18 सितंबर 2018

ताजमहल के संरक्षण के मौजूदा पर्यावरण मॉड्यूल का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं : ए डी एफ

-- प्रदूषण के प्रति सत्‍यान्‍वेषण को प्रेरित करने के लिये उद्यमी निकलेंगे शांतिपूर्ण पद यात्रा 
उद्योग अब प्रदूषण करते नहीं रोकने में
सहायक साबित होते हैं
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आगरा:ताजमहल के संरक्षण के नाम पर  ताज ट्रिपैजियम जोन को उद्योग विहीन बनाने को बनते जा रहे कानूनों और लगाये जाते रहे प्रतिबन्‍धों के विरूद्ध उद्यमी आवाज उठायेंगे। इसकी शुरूआत सूर सदन चौराहे से बुद्धवार 19सितम्‍बर को सांय 5 बजे पद यात्रा निकाली जायेगी। 
पदयात्रा का मुख्‍य मकसद उन नीतियों और कार्यक्रमों के विरुद्ध भारत सरकार तथा न्‍यायपालका का ध्‍यान आकर्षित करना है जो अकारण ही उद्योगों को प्रदूषण फैलाने के लिये जिम्‍मेदार मान कर लागू ही नहीं किये हुए हैं,बल्‍कि उनका शिकंजा और कसता जा रहा है।
आयोजन को ताज ट्रिपेजियम जोन के तहत आने वाले जनपदों के जनजीवन से सीधा जुडा बताते हुए, आगरा डव्‍लपमेंट फाऊंडेशन ( ए डी एफ) के जर्नल सैकेट्री के सी जैन ने
कहा कि उद्योगों को अगर समाप्‍त कर दिया जायेगा तो नागरिक जनजीवन की आर्थिक प्रक्रियाओं पर प्रतिकूल असर पडेगा ।नागरिकों के लिये जीव यापन को विषम परिस्‍थितियां बढेगी।  उन्‍होंने कहा कि अब तक कोयी भी ठोस वैज्ञानिक आधार साक्ष्‍य के रूप में सामने नहीं आ सका है जिसके आधार पर उद्यमों के संचालन और विस्‍तार को प्रदूषण बढाने का कारण माना जा सके।
ए डी एफ की ओर से केन्‍द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार को एक प्रतिवेदन ई-मेल मेल के माध्‍यम से प्रेषित कर   ताज ट्रिपेज़ियम ज़ोन प्राधिकरण की 8सितम्‍बर 2016 को हुई में लिये गये निर्णयों के परिप्रेक्ष्‍य में नये उद्योगों को लगाने एवं वर्तमान उद्योगों के विस्तार (वाइट श्रेणी को छोड़कर) लगाई गई तदर्थ रोक को यथाशीघ्र समाप्त करने का आग्रह किया गया है। ए डी एफ  के अध्‍यक्ष श्री पूरन डावर ने कहा है कि  केन्द्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सही परिप्रेक्ष्य में तार्किक ढंग से तथ्यों को रखा जाये और सुप्रीम कोर्ट के भयवश उद्योगों की हत्या न की जाये। श्री डाबर ने कहा है कि जितने नियंत्रण उद्योगों पर लगाये जाना संभव होते हैं उन सभी को आगरा मे लागू कर रखा गया है।
पदयात्रा के अवसर पर उद्यमियों की ओर से सरकार के समक्ष जो मुद् दे उठाये गये हैं उनमें शामिल हैं:--
  -- नये उद्योगों को लगाने एवं वर्तमान उद्योगों के विस्तार (वाइट श्रेणी को छोड़कर) लगाई गई तदर्थ रोक को यथाशीघ्र समाप्त करने का आग्रह किया।
 -- टी0टी0जैड0 प्राधिकरण की बैठक दि0 15.10.2014 के द्वारा टी0टी0जैड0 क्षेत्र में नये उद्योगों की स्थापना एवं विस्तार पर पूर्णतः रोक       लगाई गई थी तथा दि0 8.9.2016 नये उद्योगों को लगाने एवं वर्तमान उद्योगों के विस्तार (वाइट श्रेणी को छोड़कर) लगाई गई तदर्थ रोक लगा दी गई।
  --  उक्त रोक पर्यावरण (संरक्षण) नियमावली, 1986 के नियम 5(3) के बाध्यकारी प्राविधानों के विपरीत थीं क्योंकि इन रोकों को लगाने के पूर्व न गजट में प्रकाशन हुआ, न आपत्तियाँ आमन्त्रित की गईं और न ही आपत्तियों का निस्तारण हुआ।
  --  किस स्त्रोत से तथा कितना वायु प्रदूषण हो रहा था, उसका कोई वैज्ञानिक अध्ययन टी0टी0जैड0 प्राधिकरण या पर्यावरण मंत्रालय द्वारा नहीं कराया गया, जिसके अभाव में लगाई गई रोक निराधार थी।
  --  दि0 8.9.2016 को रोक लगाये जाने के उपरान्त पर्यावरण मंत्रालय द्वारा डॉ0 मनोरंजन होटा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिसने परीक्षणोपरान्त अपनी रिपोर्ट (दिसम्बर-2016) में वायु प्रदूषण के प्रदूषक पीएम-10 व 2.5 के लिए निर्माण एजेन्सियों, कूड़ा जलाने, शवदाहगृह आदि को आरोपित किया और उद्योगों को प्रदूषण के लिए दोषी नहीं पाया।
  -- डॉ0 मनोरंजन होटा की उक्त रिपोर्ट के उपरान्त भी तदर्थ रोक नहीं हटाई गई।
  -- वर्ष 1996 से कोई भी प्रदूषणकारी उद्योग आगरा में नहीं लग रहा है, अतः गैर प्रदूषणकारी उद्योगों के विस्तार या स्थापना पर रोक औचित्यपूर्ण नहीं थी और न है।
  --  केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वर्गीकरण दि0 29.2.2016 को मंत्रालय द्वारा सही परिप्रेक्ष्य में नहीं समझा गया और जो उद्योग गैर वायु प्रदूषणकारी थे उन पर भी मात्र रैड, औरेंज या ग्रीन कैटेगरी के कारण रोक लगा दी गई।
 -- केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मा0 सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत शपथ-पत्र दि0 30.7.2018 में वायु प्रदूषणकारी इकाईयों पर ही रोक होनी चाहिए, ये स्वीकार किया गया।
 -- लगाई गई रोक मा0 सुप्रीम कोर्ट के निर्णय दि0 30.12.1996 (एम.सी. मेहता बनाम् यूनियन ऑफ इण्डिया) के निर्णय के प्रथम दृष्टया विपरीत है, जिसमें उद्योग और पर्यावरण को साथ-साथ संरक्षण दिये जाने का आदेश पारित किया है।
 -- उक्त तदर्थ रोक के फलस्वरूप टी0टी0जैड0 क्षेत्र में 25 हजार करोड़ से अधिक की राशि के एम.ओ.यू. व उससे 40 हजार श्रमिकों को मिलने वाला रोजगार अवरुद्ध हो गया है।
 -- एक ओर केन्द्र सरकार व राज्य सरकार नये उद्योगों की स्थापना और रोजगार के नये माध्यम सृजित करने के लिए संकल्पित है, इस तदर्थ रोक के कारण आगरा बेरोजगारी और अपराध से संघर्ष कर रहा है, जो जनकल्या