15 अगस्त 2017

पी एल ए अब खो चुकी है माओ के समय की जन-छवि‍


डोकलम  चौकसी ,लद्दाख मुंह तोड़ जबाव
नई दि‍ल्‍ली: भारत चीन के बीच टकराव की स्थिति‍ गंभीर दौर मे पहुंच गई है। कभी भी भारत को जबावी कार्रवाही और चीनी सेना से सीधे टकराव को वि‍वश होना पड सकता है।कश्मीर में पत्थरवाजों का सामना कर रही सेना को जब लद्दाख में चीनी सेना की पत्थरबाजी का सामना करना पडा तो कुछ समय के लि‍ये भले ही असमंजस की स्थिति रही हो कि‍न्तु  कुछ ही समय के बाद सेना ने जबावी कार्रवाही कर सीमा में घुसपैंठ कर गयी सैन्य टुकड़ियों  को खदेड़  दि‍या। चीन
की अंदर जाने  क्या रणानीति‍ है यह तो कुछ समय बाद ही मालूम हो सकेगा कि‍न्तु‍ भारत सरकार इस बार सीमा पर सैन्य कार्रवाहि‍यो का सेना से ही जबाव दि‍लवाने की अपनी नीति‍ तय कर चुकी लगती है। 
यह बात सही है कि‍ चीन के द्वारा भारत के साथ टकराव का रास्ता छोडने का नहीं है कि‍न्तु  उसकी आंतरि‍क स्थिा‍ति‍ भी अब तीन दशक पूर्व तक रही माओवादी व्यवस्था की तरह नहीं रह गयी है। पी एल ए जनकल्याण्कारी सेना की छवि‍ खो चुकी है और ति‍ब्बत सहि‍त कई प्रांतो में तो उत्पीडन का पर्याय बन चुकी है। हांगकांग को लेकर भी चीन आराम से नहीं है । 1962 की लडाई में इंगलैंड का रुख बहुत कुछ अपनी इसी कॉलोनी को लेकर तठस्थ सा बना रहा था।