5 सितंबर 2017

आगरा की पेयजल समस्या के प्रति हद दर्जे की लापरवाही

--गंगाजल पाइप लाइन प्रोजैक्ट को दिसम्बर 16  से अब तक एक पैसा नहीं
गंगाजल पाइप लाइन प्रोजैक्‍ट: थमा पडा है काम ।  पानी की जरूर नजर अंदाज कर चल रही हैं जांचे
आगरा: गगाजल पाइप लाइन परियोजना को लेकर जनप्रतिनिधि जनता के सामने भले ही बडे बडे वायदे करते रहे हों किन्तु वस्तुस्थिति यह है कि इसको क्रियान्वयन करवाने का काम पूरी तरह से ब्यूरोक्रेसी पर छोड. रखा गया है। जल निगम की गंगाजल पाइप लाइन प्रोजैक्ट इकाई जापानी कर्ज से क्रियान्वित की जा रही योजना की नोडल एजैंसी है।कर्ज के सापेक्ष धन अवमुक्त किये जाने की प्रक्रिया के तहत उ प्र सरकार के वर्ष 2017-18 के बजट में 200 करोड की राशि आवंटित हुई है।किन्तु यह अब तक गंगाजल परियोजना इकाई के खाते में नहीं पहुंची है।
आगरा के मंडलायुक्त  श्री के राम मोहन राव ने योजना को पूरा करने के लिये जनवरी 2018 की समय सीमा तक की हुई है , जो कि कार्य प्रगति और धन
उपलब्धिता में मौजूदा व्‍यवधान को दृष्टिगत व्यवहारिक नहीं लगती है। धन की उपलब्धता और पेडों को काटे जाने संबधी शिकायतों का निस्तारण इसकी मुख्यत वजहों में शामिल हैं।
सांसद एवं अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डा राम शंकर कठैरिया ने हाल में ही गंगाजल पाइप लाइन योजना का जायजा अपनी एक महत्वकपूर्ण बैठक में लिया है, उम्मीाद है कि बजट में प्राविधानित की गयी दो सौ करोड की  तो उनकी इस गहन पूछ ताछ के बाद अवमुक्त हो ही जानी चाहिये।
सुप्रीम कोर्ट मनीटरिंग कमैटी के गैर सरकारी सदस्य  श्री रमन का कहना है कि पाइप लाइन पूराकरवाने का काम केवल पूछताछ और जांचों से ही नहीं पूरा होने वाला। मथुरा पहुंच कर पाइप लाइन डालने के काम में बाधा बने किसानों से वार्ता कर जमीन अधिग्रहण को लेकर खडी हो रही समस्या का समुचित समाधान निकालना और शासन से बजट प्राविधान की  राशि तो अवमुक्तत करवाना इस समय सबसे बडी सामायिक जरूरत है। श्री रमन ने कहा कि वे न तो जांचकार्य के विरोधी है और न हीं काम काज की पारदर्शिता के ही। किन्तु  इसके साथ ही वह चाहते हैं कि परियोजना का मूल काम तो कम से कम प्रभावित नहीं हो।
उल्‍लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी के शासन मे इस योजना के साथ जांच के नाम पर खिलवाड होता रहा था, लगभग वही स्थिति वर्तमान में है। गत वर्ष दिसम्बर महीने से इस योजना का काम बुरी तरह से प्रभावित है। उप्र सरकार के बजट में इसके लिये लगभग 200 करोड रुपये प्रावधानित किया गया है किन्तु अब तक यह धन अवमुक्ति होकर प्राजैक्ट  के खातेमे नहीं आया है।
वर्तमान में जहां आगरा के खंदौली और मथुरा के बल्देतव विकासखंड में पाइप लाइन डालन का काम कुछ स्‍थानों पर  किसानो के द्वारा अपनी जमीन का स्थायी अधिग्रहण करने की मांग को लेकर अटका हुआ है, वहीं दूसरी ओर पाइप लाइन मार्ग मे पडने वाले पेडोंकी कटाई से मामला ग्रीन ट्रब्‍यूनल के दरवाजे पर पहुंचा हुआ है। कितने पेड कटे और कितने के लिये अनुमति थी।यह बात अलग है,वस्तुस्थिति यह है कि आगरा की हिरयाली को लेकर दिल्ली में चितित रहने वाले जागरूक सज्जनों मे से कुछ महानुभावों ने कानूनीवादो की जो स्थितियां खडी कर रखी हैं अब जब तक इनका निस्‍तारण नहीं होगा तब तक पाइप लाइन डाले  जाने की प्रक्रिया का अगला चरण , जो शायद अंतिम भी है, पूरा होना मुश्किल है।