1 मार्च 2018

ताज इंटरनेशनल एयरपोर्ट के एवज में भुगतान किये जाने वाले मुआबाजे पर पर्देदारी

आडिट का काम शुरू भू अधिग्रहण की फाइलें की तलब


 आगरा:ग्रेटर नोयडा मे बनने को प्रस्‍तावित इंटरनेशनल एयरपोर्ट अथार्टियों के लिये सबसे ज्‍यादा मुश्‍किल भरा पेच है। जितनी जमीन चाहिये उसके अधिग्रहण और प्रभावितों के पुनर्वास के लिये धन नहीं है ।पूरी तरह से सरकारी अनुदान पर ही मामला टिका हुआ है। राज्‍य सरकार तीन हजार करोड की राशि पिछले बजट में इस प्रोजैक्‍ट के लिये आवंटिक कर चुकी है। निजी निवेशकों की इस प्रोजैक्‍ट में कम से कम अब तक तो कोई रुचि इस कार्य में खुलकर सामने नहीं आ
सकी है।

टर्मिनल 3 संचालक  कंपनी को देना होगा मुआबाजा

यही नहीं सरकार अब तक यह तक स्‍पष्‍ट नहीं कर सकी है कि इस नये इंटरनेशनल एयरपोर्ट को बनाये जाने के लिये इन्‍दिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (टर्मिनल-3 ) की संचालक कंपनी को कितना धन मुआबजे के रूप में अदा करना पडेगा। क्‍योकि सरकार की नीति है अगर नया इंटरनेशनल एयरपोर्ट 150 कि मी की दूरी से कम पर बनाया जायेगा तो संचालित एयरपोर्ट कंपनी को क्षति पूर्ति के रूप में मुआबजा अदा किया जायेगा। निजी निवेशकों के सामने न आने से मौजूदा बनी स्‍थितियों में सरकार को ही इसका मुआबाज देना होगा।  
 आगरा ग्रेटर नौयडा, नौयडा और यमुना एक्‍सप्रेस वे अथार्टियों की आडिट का काम शुरू कर दिया है। स्‍पोर्टस सिटी के प्‍लाटों के आवंटन की फाइलों को आडीटर्स के द्वारा खास तौर पर तलब किया गया है। 2006 से इन अथार्टियों के खर्च और आमदनी का विवरण आडिट के दायरे में है। संभवत: 2006 -9 के बीच भूखंड एलाटमेंट को लेकर सबसे ज्‍यादा घोटाले हुए हैं। किसानों की जमीन अधिग्रहित किये जाने के बावजूद जहां उन्‍हे एवार्ड दिलवाने मे सरकार असमर्थ रही वहीं जमीन आवंटन का काम धडल्‍ले से अथार्टियां करती रहीं।
वर्तमान में स्‍थिति यह है कि नौयडा को छोड कर शेष दोनो अथार्टियां इलहाबाद हाईकोर्ट में जमीन के मुआबजों को लेकर किसानों के द्वारा दायर वादों में बचाव कर रही हैं।  

भू अधिग्रहण वाद महत्‍वपूर्ण

मुकदमों में अथार्टियों के लिये सबसे अधिक अहम सर्वोच्‍च न्‍यायालय की पूर्ण बैंच का वह फैसला होगा जिसें द्वारा तय होना है कि नहीं।सार्वजनिक उपयोग के लिये अधिग्रहण को अधिसूचित जमीन पर अधिग्रहण कर्त्‍ता का हक बना रहेगा चाहे उसके लिये वह मुआबाजा दे पाया हो या  नहीं (2014 में पुणे कार्पोरेशन द्वारा किये अधिग्रहण को पलट कर न्‍यापूर्ति अरुन मिश्रा की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि चाहे जमीन का मालिक मुआबाजा ले पाया हो या उसे लेकर असहमति हो लेकिन एक बार जमीन अधिग्रहित हो गयी तो उस पर भूमि मालिक का हक नहीं रहता) हरियाणा के एक प्रकरण के परिप्रेक्ष्‍य में होने वाले फैसले का असबसे ज्‍यादा असर यूपी की इन एन सी आर अथार्टियों पर पडेगा। क्‍यो कि इनके द्वारा भूमि अधिग्रण की अधिसूचनाये तो जारी कर रखी गयी है किन्‍तु किसानों को मुआबाजे अदा नहीं किये जा सके हैं। यू पी के इंडस्‍ट्रलाईजेशन के लिये हाल में ही गोमती तट पर हुए सम्‍मिट में भी न सी आर की इन अथार्टियों की जमीन की सबसे ज्‍यादा डिमांड रही है किन्‍तु इनकी ज्‍यादा तर जमीन अधिग्रहण सूचनाओं और मुआबाज समय से अदा न करने के मामलों को लेकर वादो में फंसी हुई है।