26 जुलाई 2018

सुप्रीम कोर्ट में ताज सिटी का हक अब आगरा डव्‍लपमेंट फाऊंडेशन भी रखेगा

-- सरकार की ओर से प्रस्‍तुत डौक्‍यूमेंट की तथ्‍यपरकता आंकेंगे: रमन
सर्वश्री ई उमेश शर्मा,  केशो मेहरा, के सी जैन कोर्ट शुरू किया
लगातर मौजूद रहने का सिलसिला। 

 आगरा: ताज सिटी के हक में क्‍या होना चाहिये और कैसे होना चाहिये, इसका निर्णय करने के वक्‍त उ प्र सरकार के पैरोकारों के साथ ही आगरा के जनजीवन, संस्‍कृति और अर्थव्‍यवस्‍था की समझ रखने वाले भी सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा होंगे। कोर्ट क्‍या फैसला देता है और उनकी बात किस रुप में लेता है, यह तो आगरा का मामला सुनवायी कर रही पीठ के सदस्‍य ही तय करेंगे  किन्‍तु इस बार केवल सरकारी विभागों के हलफनामे ही निर्णयों का आधार नहीं होंगे अन्‍य जानकारियां भी न्‍यायधीशो के समक्ष प्रस्‍तुत करने का प्रयास होगा।
आगरा डव्‍लपमेंट फाऊंडेशन ने यह बीडा
उठाया हैं । फाऊंडेशन के सैकेट्री श्री के सी जैन ने कहा कि फाऊंडेशन पिछले दस साल से सक्रिय है। अब जबकि एक बार पुन: सुप्रीम कोर्ट  में माला पहुंच गया है तो फाऊंडेशन  का प्रयास है कि आगरा के उद्योगों, पर्यावरण , प्राकृतिक संसाधनों और जन मानस से जुडे सटीक तथ्‍य भी  सुप्रीम कोर्ट में के समक्ष रखे जायें। इसके लिये याचिका प्रस्‍तुत करेंगे।  कोशिश होगी कि गैर प्रदूषणकारी उद्योगों पर गिरने वाली गाज को बचाया जा सके जिससे  रोजगार व उद्यम के नये रास्ते सृजित हो सकें।  प्रतिनिधि मण्डल द्वारा उन कारणों को भी न्यायालय के समक्ष रखा जायेगा जो पी.एम.-10 एवं पी.एम.-2.5 को आगरा में बढा रहे हैं।
 आगरा डव्‍लपमेंट करण को सुनने और उद्योगों के पक्ष को समझने के लिए आगरा से एक प्रतिनिधि मण्डल आज सुप्रीम कोर्ट गया जिसमें आगरा डवलपमेण्ट फाउण्डेशन के सचिव के.सी. जैन, पूर्व विधायक केशो मेहरा एवं पर्यावरण विशेषज्ञ इं. उमेश शर्मा सम्मिलित थे। न्यायालय की सुनवाई के समय प्रतिनिधिमण्डल उपस्थित रहा जिसके उपरान्त सभी का यह मत था कि एम.सी. मेहता के प्रकरण में निर्णय दिनांक 30-12-1996 के आदेश के अनुरूप ताज ट्रिपेजियम जोन में कोल व कोक से चलने वाली इकाइयों को ही रोका गया था और उन्हें गैस से चलाने के निर्देश दिये गये थे। उक्त निर्णय के द्वारा गैर प्रदूषणकारी उद्योगों की स्थापना एवं विस्तार पर कोई रोक नहीं लगाई थी अपितु न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट उल्लेख किया था कि इस रिट याचिका का उद्देश्य उद्योगों को रोकना नहीं है अपितु उद्योगों का विकास है जो कि पर्यावरण और उद्योगों के सामन्जस्य से ही सम्भव होगा।
प्रतिनिधि मण्डल का यह भी कहना है कि आगरा को केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 1983 में ‘‘वायु प्रदूषण संरक्षण क्षेत्र’’ घोषित किया गया था जिससे क्रम में टी.टी.जैड प्राधिकरण का भी गठन हुआ। ऐसी स्थिति में ताज व अन्य स्मारकों को बचाने के लिए कोल एवं कोक से  चलने वाले वायुपदूषणकारी उद्योगों को ही रोका जाना है अन्य को नहीं। सोशल सैक्टर के अन्तर्गत आने वाले अस्पताल व होटल पर रोक लगाया जाना अनुचित है।
केशो मेहरा एवं के.सी. जैन द्वारा यह भी कहा गया कि व्हाइट कैटैगरी के अतिरिक्त अन्य कैटेगरी के उद्योगों पर लगाई गयी तदर्थ रोक सुप्रीम कोर्ट के निर्णय दिनांक 30-12-1996 एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वर्ष 2013 के निर्णय के विरुद्ध है। गैर प्रदूषण कारी उद्योगों पर रोक लगने से बेरोजगारी और असन्तोष व्याप्त होगा और आगरा के उद्यमी अन्य स्थानों पर पलायन कर जायेंगे जिससे आगरा को स्थायी क्षति होगी। इं0 उमेश शर्मा के अनुसार भी पांच सितारा होटल रैड कैटेगरी में आते हैं किन्तु वे वायु प्रदूषणकारी नहीं है और वे सीवेज ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट के द्वारा सीवेज का शोधन करते हैं, अतः उन पर रोक लगाया जाना उचित नहीं है। 
सुप्रीम कोर्ट मानीटरिंग कमेंटी के सदस्‍य रमन
जगनेर फाेेर्ट पर साथ में हैं पत्रकार राजीव सक्‍सेना।
 ( फाइल फोटो) 
सुप्रीम कोर्ट मानीटरिंग कमेंटी के सदस्‍य श्री रमन ने कहा कि वह गुरूवार को दिल्‍ली में ही सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे, कोर्ट में ताजमहल को बचाने के सौ वर्षीय प्‍लान का जो पहला भाग प्रस्‍तुत किया गया है ,फिलहाल उसकी जानकारी सटीकता के साथ उन्‍हे नहीं है, वह उ प्र पर्यटन विभाग से इसकी प्रति आधिकारिक रूप से मांगेगे।
श्री रमन ने कहा कि यह मामला व्‍यापक हितो को प्रत्‍यक्ष रूपसे प्रभावित करने वाला है, इस लिये अगर कुछ भी कहा जाये या कोर्ट के समक्ष लाया जाये तो तकनीकि और वैज्ञानिक कसौटी के स्‍तर पर तो खरा होना ही चाहिये। 
श्री रमन ने कहा कि कोयी भी विभाग हो उसे अपनी बात कहने से पहले सक्षम और समझ वालों की सलहा जरूर ले लेनी चाहिये।