7 सितंबर 2017

उ प्र मे प्रभावी पत्रकारों के वेतनमान तक श्रम विभाग के पास उपलब्ध नहीं

--श्रम मंत्रालय के रवैये से मजीठिया बेज-बोर्ड वादों की सुनवायी प्रभावित
कोर्ट आदेशों के क्रियान्‍वयन में मनमर्जी की छूट  से 
'यू पी' में मीडिया हाऊसों की बल्‍ले बल्‍ले। 
आगरा: उप्र में श्रम विभाग ने श्रमिकों के हित अनदेखे कर रखे हैं,जाने या अन जाने में बनी हुई इस स्थिति का लाभ सेवायोजकों (मीडिया हाऊसों) को मिल रहा है,वहीं पत्रकारों को अपने अधिवक्‍ताओं के लिये साक्ष्यो जुटाये जाने के लिये अनावश्यक भाग दौड बढ गयी है । कम से कम मजीठिया बेजवोर्ड की सिफारिशों का अनुपालन  करवाने के मामले सरकार ने तो  पूरी तरह से उदासीनता सी बरत रखी है। हकीकत में मजीठिया बेज बोर्ड की सिफारिशें
परोक्ष रूप से वह वेतनमान है जो कि न्यूतनतम देय वेतन के रूप में राज्यं में देश के अन्य प्रातों के समान ही प्रभावी है। प्रिंट मीडिया हाऊसों व न्यूज एजैसियों के संचालकों को उसी के अनुसार अपने पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मियों को वेतन एवं भत्तों  का भुगतान करना है।
--नही उपलब्ध करवाया गया है जरूरी डाटा
प्रभावी व्यवस्था  के अनुसार  श्रम विभाग के सहायक श्रमायुक्तों कार्यालय शासन के द्वारा तय किये जाने वाले न्यूनतम वेतन मान क्रियान्वयन  करने वाली जनपद स्तरीय नोडल एजैंसी है । इन्हीं कार्यालयों को वर्किंग जर्नलिस्ट  एक्ट के तहत आने वाले श्रमजीवी पत्रकारों और गैर पत्रकारों के  सेवा योजकों से होने वाले मामलों को भी निपटाना होता है किन्तु शासन के द्वारा अब तक राज्य में कारोबार कर रहे प्रिट मीडिया हाऊसों एवं समाचार एजैंसियों में सेवारतों के बारे में  लागू न्यूेनतम वेतन मान की सूची तक उपलब्ध नहीं करवायी हुई है। यही नहीं इनके टर्नओवरो के आधार पर वर्गीकरण सूची तक उपलब्धत नहीं करवायी है।जबकि वाकायादा आडिट और सर्वेक्षणों के आधार पर इनका विज्ञापन एवं अन्यो सेवाओं के लिये निर्धारित होने वाले देय भुगतान के कारण टर्नओवर के अपडेट डाटा सरकार के पास मौजूद हैं।
आगरा एक प्रमुख मीडिया सैंटर है,यहां सेवा प्रदान कर रहे प्रिंट मीडिया हाऊसों में से पांच वाकायाद कार्पोरेट सैक्टर की फर्मों के रूप मे पंजीकृत हैं। शासन इन तक का टर्नओवर के हिसाब से डाटा श्रम विभाग को प्रतिष्ठान का वर्गीकरण करने के लिये उपलब्धि नहीं करवा सका है।
मीडिया कर्मियों के नेतृत्विर्त्तां श्री विनोद भारद्वाज ने कहा है कि लगता है कि प्रदेश के श्रममंत्री लाचार हैं या फिर वस्तुस्थिति से अनभिज्ञ ।
श्री भारद्वाज ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि मीडिया हाऊसों के टर्नओवर के हिसाब से उनका वर्गीकरण किया जाये।उन्होंने कहा कि जिला अधिकारी आगरा से मिलकर पत्रकार श्रम विभाग के सामने बनी दुविधा की स्थिति स्पाष्ट कर उपयुक्त समाधान निकालन को आग्रह करेंगे।
--नहीं बता रहे प्रतिष्ठान मे प्रभावी वेतनमान
अवधेश कुमार  बाजपेयी
दैनिक जागरण के पत्रकारों के कई मामले देख रहे श्री अवधेश प्रकाश बाजेयी एउवोकेट ने एक जानकारी में कहा है कि दैनिक जागरण सामाचार पत्र समूह की ओर से उनके द्वारा दायर वादों में से किसी के भी संबध में अब तक न तो मजीठिया वेतनमान के अनुसार कर्मचारियों को वेतन दिये जाने की बात कही गयी है और नहीं अपने प्रतिष्ठान के टर्नओवर के आधार पर वर्गीकरण से ही अवगत करवाया गया है।
--अनुचित दबाव की कोशिश
पत्रकार नेता श्री नरेन्द्र  प्रताप सिह ने कहा है कि सुनवायी के दौरान दैनिक जागरण के वरिष्‍ठ पत्रकार श्री रूपेश चौधरी के आगरा से सिलीगुडी को किये गये स्था्नान्तरण पर दिये गये स्थनगनादेश को निरस्‍त करने के लिये उनके मजीठिया बेज बोर्ड प्रकरण सुनवायी कर रहे श्रम विभाग के अधिकारी पर अनुचित दबाव डालन का प्रयास किया गया। जबकि व्यवहार में अगर किसी आदेश के विरूद्ध आपत्ति है तो हाईकोर्ट या अन्य उच्च अपीलीय व्यवस्था का दरवाजा दोनों पक्षों के लिये खुला हुआ है। डा नरेन्द्र  प्रताप ने कहा कि श्री रूपेश चौधरी अपने समय मे जागरण के तेज तरार रिपोर्ट रहे है और कई जनपदों के ब्यूरो के इंचार्ज भी।
--सेवारत पत्रकारों के वेतनमानों की बात भी की जायेगी
श्री विनोद भारद्वाज
मीडिया कर्मियों के नेतृत्व कर्त्ता श्री विनोद भारद्वाज ने कहा है कि फिलहाल उनका सीधा मोर्चा 75हजार से अधिक अखबार बेचने वाले प्रतिष्ठावनों के विरुद्ध है।सरकारी बजट का अस्सी प्रतिशत इन्हींं के प्रकाशकों के थैले मे जाता है।  इनमें से   ज्यादातर एक हजार करोड टर्ओवर को पार करने की स्थिति वाले हैं। एफ डी आई सुविधाओं का लाभ उठाकर जहां विदेशी निवेशको को मुनाफा कमवाने का माध्यम बने हुए है वहीं अपने कर्मचारियों को बजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार प्रभावी हो चुके न्यूमनतम वेतन मान तक को नहीं देना चाहते हैं।उन्हों ने कहा कि बडे मीडिया हाऊसों का श्रमविभाग को सर्वेक्षण कर पत्रकारों को दिये जा रहे वतनों का परीक्षण करवाना चाहिये।