17 जून 2018

एरोप्‍लेनों के ब्‍लैक बाक्‍स की तर्ज पर वाहनों में भी रिकार्डिंग डिवाइस लगे

नेशनल रोड ट्रिब्‍यूनल का गठन किया जाये:ए डी एफ


'मोटर ब्‍हैकिल एक्‍ट ' में व्‍यापक बदलाव की गुंजायिश :के सी जैन
आगरा: ट्रैफिक व्‍यवस्‍था में सुधार को नेशनल ग्रीन टिब्युनल (एनजीटी) की तर्ज पर नेशनल रोड ट्रिब्युनल (एनआरटी) का गठन किया जाये। जो कि सडक यातायात प्रबंधन से संबधित कार्यदायी एजेंसियों   की जबाबदेही सुनिश्‍चित कर सके साथ ही सडक यातायत से संबधित आये दिन होने वाली मनमानी को नियंत्रित कर कानूनों का अनुपालन सुनिश्‍चित कर सके। यह  परामर्श आगरा डेवलपमेंट फाऊंडेशन की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को भेजा गया है। फाउंडेशन के सैकेट्री श्री के सी जैन ने जहां सुझाव भेजे हैं वहीं  अध्यक्ष पूरन डावर ने सुझावों का  समर्थन करते हुए कहा है कि यदि
हम प्रतिवर्ष सड़क हादसों में होने वाली 1.5 लाख मौतों को घटाना चाहते हैं तो हमें टेक्नोलॉजी व निजी संस्थाओं का सहयोग लेना
वक्‍त टैक्‍नेलाजी के बादलाव का
                              --पूरन डावर
होगा क्योंकि वर्तमान ट्रैफिक व आरटीओ तंत्र अपर्याप्त है।

श्री जैन के अनुसार सडकों के प्रबंधन और अनुरक्षण सहित यातायात व्‍यवस्‍था से सीधे जुडे तमाम ऐसे मामले हैं जिन्‍हें संज्ञान में आने के साथ ही त्‍वरित समाधान अपेक्षित होता है, जो केवल एन आर टी के गठन से ही संभव हो सकता है। उन्‍होंने एक जानकारी में बताया कि  वह तमाम कानूनी लडाईयां लडते रहे हैं और अपने अनुभव के आधार पर ही रोड ट्रथ्‍ब्‍यूनल के गठन को सामायिक जरूरत माना है। उन्‍होंने कहा कि एडीएफ के द्वारा पूर्व में यमुना एक्सप्रेसवे को लेकर दो जनहित याचिकायें वर्ष 2015 व 2017 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर की थीं और अब उच्च न्यायालय ने एडीएफ को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की स्वतंत्रता प्रदान की है।
ए डी एफ का मानना है कि मोटर वाहन अधिनियम एवं इण्डियन पैनल  कोड में मौजूदा परिवेश में  परिवर्तन किया जाना जरूरी है  ताकि सड़क हादसों के प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष दोनों की श्रेणियों के दोषियों को...
और अधिक कड़ा दण्ड दिया जा सके।
  ए डी एफ के द्वारा दिये गये 14 सूत्रीय सुझावों में ड्राईवरों के लिए आचार संहिता का निर्माण-वाहन चालकों के लिए एक आदर्श आचार संहिता बनाया जाना शामिल है, जिसमें उनके लगातार वाहन चलाने, आराम करने, सोने, आँखों की जाँच, दवाईयाँ व शराब इत्यादि से सम्बन्धित स्पष्ट दिशा-निर्देश हों। ऐसी आचार संहिता बनाकर उसे लागू किया जाये।
एक सुझाव हवाई जहाजों में कामयाब साबित हो चुकी 'ब्‍लैक बाक्‍स ' व्‍यवस्‍था की तर्ज पर सडक परिवहन की जरूरत के अनुरूप प्रत्येक कार या ट्रक-बस में ब्लैक-बॉक्स ( रिकार्डिंग डिवाइस) का प्राविधान सुनिश्‍चित करवाये जाने का कानून बनाने को लेकर भी दिया गया है। जिसमें गाड़ी की स्पीड और अन्य मुख्य नियंत्रणों की रिकॉर्डिंग दर्ज हो सके। यह उपकरण दुर्घटना के कारणों की जाँच में अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित हो सकेगा।रोड ट्रैफिक की इस रिकार्डिंग डिवाइस से वाहन के अंदर की खासकर ड्राइवर को केन्‍द्रित आडियो-व्‍यूजियल रिकार्डिंग सैंसर भी जुडे हों। 
श्री जैन ने कहा कि 6अप्रैल 2018 में जारी गतिसीमा में वृद्धि से सम्बन्धित अधिसूचना को वापस लिया जाये ।सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा हाईवे द्वारा निर्गत इस अधिसूचना द्वारा हाईवे व एक्सप्रेसवे पर गतिसीमा को अप्रत्याशित रूप से बढ़ा दिया गया है जबकि इन पर गतिसीमा नियंत्रण व सुरक्षा के अन्य उपाय व व्यवस्थायें नहीं की गई हैं, जिसके कारण और अधिक हादसे व मौतें इन हाईवे व एक्सप्रेसवे पर होंगी।
 सरकार को दिये एक सुझाव में कहा गया है कि गतिसीमा उल्लंघन व ओवरलोडिंग के नियंत्रण हेतु निजी एजेन्सियों को भूमिका दी जाये-यातायात विभाग व ट्रैफिक पुलिस के पास मानव संसाधन व स्टाफ की कमी है, जिसके कारण वृहद स्तर पर हो रहे यातायात उल्लंघन को रोकने एवं चालान करने में वे असमर्थ हैं। इस संबंध में यह उचित होगा कि अच्छी निजी एजेन्सियों को अनुबंधित किया जाय जो गतिसीमा उल्लंघन व ट्रैफिक नियमों की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए सभी फोटो व कागजात तैयार करके दें, जिसके आधार पर ट्रैफिक पुलिस या आरटीओ कार्यवाही कर सके।