

इस अभियान के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिये इसमें स्कूली छात्रों, महाविद्यालय के छात्रों, स्वच्छाग्रहियों, स्वयं सहायता समूहों, पंचायती राज संस्था के सदस्यों, युवा समूहों (एनएसएस/एनवाईकेएस/एनसीसी), रक्षा कार्मिकों, पूर्व सैनिकों एवं पेंशनभोगियों के साथ-साथ अन्य समूहों को शामिल करने पर जोर दिया जा रहा है।