9 जुलाई 2017

दो पत्रकारों के ट्रांसफर पर स्थगन देने वाली अधिकारी हटाईं

--सहायक श्रमायुक्तोि के तबादले, मजीठिया बेज वाद सुनवायी प्रभावित करने का प्रयास
श्रम विभाग का मजीठिया बेजबोर्ड कार्यालय मीडिया हाऊसों की लाबिंग के आगे असरहीन : फाइल फोटो






आगरा: सुप्रीम कोर्ट ने अपने समक्ष विचाराधीन (19जून2017) मानहानि के वाद को निस्तारित कर पत्रकारों और गैर पत्रकारो से मजीठिया बेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतन-भत्ते  पाने के लिये सीधे सुप्रीम कोर्ट न आकर श्रम विभाग और राज्यों के श्रम न्यायालयों में जाने को कहा था । जहां इस प्रकार के वादों के तेजी के साथ निस्‍तारण किये जाने की अपेक्षा की गयी थी वही दूसरी ओर श्रम विभागों की कार्यप्रणाली खास कर वाद निस्‍तारण प्रक्रिया को राज्य सरकारों ने सीधे तौर पर प्रभावित करना शुरू कर दिया
है।उ प्र इन राज्यों  में अव्वल है।
हाल में ही राज्य  के लेवर कमिश्नर के द्वारा 17 सहायक श्रमायुक्तों के स्थानान्तरण किये गये हैं इनमें से जहां 9 निजी अनुरोध श्रेणी के हैं, वहीं 8 जनहित श्रेणी के है। जनहित में किये गये तबादलों में से अधिकांश वे हैं जिनको हटवाने के  लिये मीडिया हाऊस वायोजक के रूप में लामबन्द  थे।हाल में ही दैनिक जागरण के आगरा एडीशन पत्रकार श्री सुनयन शर्मा और श्री रूपेश कुमार सिंह का स्थानान्तगरण मजीठिया बेज वाद निस्तानरित होने तक क्रमश: जम्मू  और गोवाहटी जाने से रोकने के आदेश के बाद से मीडिया हाऊस खास तौर से परेशान थे। इस आदेश से पहले अब तक उनके द्वारा मजीठिया मांगने वालों से स्थाानान्तरण कर निपटा जा रहा था।  हटाये गये इन अधिकारियों में से अधिकांश के समक्ष  विचाराधीन प्रकरणों में अन्‍य वादों के साथ ही पत्रकारों और गैर पत्रकारों के मामले भी विचाराधीन थे।
इसे महज संयोग नहीं कहा जा सकता कि जनहित दृष्टिपगत किये गये  स्थारनान्तरणों आगरा मंडल के चार जनपदों में से आगरा, फीरोजाबाद और मथुरा जनपद के सहायक श्रमायुक्तं शामिल हैं। अगर इन पीठासीन अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा की जाये तो इन सभी के द्वारा मजीठिया बेजबोर्ड संबधी मामलों में सेवायोजकों यानि मीडिया हाऊसों के द्वारा वादों में जबाब न देकर मामले लटकाये रखने के स्थान पर  प्रकरण निस्तारण की प्रक्रिया  अपनायी हुई थी।  जहां मथुरा के अधिकारी  शासन के उस आदेश (12/11/2014sec17(1)1117/36-1-14-530(st)/81tcdated2, lucknow ) को संज्ञान में लिये जाने के कारण मीडिया हाऊसों के निशाने पर थे जिससे मजीठिया प्रकरणों में सुनवायी शुरू हो सकी थी। इसे बडे जतन के साथ मथुरा ही नहीं कई अन्य  जनपदों के श्रम विभाग के कार्यालयो की  गार्डफइलों तक भी नहीं पहुंचने दिया गया था।
उपजा की तीखी प्रतिक्रिया
उ प्र जर्नलिस्टा एसोसियेशन(उपजा) के सदस्य एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री सुभाष जैन ने कहा है कि प्रदेश में पत्रकारों के हित के विरूद्ध स्थितियां बनी हुई हैं,सहायक श्रमायुक्तों  के ‘जनहित’ के नाम पर ताजा स्थािनान्तरण इसका उदहारण हैं। श्री जैन ने कहा कि आगरा मंडल उनका कार्यक्षेत्र रहा है इस लिये यहां की जानकारी सहज सुलभ है वैसे कमोवेश पूरे प्रदेश में ही आगरा मंडल के जनपदों जैसा ही माहौल है।उनकी कोशिश होगी कि प्रदेश भर के मामलों को शासन के समक्ष उठाया जाये।
प्रिंट एंड इलैक्ट्रा निक मीडिया एसोसिशन लानऊ के  श्री नरेन्द्र प्रताप सिंह  ने कहा है कि प्रदेश के श्रम मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य के समक्ष उनके विभाग का मीडिया हाऊस संचालकों के द्वारा दुरोपयोग करने का मामला संज्ञान में लाये जाने का प्रयास किया जायेगा।उन्होंने कहा है कि कम से कम इस तथ्य  को तो सार्वजिक किये जाने की अपेक्षा  है ही कि जनहित के नाम पर स्थानान्तरित किये गये गये अधिकारियों से कौन से जनहित प्रभावित हो रहे थे तथा इन जनहित प्रकरणों को श्रम मंत्रालय के संज्ञान में लाये जाने का क्या  माध्यम रहा। वरिष्‍ठ पत्रकार एवं दैनिक सैनिक के पूर्व संपादक श्री रामाशंकर शर्मा ने कहा हे कि समाचार पत्र समूहों की पिछले पचास दिनों मे हुई मुलाकातों का विवरण सार्वजनिक किया जाये।शसन की नियत और मजीठिया बेज बोर्ड की सिफारिशें लागू किये जाने को उ प्र में रहने वाली नियति इन्‍हीं मुलाकतोंं का विवरण आते ही स्‍वत: स्‍पष्‍ट हो जायेगी।
लिस्टिलड कंपनियों के टर्नओवरों को लेकर मनमानी
 श्रमविभाग   श्रम विभाग के माध्यकम से  अपने हक की मांग करने वाले पत्रकारों ने निर्णय किया है कि यू पी में मजीठिया वेज वोर्ड वादों में बनी हुई स्थिंति की जानकारी सर्वोच्चम न्याशयालय के संज्ञान में लायेंगे ।खासकर यह बताने का प्रयास करेंगे कि सेवी और स्टााक एक्सशचेंजो में कंपनी के रूप में लिस्टियड मीडिया हाऊसों की वैलैंस शीटों को कार्पोरेट टैक्स ,शेयरों के माध्य‍म से धन जुटाने जैसी वित्तीय प्रक्रियाओं के लिये तो विधिक मान्यता और संरक्षण है किन्तु् पत्रकारों के लिये वेतन मामलों श्रम विभाग और श्रम न्याियलयों में पक्षाकारों के रूप में मीडिया समूहों को मनमानी करने दी जा रही है।