28 अगस्त 2017

मजीठि‍या बेजबोर्ड को लेकर आगरा में मीडि‍या कर्मि‍यों के बीस से ज्यादा वाद

मीडि‍या कर्मि‍यों को उ प्र सरकार मजीठि‍या वेतन मान दि‍लवाये: वि‍नोद भारद्वाज
अवधेश प्रकाश बाजपेयी और पत्रकार वि‍नोद  भारद्वाज
                                                 --फोटो:असलम सलीमी
आगरा: पत्रकरो के न्यूनतम वेतनमान उ प्र में भी लागू है कि‍न्तु‍ श्रम वि‍भाग अब तक इन्हें  राज्य में प्रभावी नही बना पाया  है। राज्य के अन्य तमाम जनपदो के समान ही आगरा में भी मजीठि‍या बेजबोर्ड के वेतन मान लागू करने के लि‍ये हि‍न्दुस्तान और जागरण के मीडि‍या कर्मि‍यो ने बीस से ज्याादा वाद दायर कि‍ये हैं। इनमे से एक दर्जन तो केवल दैनि‍क जागरण के वि‍रुद्ध ही हैं। 
इन वादों का नि‍स्तारण करने में शुरू में तो श्रम वि‍भाग के अधि‍कारि‍यों ने तेजी दि‍खायी फलस्वरूप दैनि‍क हिंदुस्तान  के मीडि‍या कर्मि‍यों मे से पांच के मामलों अवशेष वेतन की वसूली के आदेश भी जारी हो गये कि‍न्तु‍ मीडि‍या हाऊस ने  इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील करके कार्रवाही पर स्टे प्राप्त  कर लि‍या।

