10 अप्रैल 2018

आगरा मे उद्योगों के विस्‍तार और स्‍थापना पर लगी रोक हटायी जाये

धूलिय प्रदूषण (एसपीएम) जनित प्रदूषण लिये  उद्योग जिम्‍मेदार नहीं : ए डी एफ

टी टी जैड क्षेत्र में लगे गैर जरूरी प्रतिबंध हटाये जायें 
आगरा: पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा ताजट्रिपेजियम जोन  में प्रदूषण कम करने की नीति के तहत अपनाये गये उपाये असरदार साबित नहीं हो सके हैं। इनको प्रभावी ढंग से लागू करने से जहां वायु प्रदूषण कम नहीं हुआ वही उद्योगों में होने वाले निवेश में भारी कमी आ रही है। यह आंकलन है आगरा डव्‍लपमेंट फाऊंडेशन ( ए डी एफ) का । 
फाऊंडेशन केसचिव श्री के सी जैन ने कहा है कहा है कि ताज ट्रिपेज़ियम ज़ोन (टीटीजैड) में ग्रीन, औरेंज एण्ड रैड श्रेणी  के उद्योगों की स्थापना एवं विस्तार पर 8 सितम्बर, 2016 तदर्थ रोक लगायी थी।  जिसके अब तक जारी रखने का कोयी औचित्‍य नहीं है। उन्‍हों ने कहा कि वाइट
कैटेगरी के प्रविधानों के बारे में भी पुनर्विचार करना सामायिक जरूरत है।
केन्‍द्रीय पर्यावरण सचिव सी के मिश्रा की अध्‍यक्षता में ताज सिटी का दौरा करे आने वाली समिति के भ्रमण की पूर्व संध्‍याय पर जारी वक्‍तव्‍य में एडी एफ के महासचिव ने के कि   5 जनपदों में विस्‍तृत  10400 वर्ग कि0मी0 के ताज संरक्षित क्षेत्र के नागरिक खासकर उद्यमी पर्यावरण प्रदूषण को लेकर लगातार जागक रहे हैं , इसी का परिणाम हे कि   वर्तमान में वायु में गैसें (सल्फर ऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड) निर्धारित मानकों से कम है । जहां तक धूल के कणें के मानकों से अधिक होने का सवाल है उद्यमियों की इसमें कोयी प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष भूमिका नही है। उन्‍होंने कहा कि जहां तक धूल के कणों  (एसपीएम) का सवाल है , इन पर नियंत्रण करने के लिये ग्रीन कवर की सघनता और नमक्षेत्रों का अधिकतम विस्‍तार किया जाना ही उपयुक्‍त समाधान है।   
श्री जैन ने कहा कि मौजूदा प्रतिबंधों के चलते भारत सरकार और उ प्र सरकार की किसी भी उद्यमी प्रधान योजना का लाभ  टी0टी0जैड0 क्षेत्र के तहत आने वाले जनपदो को नहीं मिलपा रहा है। 
उद्यमी और निवेशक आगरा में  होटल, अस्पताल व जूता उद्योग की अनेक नई इकाईयाँ स्थापित करना चाहते हैं किन्‍तु पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा लगायी हुई तदर्थ रोक के कारण पूरा कारोबार और उद्योग जगत में निराशा है तथा नकारात्‍मक माहौल बना हुआ है।  श्री जैन ने कहा कि  डॉ0 मनोरंजन होटा की अध्‍क्षता वाली समिति की रिपोर्ट (दिसम्बर-2016)  में स्‍पष्‍ट रूप से उल्‍लेख हे कि उद्योग वायु प्रदूषण के लिए दोषी ही नहीं हैं  तथा वायु प्रदूषण फेलाने वाली इकाईयां  पहले से ही प्रतिबिधत हैं। फिर उद्योगों पर लगायी गयी रोक का क्‍या औचित्‍य है। वैसे भी तदर्थ रोक के नाम पर किसी प्रतिबंध को लगातार 19 महीने जारी रखना किसी भी पगकार औचित्‍य पूर्ण नहीं है। 

 ए0डी0एफ0 की ओर से यह भी महत्वपूर्ण बात उठायी गयी कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिट याचिका (सिविल) सं0 13381/1984 में 30 दिसम्‍बर 1996 के निर्णय में 
कहा गया था कि टी0टी0जैड0 क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना पर रोक न लगे, अपितु स्वच्छ ऊर्जा स्त्रोत से उद्योग चलें, जिसके कारण न्यायालय द्वारा 292 फाउण्ड्री उद्योगों को गैस द्वारा संचालित करने के निदेश दिये गये थे और उन्हें बंद नहीं किया गया था। उपरोक्‍त उद्धरण के परिप्रेक्ष्य में तदर्थ रोक सर्वथा अनुचित है।