28 अगस्त 2017

यमुना नदी में मूर्ति‍यां वि‍सर्जन न कर वैकल्‍पि‍क इंतजाम करें

आस्‍था के प्रदर्शन को केवल वि‍शाल आकार की मूर्ति‍यां ही जरूरी नहीं:लोक स्‍वर

राजीव गुप्‍ता
आगरा: यमुना नदी को पानी से भरपूर तो रखा नहीं जा सका ,उसके प्रदूषण नियंत्रण को लेकर भी लाचारी की स्थिति‍ बनी हुई है,सरकार खुद तो जो कर रही है, वह परिणाम मूलक न होने के बावजूद अपनी जगह महत्वपूर्ण है किन्तु समाज सेवी एवं चैम्बर आफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष राजीव गुप्ता  का इस दिशा में किया जाता रहा प्रयास भी अपने आप में जमीनी कार्रवाही तो है ही। स्‍वैच्‍छि‍क संगठन ‘लोक स्वेर’ के अध्यक्ष के रूप में यमुना नदी की दुर्दशा को दूर करने के किसी भी छोटे बडे प्रयास में उनकी सक्रिय भागीदारी रहती आयी है।
गणेशोत्‍सव और दुर्गा पूजन कार्यक्रमों के इसी कार्यक्रमों के बाद प्रतिमा विसर्जन की परिपाटी को वह नदी प्रदूषण में बढोत्‍तरी न करने वाला बनाये जाने को लेकर खास तौर पर प्रयासरत हैं।


सवाल प्रदूषण को रोकने को प्रति‍बद्ध करने का


श्री गुप्ता ने कहा है कि‍ इनका विसर्जन अपने घर के बगीचे या क्षेत्र के पार्क में किया जा सकता है।नदी के तट के कुछ चुनीदा घाटों पर प्रतिमा विसर्जन कुंड की व्यवस्था की जाये।  पि‍छले कई वर्षों से चलते रहने वाले अपने प्रयास क्रम में लोकस्वर का शहर-वासि‍यों से इस बार भी आग्रह है कि‍ मिट्टी की प्रतिमा बनाकर उसकी स्थाापना करें, शास्त्रों मे सुपारी को गणेश प्रतिमा का रूप माना गया है, अगर संभव हो तो उसीको मूर्ति के रूप मे स्थापित किया जाये।
एक अन्ये सुझाव में लोक स्वर का कहना है कि‍ 500 लिटर की पानी की टंकी लेकर उसमे तीन नदियों का पानी डाल कर मूर्ति विसर्जन किया जा सकता है।उनका कहना है कि‍ दि‍खावा  छोड कर हमे अपनी आस्था और भावना की अभि‍व्यक्ति‍ करते  हुए मूर्ति‍यां तो जरूर बनायें कि‍न्तु  उन्हे  विशाल आकार देने की परि‍पार्टी से बचें। इस कहावत को  मान्यता दें कि ‘ पूजो तो देवता नहीं पूजो तो पत्थर-सिल लोढा’
श्री गुप्ताो ने कहा है कि‍ तमाम लोगों को नहीं मालूम कि‍ पानी से लवालव  दि‍ख रही यमुना नदी में कुछ ही दि‍नों में पानी तेजी के साथ घटना शुरू हो जायेगा और दशहरे की रात को इसमे योगदान देने वाला गंगाजल ‘अपर गंगा कैनाल’ की सफाई शुरू हो जाने के कारण मि‍लना बन्द हो जायेगा।दीपावली की रात को ही गंगा नहर का पानी फि‍र से आना शुरू हो पाता है। फलस्वरूप 22 से 25 दि‍न के बीच यमुना में जल की उपलब्धता ओर प्रदूषण को लेकर भारी समस्या  रहती है।अत्‍ा: और कुछ नहीं तो एक नागरि‍क के नाते नदी में प्रदूषण बढाने में रहतें आये अपने योगदान को को तो मूर्ति‍ वि‍सर्जन सीमि‍त कर नियंत्रित  कर ही सकते हैं।