अब इस मामले की हाईकोर्ट में भी सुनवायी हो चुकी है और नवीनतम जानकारी के अनुसार फैसला रि‍र्जब कि‍या हुआ है। दैनि‍क जागरण के पत्रकारों  द्वारा दायर वादों में से पत्रकार सुनयन शर्मा और रूपेश चैधरी के क्रमश: गोवाहटी ओर जम्मू को कि‍ये गये स्थानान्तरण श्रम वि‍भाग ने स्थगि‍त करते हुए आदेश जारी कि‍या था कि‍ पहले मजीठि‍या बेज बोर्ड के अनुसार वेतन दि‍या जाना सुनि‍श्चित करे तब स्थानान्तरण करें। दि‍लचस्प तथ्य है कि‍ श्रम वि‍भाग की नौकरशाही वि‍भाग के आदेश को तो प्रभावी नही करवा पाई, वहीं इसके वि‍परीत उन महि‍ला सहायक श्रम आयुक्त का ही स्थानन्तारण कर डाला जि‍न्होंने ये स्थाननान्तंरण रोकने का आदेश दि‍या था।
 दैनि‍क जागरण के मीडि‍या कम्रिर्यों के मामले देख रहे अवधेश प्रकाश बाजपेयी एडवोकेट ने कहा है कि‍ श्रम वि‍भाग की वेतनवाद नि‍स्तारण की प्रक्रि‍या परखी और वि‍श्वंसनीय है।उन्हें उम्मीद है कि‍ मीउि‍या कर्मि‍यों को जरूर न्याय मि‍लेगा। वि‍धि‍क रूप से मजीठि‍या वाद प्रकरण सामान्य न्यूनतम वाद प्रकरण है।शासन और श्रम वि‍भाग का दायि‍त्व है कि‍ न्यूनतम वेतन भुगतान कि‍या जाना सुनि‍श्चित करवायें। एक जानकारी में उन्होंने कहा कि‍ सेवायोजकों  की ओर से अधि‍कांश वादों में अपनी बात रखने के स्थान पर समय लेने के नाम पर मामलों को लम्बित रखने की कोशि‍श की जा रही है। श्रम वि‍भाग के अधि‍कारि‍यों को इसे समझना होगा । बडे मीडि‍या हाऊसों में से ज्यादातर देश के स्टाक एक्सचेजों में लि‍स्टेड हैं और उनके वि‍वरणों में वे टर्नओवर आंकि‍त हैं जि‍नके आधार पर अपने अंशधारकों को मुनाफा बांटते रहे है और नि‍वेशकों से धन लगवाते रहे हैं । इस लि‍ये टर्नओवरों के मामलों को लेकर भ्राति‍ फैलाने की कोशि‍श ज्यादा चलने वाली नहीं है।
 उधर मजीठि‍या एक्टवि‍स्ट जागरण के पत्रकार श्री नरेन्द्रं कुमार सि‍ंह ने कहा है कि‍ अब तक 12 प्रकरण उप श्रमायुक्त  आगरा के कार्यालय के तहत दर्ज हो चुके हैं।इनमे सुनवायी तेज हो तथा सेवा योजक अनुचि‍त दबाब न डाले इसके लि‍ये शीघ्र ही जि‍ला अधि‍कारी के समक्ष मामले को उठायेंगे। एक अन्य जानकारी में उन्‍होंने बताया कि‍ वरि‍ष्ठ पत्रकार एवं जागरण क स्थानीय प्रभारी रहे  वि‍नोद भारद्वाज के द्वारा मजीठि‍या वेतनमान के अनुसार अपने सेवा काल का अवशेष भुगतान  करने के लि‍ये वाद दाखि‍ल कर दि‍या गया है।
 उधर श्री भारद्वाज का कहना है कि‍ अपने अवशेष को प्राप्त  करना तो उनका वाद दायर करने का एक कारण है ही कि‍न्‍तु इससे भी अधि‍क महत्वपूर्ण है कि‍ मजीठि‍या बेजबोर्ड की सि‍फारि‍शें उ प्र में प्रभावी हों। उन्होंने कहा कि‍  इसके लि‍ये अब ज्यादा इंतजार नहीं कि‍या जा सकता। 
श्री भारद्वाज ने कहा कि‍ मजीठि‍या बेज मीडि‍या हाऊसों के टर्नओवर पर आधारि‍त है ।ज्यादातर मीडि‍या हाऊस कंपनी एक्ट के तहत संचालि‍त और पंजीकृत हैं। इसी टर्नओवर के आधार पर सरकार इन्हे मीडि‍या हाऊसों को प्रदत्ता की जाने वाली सुवि‍धायें नवाजती रही है।जाहि‍र है कि‍ इनका 2007 से अब तक का समस्त रि‍कार्डि‍ड डाटा कंपनी बोर्ड, सेबी, सभी मुख्य स्टाक एक्सचेंजों में मौजूद है। 
सरकार को इस डाटा को श्रम वि‍भाग को अपनी ओर से उपलब्धं करवाना चाहि‍ये। जि‍ससे टर्नओवर को लेकर कनफ्यूजन फैलाकर मीडि‍या हाऊस मजीठि‍या  बोर्ड की सि‍फारि‍शों के लाभार्थि‍यों को बंचि‍त नहीं रख सकें।
श्री भारद्वाज  ने कहा कि‍ मजीठि‍या बेजबोर्ड हकीकत में न्यूनतम वेतन मान है जो कि‍ पत्रकारों और गैरपत्रकारों के लि‍ये श्रम वि‍भाग को वर्कि‍ग जर्नलि‍स्ट एक्ट के तहत उ प्र भर में प्रभावी बनाना है।जो मीडि‍या हाऊस पत्रकारों को मजीठि‍या वेतन मान नहीं दे रहे हैं वे एक प्रकार से बेगारी करवाने  कि‍स्म का काम कर रहे है, मुख्यमंत्री को इस प्रकार के कृत्य को रोकना चाहि‍ये या फि‍र उ प्र में श्रम कानून नि‍ष्प्रभावी कर दि‍ये जाने के लि‍ये वाकायदा नोटि‍फि‍केशन जारी कर देने में वि‍लम्ब नहीं करना चाहि‍ये।