15 जुलाई 2018

लघु फिल्‍मों की बौछार भी सावन को करेगी ' प्रयोगवादी अभिव्‍यक्‍तियों ' से सरोवोर

तीन दिवसीय ' आगरा शर्ट फिल्‍म फैस्‍टेविल--2018' 27 से 29 जुलाई तक  


फिल्‍में जरूर  होंगी लघु किन्‍तु  सशक्‍त अभिव्‍यक्‍तियों और
मौलिकता से  से होंगी भरपूर
आगरा : एक समय सिनेमा हॉल ही आगरा के लोगों का पसंददीदा गंतव्‍य होता था । अब बहुतों को बदलीवाले इस मौसम में किसी हाल में बैठकर सिनेमा देखने की ललक रहती है। पहले जैसा तो नहीं किन्‍तु पुराने दिनों को ताजा करने का 'आगरा शार्ट  फिल्‍म फैस्‍टेविल --2018 के रूप में मौका मिलने जा रहा है। 
  फैस्‍टेविल के बारे में जानकारी देते हुए वरिष्‍ठ पत्रकार एवं रंगकर्मी मीतेन रघुवंशी ने बताया कि यह 27 से 29 जुलाई तक आयोजित होगा। यह उन कई स्‍थापित कलाकरों ,टैक्‍नीशियनों और स्‍क्रिप्‍ट राईटरों के साथ उन्‍हे भी  देखने समझने का भी खास अवसर होगा जो भरपूर दक्षता और क्षमता होने के बावजूद पहले पायदान  पर

 पांव टिकाने के इंतजार में हैं। 
विवेक सक्‍सेना की संपादित और संगीतबद्ध की फिल्‍म ' सांझा'
की एक झलक 
 यह बात सही है, कि आगरा में फिल्‍म फैस्‍टेविल होते रहे हैं, किन्‍तु इन अवसरों में नगर के कलाकरों और तकनीकि कर्मियों की भागीदारी सीमित ही रहती आयी है। जबकि यह आयोजन थोड़ा  फर्क होगा।लेकिन कितना यह तो केवल आयोजन के बाद ही मालूम पड़ सकेगा।
                    एक थे सतीश बहादुर 
 वैसे एक दिलचस्‍प तथ्‍य यह है कि  इस प्रकार के आयोजनों के दौरान फिल्‍म प्रदर्शन के बाद कलाकारों से दर्शकों के सीधे संवाद का सिलसिला आगरा के ही एक शिक्षक स्‍व सतीश बहादुर ने शुरू करवाया था। पूना फिल्‍म इंस्‍टीट्यूट के संस्‍थापक शिक्षकों में से एक सतीश जी सोशल साइंस इंस्‍टीटयूट  के प्रोफेसर थे। उन्‍होंने भारतीय फिल्‍मो की आर्काइव बनायी जो आज भी सूचना प्रसारण मंत्रालय के फिल्‍म प्रभाग का महत्‍वपूर्ण स्रोत्र आधार है। आपने आगरा मे रहे सेवाकाल के दौरान 'आगरा विश्‍विद्यालय फिल्‍म क्‍लब '  और ' आगरा फिल्‍म ऐसोसियेशन ' जेसे सिने दर्शकों के संगठन बनाने का प्रयोग किया।