--कंपनी बोर्ड और स्टाक एक्सचेजों में दाखिल रिपोर्टों को श्रम विभाग तलब करे
डीएलसी आगरा मंडल पी के सिह से मजीठिय बेज मुद्दे पर चर्चारत पत्रकार विनोद भारद्वाज --फोटो:असलम सलीमी |
आगरा: पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिये मजीठिया बेजवोर्ड की सिफारिशों को लागू करवाने के लिये प्रभावी कदम उठाये जाये,श्रम विभाग के पास पहुचे मामलों के अलावा भी अन्य कार्यरतों के हित में प्रकाशन संस्थानों के सर्वे करवाये जायें। यह मांग शुक्रवार को डिप्टी् लेवर कमिश्नहर पी के सिह से वरिष्ठ पत्रकार विनोद भारद्वाज और रूपेश चौधरी के द्वारा की गयी। उन्होंने कहा कि उ प्र के अन्य मंडलों के समान ही आगरा मंडल के जनपदों में भी प्रिट मीडिया कर्मियों को मजीठिया बेजबोर्ड की सिफारिशों के अनुसार न तो वेतन मिल रहा है और नहीं सुविधायें ।
श्री भारद्वाज ने कहा कि उ प्र में प्रकाशित समाचार पत्रों के प्रकाशक प्रिट मीडिया हाऊसों से मुख्य , कंपनी रजिस्ट्रार से रजिस्टर्ड कंपनियां हैं,इनकी एन्युअल रिपोर्टें इन्वेंस्टरों के लिये जारी होती हैं जिनमें टर्नओवर दर्शाये जाते हैं। इसी प्रकार कार्पोरेट टैक्स के रिटर्न भी इन कंपनियों के टर्नोवरो के प्रमाणिक साक्ष्य हैं। किन्तु इसके बावजूद प्रकाशन ग्रह श्रम विभाग को अपने टर्नओवरों की सटीक जानकारियां न देकर मीडिया कर्मियों के हक और हितों विरुद्ध आचरण अपनाये हुए हैं।
श्री भारद्वाज ने कहा कि अब मीडिया कर्मी खामोश नहीं बैठेंगे अगर जानकारियों देने में विलम्ब या भ्रम की स्थिति उत्पन्न की गयी तो वे अपने स्तर से भी जरूरी साक्ष्य उपलब्धं करवायेंगे।--उ प्र शासन का गलत संदेश
मीडिया कर्मियों के नेतृत्वकर्ताओं में से एक अन्य नरेन्द्र सिह ने कहा कि दैनिक जागरण के पत्रकार श्री रूपेश चौधरी और श्री सुनयन शर्मा के स्थानान्तरण को मजीठिया वाद का समाधान होने तक स्टे कर देने वाली सहायक श्रमायुक्त श्रीमती प्रतिभा तिवारी का अकारण स्थाानान्तरण करना शासन की ओर से दिया गया एक गलत संदेश हैं।जिसका मजीठिया वादों के निस्तारण की गति पर नकरात्म्क असर पड सकता है। मीडिया कर्मी इसे सेवायोजकों के श्रम विभाग के काम काज में दखल की स्थिति तक पहुंच जाने के रूप में देखते हें। मीडिया कर्मी बहादुर ने कहा कि लम्बित वादों का तेजी के साथ निस्तारण हो।
--पक्षाकार नहीं दे रहे टर्नओवर रिपोर्ट
पत्रकार रूपेश चौधरी ने कहा कि सेवायोजकों की ओर वादों के निस्तारण में रूचि नही ली जा रही।दैनिक जागरण के खिलाफ चल रहे मामलों में तो किसी में भी प्रकाशन समूह के उस टर्नओवर तक की जानकारी नहीं जा सकी जो कि कंपनी के निवेशकों की एन्युनअल जर्नल मीटिगों में कंपनी के बोर्ड द्वारा दी जाती है।
--डिले टैक्ट ट्रिक्से पर निगाह
उप श्रमायुक्तद श्री पी के सिह ने कहा कि श्रम विभाग का प्रयास है कि वाद तेजी के साथ निस्तारित हों , पक्षाकरों को श्रम कानूनों के तहत अपनी बात रखने और साक्ष्य प्रस्तुत करने का अधिकार है। जिसे नजरअंदाज नहीं किया जासकता। किन्तु अनावश्यक रूप से अगर वादों मे विलम्ब करने का किसी भी पक्ष द्वारा प्रयास किये जाने की जानकरी उनके संज्ञान में लायी गयी तो उसे विधिक परिप्रेक्ष्यि में पूरी गंभीरता से लिया जायेगा।